आम नागरिकों के लिए दो दिन हाईवे बंद रखने पर विरोध शुरू
राज्य ब्यूरो श्रीनगर जम्मू-श्रीनगर हाईवे को सुरक्षाबलों के काफिले के मद्देनजर सप्ताह में द
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : जम्मू-श्रीनगर हाईवे को सुरक्षाबलों के काफिले के मद्देनजर सप्ताह में दो दिन बंद रखने के सरकार के फैसले का तीव्र विरोध शुरू हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इसे मार्शल लॉ बताया तो नेशनल काफ्रेंस के नेता अकबर लोन ने एक बड़े जनादोलन की चेतावनी दी है। सज्जाद गनी लोन ने इसे सरकार की फौजी पहचान से जोड़ा है तो काग्रेस के जीए मीर कहा कि इससे अराजकता पैदा होगी।
व्यापारिक और सिविल सोसाईटी के संगठनों ने इसे मानवीय संकट पैदा करने वाला और कश्मीर की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाने वाला करार देते हुए कहा कि इसे जितनी जल्द रद किया जाए, उतना ही बेहतर होगा। गौरतलब है कि राज्य गृह विभाग ने बुधवार को अधिसूचना जारी की है, जिसके मुताबिक 31 मई 2019 तक प्रत्येक सप्ताह रविवार और बुधवार को सुबह चार बजे से शाम पाच बजे तक बारामुला-श्रीनगर-अनंतनाग-बनिहाल-रामबन-ऊधमपुर सेक्शन पर आम नागरिक वाहनों की आवाजाही बंद रहेगी। इस दौरान हाईवे पर सिर्फ नागरिक वाहन ही चलेंगे।
राज्य प्रशासन के इस फैसले को लेकर कश्मीर में सियासत तेज हो गई है। सभी राजनीतिक, सामाजिक व मजहबी संगठनों ने दलगत राजनीति से ऊपर उठते हुए इस फैसले को तुरंत बदलने पर जोर दिया है।
पीडीपी की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हम जम्हूरी निजाम में रहते हैं, किसी मार्शल लॉ में नहीं। पीडीपी इसका सख्त विरोध करती है। सरकार को यह फैसला रद करना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस फैसले को अवाम का दुश्मन करार देते हुए कहा कि इससे आम लोगों की दिक्कतें और बढ़ जाएंगी। जम्मू-श्रीनगर हाईवे घाटी के लोगों की जीवनरेखा है और इसे सप्ताह में दो दिन बंद रखना जनता की दिक्कतों को और बढ़ा सकता है। उमर ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक से आग्रह किया कि वह इस फैसले पर फिर से विचार करें और सुरक्षाबलों के काफिले के लिए बारामुला से बनिहाल तक रेल सेवा उपलब्ध करवाएं। दो दिन नागरिक वाहनों की आवाजाही पर रोक संबंधी फैसले को रद किया जाए
प्रदेश काग्रेस प्रमुख जीए मीर ने हाईवे पर सप्ताह में दो दिन नागरिक वाहनों की आवाजाही पर रोक संबंधी फैसले को तुरंत रद करने की माग करते हुए कहा कि इससे तो आम लोगों के बीच अराजकता और अफरा-तफरी का माहौल बन जाएगा। मैं हैरान हूं कि यह फैसला कैसे लिया गया।
विधानसभा के पूर्व स्पीकर और बारामुला-कुपवाड़ा संसदीय सीट से नेकां के उम्मीदवार मुहम्मद अकबर लोन ने कहा कि हाईवे को दो दिन आम नागरिकों के लिए बंद करना गैर लोकतांत्रिक है। यह फैसला जल्द रद होना चाहिए। किसी बीमार को अस्पताल ले जाना पड़ा तो क्या पहले पुलिस से पास लिया जाएगा
वरिष्ठ माकपा नेता और पूर्व विधायक मुहम्मद यूसुफ तारीगामी ने कहा कि बेशक सुरक्षा का मामला है, लेकिन आम आदमी क्यों तकलीफ सहे। इस तरह की पाबंदी लगाने से पहले प्रशासन को कोई व्यावहारिक विकल्प तलाशना चाहिए था। अगर कुलगाम से किसी बीमार को अस्पताल ले जाना पड़ा तो क्या पहले पुलिस से पास लिया जाएगा। पास लेने की औपचारिकता पूरी करते अगर वह बीमार मर गया तो क्या होगा। कश्मीर में अफरा-तफरी पैदा हो गई
श्रीनगर संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे पीपुल्स काफ्रेंस के उम्मीवार इरफान रजा अंसारी ने कहा कि राज्य सरकार के इस फैसले से कश्मीर में अफरा-तफरी पैदा हो गई। यह जम्मू कश्मीर को एक बड़ी जेल बनाने जैसा ही है। इससे कश्मीर में पर्यटन उद्योग प्रभावित होगा।
सज्जाद गनी लोन ने कहा कि हाईवे पर नागरिक वाहनों की आवाजाही रोकने का यह फैसला गैर लोकतात्रिक और जनविरोधी है। यह फैसला कश्मीर में किसी बड़े मानवीय संकट का कारण बन सकता है। राज्य सरकार को अपनी फौजी पहचान नहीं बनानी चाहिए। यहा पहले ही लोगों में विमुखता की भावना है, उसे दूर करने की जरूरत है। इस फैसले से आम लोगों को बहुत मुश्किल होगी : गुलाम हसन
डेमोक्रेटिक पार्टी नेशनलिस्ट के अध्यक्ष पूर्व कृषि मंत्री गुलाम हसन मीर ने कहा कि इस फैसले से आम लोगों को बहुत मुश्किल होगी। इसलिए राज्य सरकार को इस पर पुनिर्वचार करना चाहिए। सुरक्षाबलों के काफिलों की आवाजाही के लिहाज से तो यह फैसला सही है, लेकिन आम लोगों को तकलीफ नहीं होनी चाहिए।
अलगाववादी नेता मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने कहा कि इस तरह के फैसले से सरकार अपनी तानाशाही दिखा रही है। यह कश्मीरियों के प्रति नई दिल्ली का दुराग्रहपूर्ण रवैया के सुबूत है।
सरकार के इस फैसले से आर्थिक स्थिति और ज्यादा खराब हो जाएगी
व्यापारिक संगठन जम्मू एंड कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष शेख आशिक ने कहा कि सरकार के इस फैसले से कश्मीर की चरमरा चुकी आर्थिक स्थिति और ज्यादा खराब हो जाएगी। कश्मीर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी सरकार के इस फैसले पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि इस फैसले से मरीजों की जिंदगी दाव पर लग जाएगी। कश्मीर व जम्मू के अस्पतालों का संपर्क अमूमन इसी मार्ग से बना रहता है, लेकिन हाईवे के सप्ताह में दो दिन बंद रहने से सबसे ज्यादा खामियाजा मरीजों को ही उठाना पड़ेगा। एसोसिएशन ने राज्यपाल से आग्रह किया कि मेडिकल केयर व एंबुलेंस को इस फैसले से वंचित रखा जाए।