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पाक की एक और चाल, गिलानी को निशान-ए-पाकिस्तान से नवाजा

पाकिस्तान की सरकार ने शुक्रवार को इस कट्टरपंथी अलगाववादी नेता को निशान-ए-पाकिस्तान के सम्मान से नवाजा है। यह सम्मान पाकिस्तान का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Aug 2020 07:03 AM (IST)Updated: Sat, 15 Aug 2020 07:03 AM (IST)
पाक की एक और चाल, गिलानी को निशान-ए-पाकिस्तान से नवाजा
पाक की एक और चाल, गिलानी को निशान-ए-पाकिस्तान से नवाजा

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर: कश्मीर में अलगाववादियों को साधने की कोशिश के तहत पाकिस्तान ने कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी को मोहरा बनाते हुए एक और चाल चली है। पाकिस्तान की सरकार ने शुक्रवार को इस कट्टरपंथी अलगाववादी नेता को निशान-ए-पाकिस्तान के सम्मान से नवाजा है। यह सम्मान पाकिस्तान का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है।

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पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान कट्टरपंथी नेता ने खुद प्राप्त नहीं किया, बल्कि उनकी तरफ से हुर्रियत कांफ्रेंस के उन नेताओं ने प्राप्त किया है, जिन्हें गिलानी ने गत माह हुर्रियत से अपने इस्तीफे के बाद सबसे ज्यादा लताड़ा था। उन पर गिलानी ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। इस्लामाबाद में यह सम्मान पाकिस्तान के राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी ने प्रदान किया है। गिलानी कार्यक्रम से दूर रहे। उनके करीबियों को भी सम्मान समारोह में नहीं बुलाया गया था। यहां तक कि गिलानी के करीबी अब्दुल्ला गिलानी को भी नहीं। अलबत्ता, गिलानी के विरोधी कहे जाने वाले हुर्रियत नेताओं में शामिल फारुक रहमारी, महमूद अहमद सागर, शेख मोहम्मद याकूब, इश्तियाक हमीद, निसार मिर्जा, शेख अब्दुल मतीन, मोहम्मद हुसैन खतीब, शमीम शॉल, मुश्ताक शाह, एडवोकेट परवेज अहमद, सईद किफायत हुसैन रिजवी और आदिल मुश्ताक वानी को बुलाया गया था।

गिलानी ने 29 जून को हुर्रियत कांफ्रेंस से किनारा करते हुए पाकिस्तान और हुर्रियत के कई नेताओं पर कश्मीरियों के साथ विश्वासघात करने और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान अपनी मर्जी और अपने हितों के मुताबिक कश्मीर में गतिविधियां चला रहा है। उन्होंने आरोप लगाया था कि पैसे के लालच में हुर्रियत के कई नेता पाकिस्तान का साथ दे रहे हैं। निशान-ए-पाकिस्तान सम्मान पाने वाले गिलानी दूसरे भारतीय और पहले कश्मीरी नागरिक हैं। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. मोरार जी देसाई भी निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित किए जा चुके हैं।

हुर्रियत से गिलानी ने इसलिए दिया था इस्तीफा

कट्टरपंथी नेता ने हुर्रियत के चेयरमैन पद से इस्तीफा गुलाम कश्मीर में अपने करीबी अब्दुल्ला गिलानी को हुर्रियत के गुलाम कश्मीर चैप्टर के संयोजक व अध्यक्ष पद से हटाए जाने बाद दिया था। अब्दुल्ला गिलानी के स्थान पर हुसैन मोहम्मद खतीब ने गुलाम कश्मीर में हुर्रियत की कमान संभाली है। उन्हें गिलानी के विरोधी गुट का अगुआ माना जाता है। वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ का भी करीबी है। पाक का हर पैंतरा फेल

दरअसल, कश्मीर में अब पाकिस्तान और आतंकियों का हर पैंतरा फेल हो रहा है। अलगाववादी ताकतें टूटकर बिखर चुकी हैं। इसीलिए गिलानी के इस्तीफे के बाद पाकिस्तान ने अलगाववादी खेमे को विभाजन से बचाने और गिलानी को शांत करने के लिए उन्हें निशान-ए-हैदर सम्मान देने का फैसला किया था।

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