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डीजीपी की नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर आपत्ति जताई

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राज्य में आइपीएस अधिकारी दिलबाग ¨सह को कार्यवाहक महानिदेशक नियुक्त किए जाने

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Oct 2018 12:45 AM (IST)Updated: Sat, 06 Oct 2018 12:45 AM (IST)
डीजीपी की नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर आपत्ति जताई
डीजीपी की नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर आपत्ति जताई

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राज्य में आइपीएस अधिकारी दिलबाग ¨सह को कार्यवाहक महानिदेशक नियुक्त किए जाने के खिलाफ सेवारत वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी एसके मिश्रा द्वारा सर्वाेच्च न्यायालय में दायर याचिका पर राज्य सरकार ने अपनी आपत्ति जताते हुए इसका विरोध किया है।

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एसके मिश्रा ने जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय द्वारा अपनी याचिका को रद किए जाने के बाद सर्वाेच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। उन्होंने अपनी याचिका में दावा किया है कि राज्य सरकार ने उनकी वरिष्ठता को नजरअंदाज करते हुए उनके कनिष्ठ आइपीएस डॉ. एसपी वैद को महानिदेशक बनाया था। डॉ. वैद को गत माह ही हटाकर उनकी जगह दिलबाग ¨सह को कार्यवाहक महानिदेशक बनाया गया है। एसके मिश्रा की ओर से दायर याचिका पर जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस एएम खानविलकर की पीठ ने सुनवाई की।

एसके मिश्रा के वकील ने अदालत में कहा कि राज्य सरकार ने सर्वाेच्च न्यायालय के उस आदेश की अवेहलना की है, जिसमें कहा गया है कि कोई भी पुलिस अधिकारी किसी भी राज्य या केंद्र शासित राज्य में कार्यवाहक महानिदेशक नहीं बनाया जा सकता, लेकिन जम्मू कश्मीर में दिलबाग ¨सह को कार्यवाहक महानिदेशक बनाया गया है।

जम्मू कश्मीर सरकार का अदालत में पक्ष रखते हुए एडवोकेट शोएब आलम ने आइपीएस मिश्रा की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि दिलबाग ¨सह की नियुक्ति अस्थायी प्रबंध के तौर पर हुई है। इस मामले में पहले ही सर्वोच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली एक पीठ सुनवाई कर चुकी है। आलम ने बताया कि 20 सितंबर को सर्वाेच्च न्यायालय ने अपने निर्देश में साफ कहा है कि जब तक संघ लोक सेवा आयोग इस मामले में अपना फैसला नहीं लेता, दिलबाग ¨सह बतौर कार्यवाहक महानिदेशक बने रहें। सर्वाेच्च न्यायालय ने गत माह संघ लोक सेवा आयोग को राज्य में महानिदेशक नियुक्त किए जाने वाले वरिष्ठ अधिकारियों की योग्यता पर चार सप्ताह में फैसला लेने को कहा है। मामले की सुनवाई के दौरान सर्वाेच्च न्यायालय की पीठ ने इस मामले को पहले ही एक अन्य बेंच द्वारा सुने गए मामले के साथ जोड़ने को कहा।


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