Pakistan अपने सैनिकों को दो गज जमीन देने को तैयार नहीं, एक माह से पड़े हैं उसके सैनिकों के शव
Pakistan soldiers bodies इन सभी के शव एलओसी पर गुलाम कश्मीर की सीमा पर ही पड़े हैं। अभी तक पाकिस्तानी सेना ने इन शवों को नहीं उठाया है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। कश्मीरियों का हमदर्द होने का दिखावा करने वाला पाकिस्तान अपने ही फौजियों का भी सगा नहीं है। यहां तक की सरहद पर मारे गए सैनिकों को दो गज जमीन भी देने को तैयार नहीं है। एक अगस्त को बैट हमले को विफल करते हुए भारतीय जवानों ने पांच से सात पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था। करीब 40 दिन बाद भी उनके शव एलओसी के पार वहीं पड़े हैं।
गौरतलब है कि 31 जुलाई और पहली अगस्त की मध्य रात्रि कुपवाड़ा जिले के केरन सेक्टर में पाकिस्तानी सेना के बैट दस्ते ने हमारी अग्रिम चौकी पर हमले का प्रयास किया था। सजग भारतीय जवानों ने हमले को नाकाम बना दिया। बैट दस्ते को वापस भागना पड़ा और उसके पांच से सात सदस्य मारे गए। इन सभी के शव एलओसी पर गुलाम कश्मीर की सीमा पर ही पड़े हैं। अभी तक पाकिस्तानी सेना ने इन शवों को नहीं उठाया है।
भारतीय सेना ने सोमवार को इसकी वीडियो फुटेज भी जारी की। श्रीनगर स्थित चिनार कोर कमांडर लेफ्टनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने बताया कि हमले में शामिल पाक सेना के चार कमांडो के शव देखे जा सकते हैं। इन शवों को ले जाने के लिए डीजीएमओ के माध्यम से पाकिस्तानी सेना को सूचित भी किया गया था लेकिन पाकिस्तान अपने ही लोगों के शव लेने से इन्कार कर रहा है। पाक सेना अपने जवानों को सम्मानपूर्वक दफनाना भी नहीं चाहती। करगिल में भी पाकिस्तानी सेना ने ऐसा ही किया था।
पहले से ही पता है उनकी मानसिकता
इस बीच, पूर्व आतंकी सैफुल्ला ने कहा कि मुझे इस वीडियो से कोई हैरानी नहीं हुई है। हमें पाकिस्तान की मानसिकता और इरादों का बहुत पहले पता चल गया था, इसलिए मैंने जिहाद के नारे से तौबा कर मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला किया था। जो मुल्क अपने ही फौजियों का सगा नहीं, वह हम कश्मीरियों का सगा कैसे हो सकता है। उसके लिए हम कश्मीरी तो हिंदुस्तान के खिलाफ उसका एजेंडा पूरा करने का जरिया हैं।
बैट-बार्डर एक्शन टीम
पाकिस्तानी सेना ने एलओसी पर भारतीय ठिकानों पर कमांडो कार्रवाई के लिए बैट (बार्डर एक्शन टीम) का गठन किया है। प्रत्येक बैट दस्ते में तीन से 12 तक सदस्य शामिल होते हैं। प्रत्येक दस्ते के सदस्यों की संख्या ऑपरेशन की प्रकृति पर निभर्र करती है। इनमें एक से छह तक आतंकी होते हैं। यह आतंकी जैश,अल-बदर मुजाहिदीन और लश्कर से ही मुख्य तौर पर जुड़े होते हैं।