Jammu Kashmir : अब निर्दलीयों के सहारे जुनैद मट्टू को हटाने की तैयारी
श्रीनगर नगर निगम के मेयर एवं पीपुल्स कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता जुनैद अजीम मट्टू के सक्रिय होने के साथ ही भाजपा ने उनके खिलाफ अविश्वासमत लाने की अपनी रणनीति भी बदल ली है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो । श्रीनगर नगर निगम के मेयर एवं पीपुल्स कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता जुनैद अजीम मट्टू के सक्रिय होने के साथ ही भाजपा ने उनके खिलाफ अविश्वासमत लाने की अपनी रणनीति भी बदल ली है। अब वह खुद नहीं, बल्कि निर्दलीय पार्षदों के जरिए उन्हें सत्ताच्युत करने की योजना पर काम कर रही है।
श्रीनगर नगर निगम में 70 पार्षद हैं, जिनमें भाजपा के चार ही निर्वाचित पार्षद हैं। कांग्रेस के सबसे ज्यादा 17, पीपुल्स कांफ्रेंस के 15, नेकां के 11 और 23 निर्दलीय पार्षद हैं। निर्दलीय पार्षदों में से नौ के बारे में दावा किया जाता है कि वह भाजपा में शामिल हो चुके हैं। श्रीनगर के मेयर जुनैद मट्टू और डिप्टी मेयर शेख इमरान दोनों का संबंध पीपुल्स कांफ्रेंस से है। शेख इमरान ने बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा था और वह कांग्रेस के सहयोग से डिप्टी मेयर बने हैं। उन्होंने मेयर पद के लिए भी चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। वह इसी साल पीपुल्स कांफ्रेंस में शामिल हुए हैं।
जुनैद मट्टू को श्रीनगर का मेयर बनाने में भाजपा का पूरा साथ रहा है, लेकिन पांच अगस्त 2019 के बाद से भाजपा और पीपुल्स कांफ्रेंस के रिश्तों में बहुत बदलाव आया है। सज्जाद गनी लोन, जुनैद और शेख इमरान उन राजनीतिक लोगों में शामिल हैं, जिन्हें प्रशासन ने गत पांच अगस्त को एहतियातन हिरासत में लिया था। जुनैद मट्टू को स्वास्थ्य के आधार पर सितंबर माह में रिहा किया गया था। उसके बाद वह उपचार के लिए मुंबई चले गए थे और गत सप्ताह ही श्रीनगर लौटे हैं।
रियासत की सियासत पर नजर रखने वालों के मुताबिक, जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को लेकर पीपुल्स कांफ्रेंस ने जिस तरह से नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी का साथ दिया है, उसे देखते हुए भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी सज्जाद गनी लोन से नाराज है। भाजपा इस समय पीपुल्स कांफ्रेंस को मजा चखाने के साथ ही श्रीनगर नगर निगम पर कब्जा करने के मूड में है, क्योंकि पांच अगस्त के बाद से मेयर व डिप्टी मेयर दोनों ही निगम की गतिविधियों से दूर थे। भाजपा ने इसका पूरा फायदा उठाते हुए पूरी तैयारी भी कर ली थी। प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सुनील शर्मा ने श्रीनगर में इसकी पूरी व्यूह रचना भी कर ली। उन्होंने कथित तौर पर 40 पार्षदों का समर्थन भी जुटा लिया।
भाजपा इसलिए मजबूर हुई रणनीति बदलने को
अलबत्ता, मेयर जुनैद अजीम मट्टू मुंबई से श्रीनगर पहुंच गए। उन्होंने कांग्रेस, नेकां व पीडीपी के उन सभी नेताओं से संपर्क किया और वह भाजपा के साथ जाने की तैयारी में जुटे पार्षदों को रोकने में सफल रहे। इससे भाजपा को अपनी रणनीति बदलने को मजबूर होना पड़ा है। भाजपा से जुड़े नेताओं की मानें तो अविश्वासमत के लिए नोटिस गत मंगलवार को जारी किया जाना था, लेकिन जिन पार्षदों को जमा किया गया था, उनमें से कुछ सोमवार की सुबह बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं हुए थे।
अविश्वासमत पर पीछे क्यों हट रही भाजपा: मट्टू
जुनैद मट्टू ने कहा कि भाजपा का काम ही चोर दरवाजे से सत्ता पर काबिज होना रह गया है। उसने देश के विभिन्न हिस्सों में यही किया है। महाराष्ट्र में उसने ऐसा करने का प्रयास किया, लेकिन मुंह की खाई। हम तो पहले ही दिन कह रहे हैं कि भाजपा अपना अविश्वासमत लाए, हम बहुत साबित करेंगे। आज भाजपा क्यों इससे पीछे हट रही है, यह सभी जानते हैं।
हम नहीं ला रहे थे अविश्वासमत : कौल
भारतीय जनता पार्टी के महासचिव अशोक कौल ने कहा कि हम अपने स्तर पर श्रीनगर के मेयर और डिप्टी मेयर के खिलाफ अविश्वासमत नहीं ला रहे थे और न लाना चाहते हैं। हमारे साथ कई निर्दलीय पार्षदों ने निगम के कामकाज को लेकर संपर्क किया था। वह कह रहे थे कि मेयर और डिप्टी मेयर के न होने से काम नहीं हो रहे हैं। हमारे पास निगम में 13 पार्षद हैं। इनमें से नौ अन्य दलों से संबंध रखने वाले थे जो विगत कुछ माह के दौरान भाजपा में शामिल हुए हैं। हमने साफ कहा है कि अगर निर्दलीय पार्षद अपने स्तर पर अविश्वासमत लाते हैं तो हम उनका समर्थन करेंगे।