Kashmir: घाटी में 30 वर्षों बाद ईद पर न तो लहराए पााकिस्तानी झंडे, न हुई कोई हिंसा
दोपहर तक वादी के किसी भी हिस्से से हमारे पास किसी भी तरह की अप्रिय घटना की कोई सूचना नहीं है। स्थिति पूरी तरह शांत और नियंत्रण में है। हालात की लगातार निगरानी की जा रही है।
नवीन नवाज, श्रीनगर। आजादी का मतलब क्या होता है - सुरक्षा, शांति, भयमुक्त वातावरण, अपनी बात कहने और बेखौफ अपना त्यौहार मनाने का हक। बीते 30 सालों में सोमवार काे पहली बार ईद के मुबारक मौके पर न किसी जगह पाकिस्तानी झंडों के साथ जुलूस निकला और न किसी जगह कोई हिंसा हुई। न कोई जख्मी होकर अस्पताल पहुंचा। जहां देखो वहीं नमाज ए ईद अदा करने के लिए बेखौफ हो लाेग अपने गली-मोहल्ले की मस्जिदों में जमा हुए। सभी ने वादी में यूं ही अमन बने रहने की दुआ की और कहा कि सिर्फ ईद ही नहीं हर दिन कश्मीर में यूं ही अमन का हो। खुदा के नाम जानवरों की कुर्बानी करते हुए लोग कह रहे थे कि अनुच्छेद 370 का भूत भी न रहे, खानदानी राज नहीं जम्हूरियत का राज हो जिसमें हम बराबरी के साथ खड़े हों।
सिर्फ श्रीनगर में ही नहीं बारामुला,कुपवाड़ा,हंदवाड़ा, बांडीपोर, हाजिन, बडगाम, मागाम, सोपोर,गांदरबल,कंगन, पांपोर,पुलवामा,शोपियां,अनंतनाग और कुलगाम में भी नमाज ए ईद बिना किसी हंगामे के पूरी श्रद्धा के साथ संपन्न हुई है।बारामुला की मस्जिद में 10 हजार से ज्यादा नमाजी थे जबकि अनंतनाग में 14 हजार के करीब नमाजियों ने लाचौक के पास स्थित मस्जिद नमाज ए ईद अदा की। सिर्फ मस्जिद के भीतर ही नहीं बाहर खुले में नमाजियों की भीड़ रही। इधर, श्रीनगर में जनाब साहब सौरा, सोनवार और हजरतबल दरगाह में भी सैंकड़ों की तादाद में नमाजी जमा हुए।
घाटी में शांतिपूर्ण माहौल में अदा हुई ईद की नमाज
संसद द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेषाधिकार समाप्त कर, उसे दो केंद्र शासित राज्यों में विभाजित किए जाने के बाद कश्मीर में पैदा कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए सभी कह रहे थे कि ईद-उल-जुहा पर व्यापक हिंसा होगी। अतीत के अनुभव कह रहे थे कि हर गली मुहल्लों में पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा गूंजेगा, मस्जिदों में जिहादी एलान होंगे। नमाज संपन्न होने के बाद विभिन्न इलाकों में सुरक्षाबलों और शरारती तत्वों के बीच हिंसक झड़पों का दौर शुरु होगा जो किसी जगह दो घंटे चलेगा तो किसीजगह देर शाम तक।
सुरक्षा के रहे कड़े बंदोबस्त
ईद के दिन शरारती तत्व किसी भी तरह से ईद के रंग में भंग न डाल सकें, इसके लिए प्रशासन ने एहतियात के तौर पर पूरी वादी में सुरक्षा के कड़ा बंदोबस्त रखा। सभी संवेदनशील इलाकों में डयूटीमैजिस्ट्रेट भी तैनात रखे गए। किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए सुरक्षाबलों के विशेष दस्तों को पूरी तरह तैयार रखा गया। लेकिन कहीं कुछ नहीं हुआ। सभी मस्जिदों में निर्धारित समय पर नमाज ए ईद संपन्न हुई। लोग सुबह सवेरे ही नहा-धोकर स्थानीय मस्जिदों में पहुंचने लगे थे। इनमें बड़ी संख्यामें महिलाएं और बच्चे भी थे।
