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    आतंकवाद संबंधी मामले में आरोपित PDP MLA पारा को मिली राहत, हाईकोर्ट ने इन शर्तों पर दी देश में घूमने की इजाजत

    By Digital Desk Edited By: Rahul Sharma
    Updated: Tue, 02 Dec 2025 05:43 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने पीडीपी विधायक वहीद पारा, जो आतंकवाद से जुड़े मामले में आरोपी हैं, को कुछ शर्तों के साथ पूरे देश में घूमने की अनुमति दे द ...और पढ़ें

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    पीडीपी विधायक पारा ने सामाजिक और राजनीतिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए अनुमति मांगी थी।

    डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। चार साल के लंबे अंतराल के बाद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के विधायक वहीद-उर-रहमान पारा, जो आतंकवाद संबंधी मामले में आरोपी हैं, को मंगलवार को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने देश के अंदर घूमने की इजाजत दे दी। 

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    पारा को मई 2022 में हाई कोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने 1 लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दी थी, साथ ही उन्हें ज़रूरत पड़ने पर जांच अधिकारी के सामने पेश होने और अपना पासपोर्ट जमा करने और ट्रायल कोर्ट की इजाजत के बिना जम्मू-कश्मीर से बाहर न जाने के निर्देश दिए थे। 

    पारा ने जम्मू-कश्मीर के बाहर घूमने की शर्त में ढील देने के लिए एक अर्जी दी थी। आज मंगलवार को जस्टिस विनोद चटर्जी कौल और संजीव कुमार की एक बेंच ने पारा को ट्रायल कोर्ट को बताने के बाद देश के अंदर घूमने की इजाजत दे दी। 

    हाई कोर्ट ने अपने दो पेज के ऑर्डर में कहा, “पारा ट्रायल कोर्ट को अपनी लोकेशन और घूमने का मकसद बताने के बाद जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश छोड़ने और देश के अंदर घूमने का हकदार होगा।” 

    वकील शारिक जे रेयाज ने कोर्ट में कहा कि पारा विधायक हैं और उन्हें अपने अधिकारिक और दूसरे कामों के सिलसिले में बार-बार केंद्र शासित प्रदेश से बाहर जाना पड़ता है। जमानत की यह शर्त उनके लिए बहुत मुश्किल और परेशानी खड़ी कर रही है। 

    कोर्ट ने अपने ऑर्डर में कहा कि “हमारी सोची-समझी राय है कि शर्त में बदलाव करना न्याय के हित में होगा।” 

    पारा को एनआईए ने नवंबर 2020 में हिजबुल मुजाहिदीन आतंकी संगठन को कथित तौर पर समर्थन करने के एक मामले में गिरफ्तार किया था, इस आरोप को पीडीपी ने नकार दिया था, जिसने उनकी गिरफ्तारी को “पॉलिटिकली मोटिवेटेड” बताया था। 

    उन्हें जनवरी 2021 में जमानत मिल गई, लेकिन जेल से बाहर आने से पहले ही जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। 

    2022 में उन्हें फिर जमानत देते हुए हाई कोर्ट ने कहा था कि जांच एजेंसी द्वारा एकत्र किए गए और अभियोजन द्वारा उसे दोषी ठहराने के लिए इस्तेमाल किए गए सबूत "प्रथम दृष्टया सच माने जाने के लिए बहुत अस्पष्ट हैं।"