Jammu Kashmir: उमर गुपचुप पहुंचे दिल्ली, नेकां में फूटे असंतोष के स्वर
सादिक ने हिरासत में लिए गए सभी नेताओं की रिहाई की मांग भी की है। तनवीर सादिक इस पर प्रतिक्रिया के लिए उपलब्ध नहीं हो पाए।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला सोमवार को अचानक दिल्ली रवाना हो गए। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर के सियासी हलकों में हलचल बढ़ी ही, नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) में भी असंतोष के स्वर उभरने लगे हैं। पार्टी के बड़ा धड़ा राज्य के पुनर्गठन के बाद बदले हालात में सुलह-समझौते का मार्ग अपनाने के प्रयास में है तो एक वर्ग अभी भी पुरानी सियासत को छोड़ने को तैयार नहीं है।
जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के बाद पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की जम्मू कश्मीर से बाहर पहली यात्रा है। किसी को भी उमर अब्दुल्ला की दिल्ली रवानगी के बारे में पहले कोई सूचना नहीं थी। नेकां नेता भी इसे छिपाने का प्रयास करते रहे। हालांकि शाम में उनकी यात्रा की बात सार्वजनिक होते ही पार्टी के भीतर भी हंगामा मच गया। नेकां सूत्रों के अनुसार कि उमर की दिल्ली यात्रा का मसौदा बीते सप्ताह ही तैयार हुआ था। उन्होंने बताया कि पार्टी का बड़ा वर्ग बदले माहौल में नए कश्मीर में सियासत शुरू करने के लिए जमीन तैयार कर रहा है। इसी कवायद के तहत उमर के राजनीतिक सचिव तनवीर सादिक ने एक अखबार में लेख लिखा। इसमें उन्होंने पुनर्गठन अधिनियम, अनुच्छेद 370 का जिक्र किए बगैर सुलह का माहौल बनाते हुए आगे बढ़ने पर जोर दिया है।
तनवीर सादिक ने अपने लेख में जम्मू कश्मीर में विभिन्न पाबंदियों को हटाने, राजनीतिक गतिविधियों को शुरू करने पर जोर दिया है। उमर अब्दुल्ला के दिल्ली दौरे और तनवीर सादिक के लेख को सियासी विश्लेषक जोड़कर देख रहे हैं। कश्मीर की राजनीति पर करीबी नजर रखने वाले आसिफ कुरैशी ने कहा कि उमर 14 दिन क्वारंटाइन में रहने तो दिल्ली नहीं गए होंगे। वह एक राजनीतिक शख्सियत हैं, इसलिए उनके दौरे को आप राजनीति से अलग नहीं कर सकते। उनके दौरे में राजनीति है और नेकां में कुछ पक रहा है, इसका अंदाजा आपको बडगाम के पूर्व विधायक और शिया नेता आगा सईद रुहैला मेहंदी के ट्वीट से हो जाएगा। उन्होंने डोमिसाइल कानून पर विचार, इंटरनेट पर पाबंदियां हटाने और राजनीतिक गतिविधियों की अनुमति का जिक्र करते हुए सवाल किया है कि आप इन सबके लिए सुलह की बात करते हैं। उनका सवाल सीधा तनवीर सादिक के लेख पर प्रतिक्रिया है।
सादिक ने हिरासत में लिए गए सभी नेताओं की रिहाई की मांग भी की है। तनवीर सादिक इस पर प्रतिक्रिया के लिए उपलब्ध नहीं हो पाए। अलबत्ता, आगा सईद रुहैल्ला ने कहा कि मैं अपने सहयोगी तनवीर सादिक साहब के विचारों से सहमत नहीं हूं। मैं केंद्र सरकार से नहीं कहूंगा कि हमें राजनीतिक गतिविधियों की इजाजत दो, सुलह के लिए 4जी बहाल करो। हम शर्ताें पर समझौता नहीं करेंगे। तनवीर सादिक ने जो लिखा है वह उनकी निजी राय है। अनुच्छेद 370 पर नेकां का स्टैंड स्पष्ट है। इसके लिए पार्टी की कार्यकारी समिति की बैठक की जरूरत नहीं है।
यूं समझें नेकां का पूरा असमंजस: नेशनल कांफ्रेंस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अनुच्छेद 370 और पुनर्गठन अधिनियम पर डा. फारूक अब्दुल्ला व उमर अब्दुल्ला की खामोशी को लेकर पार्टी का एक वर्ग असमंजस में हैं। फारूक ने रिहाई के बाद कहा था कि उमर अब्दुल्ला व अन्य नेताओं की रिहाई के बाद ही सियासी मुद्दों पर बात होगी। उमर रिहा हुए तो उन्होंने कोरोना का हवाला देकर सियासत से दूर रहने पर जोर दिया। इस बीच डोमिसाइल कानून भी आ गया और उन्होंने सिर्फ रस्मी तौर पर एक बयान जारी कर दिया। इसके बाद उनके राजनीतिक सलाहकार तनवीर सादिक के लेख से साफ है कि यह समझौते की हवा तैयार करने का प्रयास है। उमर ने भी लेख पढ़ा होगा पर उन्होंने इस पर प्रतिक्रिया नहीं दी। अब वह अचानक दिल्ली रवाना हो गए। बेशक यह उनका निजी दौरा है, लेकिन कोविड-19 के संक्रमण के बीच दिल्ली जाने की मजबूरी क्या रही।