Kashmir : कश्मीर में आतंकवाद का नया चेहरा बनकर उबर रहा आतंकी संगठन टीआरएफ, जाने इसका पूरा इतिहास
पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद को धमकाने और उन्हें केंद्र सरकार का एजेंट बताने से पहले यह संगठन जम्मू कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के चेयरमैन सैयद अल्ताफ बुखारी को भी धमका चुका है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : कश्मीर में बीते तीन साल से सबसे ज्यादा सक्रिय अगर कोई आतंकी संगठन है तो वह द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ही है। लश्कर ए तैयबा का हिट स्क्वाड कहे जाने वाले इसी संगठन ने वर्ष 2019 के बाद से कश्मीर में अल्पसंख्यकों, कश्मीरी हिंदुओं और उन कश्मीरी मुस्लिमों को निशाना बनाया है जो कश्मीर में पाकिस्तानी और जिहादी एजेंडे को नाकाम बनाते हैं।टीआरएफ ने इस वर्ष श्री अमरनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा को निशाना बनाने की धमकी भी दी थी।
द रजिस्टेंस फ्रंट को लश्कर ए तैयबा ने 14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमले से पहले ही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के साथ मिलकर खड़ा करना शुरु कर दिया था। इस संगठन को खड़ा करने का मकसद लश्कर ए तैयबा के मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ते दबाव को कम करना और कश्मीर में आतंकवाद को स्थानीय रंग देना था। पांच अगस्त 2019 के बाद यह संगठन कश्मीर में पूरी तरह सक्रिय हो गया। टीआरएफ आए दिन इंटरनेट मीडिया के जरिए विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं, कश्मीर में रहने वाले अल्पसंख्यकों औ देश के विभिन्न राज्यों से रोजी रोटी कमाने आए लोगों को जान से मारने की धमकी देते हुए उन्हें इस्लाम व कश्मीर का दुश्मन करार देता है।
पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद को धमकाने और उन्हें केंद्र सरकार का एजेंट बताने से पहले यह संगठन जम्मू कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के चेयरमैन सैयद अल्ताफ बुखारी को भी धमका चुका है। इस संगठन ने कश्मीर फाइटस नामक एक प्रतिबंधित साइट पर जारी अपने बयान में पूर्व मुख्यमंत्री डा फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला के अलावा महबूबा मुफ्ती व उनके पिता स्व मुफ्ती मोहम्मद सईद को भी भारतीय एजेंट व कश्मीर का दुश्मन करार दिया है।
की गई हत्याओं को सही ठहराने का प्रयास करता है टीआरएफ : टीआरएफ वादी में अपनी किसी वारदात पर जब कभी भी जनाक्रोष पैदा होते देखता है तो वह इंटरनेट मीडिया व अन्य तरीकों से अपने कृत्य को सही ठहराने का प्रयास करते हुए यही कहता है कि जिसको कत्ल किया गया है, वह इस्लाम का दुश्मन था, वह आरएसएस के एजेंडे और कश्मीरी मुस्लिमों को अल्पसंख्यक बनाने के मिशन को कामयाब बनाने में लगा था। इस संगठन ने जम्मू कश्मीर का डोमिसाइल प्राप्त करने वाले अन्य राज्यों के नागरिकों के अलावा उन लोगों को भी मौत के घाट उतारने की धमकी दी जो कश्मीर में बसने के इच्छुक अन्य राज्यों के नागरिकाें केा जमीन बेचने का प्रयास करेगा।
कश्मीर में टारगेट किलिंग करने वाले भी टीआरएफ के आतंकी : जम्मू कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपना नाम न छापे जाने की शर्त पर बताया कि टीआरएफ ने अपने कैडर के वादी में अलग अलग माडयूल बना रखे हैं। प्रत्येक माडयूल में दो से पांच तक आतंकी शामिल रहते हैं और यह टारगेट किलिंग का जिम्मा किशोर उम्र के आतंकियों को जिनका कोई पुराना रिकार्ड नहीं होता, उन्हें ही सौंपने को तरजीह देता है। यह किसी एक क्षेत्र विशेष में अपने माडयूल के पकड़े जाने के बाद ही वहां अपने नए माडयूल को सक्रिय करता है और भर्ती के लिए इंटरनेट मीडिया के साथ साथ अपने ओवरग्राउंडवर्कर नेटवर्क के जरिए सिर्फ उन्हीं लड़कों को चिह्नित करता है जो जिहादी मानसिकता से ग्रस्त हों।
इंटरनेट मीडिया के जरिए रखते हैं हर गतिविधि पर नजर : टीआरएफ के आतंकी मुख्यत: पिस्तौल, ग्रेनेड ,आइईडी और स्टिकी बम का इस्तेमाल करते हैं। टीआरएफ अपने उसी कैडर को एसाल्ट राइफल समेत अन्य बड़े हथियार प्रदान करता है जो पुराने हों या फिर जिनके पास बड़ा हथियार चलाने का थोड़ा बहुत अनुभव हो। इस संगठन के हैंडलर इंटरनेट मीडिया के जरिए जम्मू कश्मीर में होने वाली हर राजनीतिक, प्रशासनिक व सामाजिक गतिविधि की निगरानी करते हैं और कश्मीर में सक्रिय अपने आन ग्राउंड नेटवर्क के जरिए अपने टारगेट को चुनते हैं। टीआरएफ ने मीडियाकर्मियोें के अलावा बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों के नाम भी हिटलिस्ट भी जारी की है।