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अनुच्छेद 35-ए की मजबूती के लिए पक्ष रखें : पीडीपी

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने सोमवार को संविधान के अनुच्छेद 35-ए से संब

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Sep 2018 10:34 PM (IST)Updated: Mon, 03 Sep 2018 10:34 PM (IST)
अनुच्छेद 35-ए की मजबूती के लिए पक्ष रखें : पीडीपी
अनुच्छेद 35-ए की मजबूती के लिए पक्ष रखें : पीडीपी

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने सोमवार को संविधान के अनुच्छेद 35-ए से संबंधित मामले की सर्वाेच्च न्यायालय में राज्य के वकील की ओर से व्यक्त टिप्पणियों की ¨नदा की है। पीडीपी प्रवक्ता ने कहा कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक राज्य प्रशासन की तरफ से अदालत में मजबूत कानूनी पक्ष को यकीनी बनाएं जो पूरी तरह निष्पक्ष हो।

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पीडीपी प्रवक्ता रफी अहमद मीर ने कहा कि पीडीपी ने बार-बार राज्य के संवैधानिक अधिकारों और धारा 35-ए के संरक्षण को यकीनी बनाने पर जोर दिया है। राज्य के वकील ने धारा 35-ए के संदर्भ में जो टिप्पणियां की हैं, हम उनकी ¨नदा करते हैं। गौरतलब है कि सर्वाेच्च न्यायालय में जम्मू कश्मीर की तरफ से धारा 35-ए के मुद्दे पर पैरवी कर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केंद्र सरकार तुषार मेहता ने पिछले सप्ताह मामले की सुनवाई के समय अदालत में कहा था कि धारा 35-ए के कुछ पहलुओं पर बहस जरूरी है। इस तथ्य को नहीं नकारा जा सकता कि धारा 35-ए के कुछ प्रावधान लैंगिक आधार पर पक्षपात करते हैं।

पीडीपी प्रवक्ता ने कहा कि राज्य में जब पीडीपी सत्तासीन थी तो उस समय नामी वकीलों की सेवाएं धारा 35-ए के संरक्षण को यकीनी बनाने के लिए राज्य सरकार ने ली थी। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती इस मामले की नियमित आधार पर समीक्षा करते हुए राज्य कानून विभाग को निर्देश देती थी कि राज्य के लोगों की भावनाओं और सम्मान का ध्यान रखते हुए यथोचित तरीके से अदालत में पक्ष रखते हुए धारा 35-ए का संरक्षण यकीनी बनाया जाए।

मीर ने कहा कि धारा 35-ए से संबंधित मामला अदालत में विचाराधीन है और पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के गिरने और राज्यपाल के शासन की बागडोर संभाले जाने के बाद इस मामले में अदालत में राज्य का पक्ष सही तरीके से रखने और धारा 35-ए के संरक्षण को यकीनी बनाने और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल का अदालत में रवैया राज्य के लोगों की भावनाओं के अनुरूप यकीनी बनाना अब राज्यपाल की नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने दावा किया सत्ता में रहते हुए पीडीपी ने देश के प्रतिष्ठित कानूनविद् फली एस नारिमन की सेवाएं धारा 35-ए के संरक्षण को अदालत में यकीनी बनाए रखने के लिए ली थी। हमारी पार्टी प्रमुख ने राज्य के विशिष्ट संवैधानिक दर्जे के साथ किसी तरह का समझौता करने से इन्कार कर दिया था। उन्होंने अदालत में धारा 35-ए के खिलाफ दायर याचिकाओं को नाकाम बनाने के कानूनी आधार पर ठोस कदम उठाए। मौजूदा राज्य प्रशासन को इस पर आगे की कार्रवाई करनी चाहिए।

पीडीपी प्रवक्ता ने कहा कि राज्य की विशिष्ट संवैधानिक पहचान को यकीनी बनाए रखने के लिए हमारी पार्टी प्रयासरत रहेगी। उन्होंने कहा कि यह अत्यंत ही संवेदनशील मुद्दा है और हम सभी को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर एकजुट होकर धारा 35-ए के दुश्मनों, हमारी पहचान और सम्मान के दुश्मनों के मंसूबों को नाकाम बनाना होगा।


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