मुस्लिम समुदाय भी मौजूदा वातावरण से खुश हैं
कुरसु राजबाग में स्थित मस्जिद में नमाज के बाद अपने पड़ोसी फिरोज डार को ईद की मुबारक देते हुए मोहम्मद युसूफ ने कहा कि पहली बार लगा कि ईद की नमाज की मजलिस है। अन्यथा यहां नमाज से पूर्व जो खुतबा होता था तो उसमें इस्लाम और इंसानियत की बात नहीं होती थी, सिर्फ सियासत और बंदूक व जिहाद का जिक्र होता था। कई बार सोचता था कि इसे बंद कराऊं,खैर अब यह खुद व खुद बंद हो गया है, जो इस बात की तस्दीक करता है कि कश्मीर के अच्छे दिन आने वाले हैं, जिनका आज आगाज हुआ है। यह अनुच्छेद 370 पहले हट गया होता तो हमें जिहादी भाषण सुनने या नारेबाजों का साथ देने केा मजबूर न होना पड़ता।
मस्जिदों में बिना किसी हंगामें के संपन्न हुई ईद की नमाज
जेकेएलएफ के मुखिया यासीन मलिक के मैसूमा स्थित घर से मात्र 50 कदम की दूरी पर स्थित दोनों मस्जिदों में भी ईद की नमाज बिना किसी हंगामें के संपन्न हुई। इनमें एक मस्जिद जमायत ए अहल ए हदीस संगठन की और कश्मीर की बड़ी मस्जिदों में एक गिनीजाती है। दोनों मस्जिदों में लोगों की सुविधा के लिए नमाज ए ईद में करीब 40 मिनट का अंतर रखा गया था। जुबैर नामक एक युवक ने कहा कि मेरी मां बहुत खुश है। उसने कहा कि आम मैं ईदगाह नहीं गया,क्योंकि वहां नमाज ए ईद को माैजूदाहालात में आयोजित नहीं किया गया है। वहां पथराव होता ही है और कई लोग जख्मी होते हैं। बीते साल वहां पथराव में मेरा सिर फूट गया। मैने पत्थर नहीं चलााया था,लेकिन पुलिस भी कहां मानती। खैर,अब हालात बदल गए हैं।यहां भी किसी ने आजादी कानारा नहीं दिया। सभी ने इस्लाम, मोहब्बत और भाईचारे की बात की है। मुझे लगता है कि सेंटर ने जो 370 को हटाया है, यह उसका असर है।
किसी मस्जिद में नहीं लगे जिहादी नारे
राज्य पुलिस के सीआईडी विंग के एक अधिकारी ने कहा कि हमारे पास जो रिपोर्ट अभी तक आयी हैं, उसके आधार पर किसी मस्जिद में काेई जिहादी नारा नहीं लगा है। किस्तानी झंडे और आतंकियों के पोस्टर भी नहीं निकले हैं। जहां पाबंदियां थी, लोगों ने उनका पूरा सम्मान किया। जिला उपायुक्त श्रीनगर डाॅ शाहिद इकबाल चौधरी ने कहा कि ईद उल जुहा के मुबारक मौके पर किसी तरह की आम लोगों को दिक्कत न हो, इसके लिए हमने व्यापाक प्रबंध किए थे। हालात पूरी तरह शांत हैं। लाेग ईद मना रहे हैं। कुर्बानी के बाद जानवरों का गोश्त लोग अपने रिश्तदारों में बांटने निकल रहे हैं, कहीं किसी पर रोक नहीं है। हां, कुछेक जगहों पर रोक है, लेकिन वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों को सख्त हिदायत है कि वे अनावश्यक रुप से किसी की आवाजाही को अनावश्यक रुप से न रोकें।
वहीं आईजीपी कश्मीर एसपी पानि ने कहा कि आज दोपहर तक वादी के किसी भी हिस्से से हमारे पास किसी भी तरह की अप्रिय घटना की कोई सूचना नहीं है। स्थिति पूरी तरह शांत और नियंत्रण में है। हालात की लगातार निगरानी की जा रही है।
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