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परिसीमन आयोग में शामिल नहीं होगी नेशनल कांफ्रेंस

केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश में परिसीमन के लिए गठित आयोग से नेशनल कांफ्रेंस ने शुक्रवार को किनारा कर लिया। नेकां प्रवक्ता आगा सईद रुहैल्ला ने कहा कि हमारा कोई भी सांसद परिसीमन आयोग में शामिल नहीं होगा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 30 May 2020 08:53 AM (IST)Updated: Sat, 30 May 2020 08:53 AM (IST)
परिसीमन आयोग में शामिल नहीं होगी नेशनल कांफ्रेंस
परिसीमन आयोग में शामिल नहीं होगी नेशनल कांफ्रेंस

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश में परिसीमन के लिए गठित आयोग से नेशनल कांफ्रेंस ने शुक्रवार को किनारा कर लिया। नेकां प्रवक्ता आगा सईद रुहैल्ला ने कहा कि हमारा कोई भी सांसद परिसीमन आयोग में शामिल नहीं होगा। केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के तहत विधानसभा क्षेत्रों को युक्तिसंगत बनाने के लिए परिसीमन अधिनियम 2000 के तहत छह मार्च को जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में परिसीमन आयोग गठित किया है। यह आयोग जम्मू कश्मीर के अलावा अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और असम में भी परिसीमन करेगा।

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जम्मू कश्मीर में परिसीमन कार्य को पूरा करने के लिए 26 मई को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने जम्मू कश्मीर के पांच सांसदों को आयोग में एसोसिएट सदस्य नामित किया है। इनमें पीएमओ में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह और जम्मू-पुंछ के सांसद जुगल किशोर शर्मा भी हैं। यह दोनों ही भाजपा सांसद हैं। अन्य तीन सांसदों में डॉ. फारूक अब्दुल्ला, मोहम्मद अकबर लोन और जस्टिस (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी हैं। यह तीनों ही नेशनल कांफ्रेंस के हैं। परिसीमन आयोग में नेकां सांसदों को शामिल किए जाने के दिन से ही स्थानीय सियासी हलकों में हलचल तेज हो गई थी। सभी नेकां के रुख पर नजर लगाए हुए थे कि वह इसका हिस्सा बनती है या दूर रहती है। नेकांध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने शुक्रवार सुबह ही परिसीमन आयोग में शामिल होने के मुद्दे पर कहा था कि हम अपने सभी प्रमुख साथियों के बाद ही परिसीमन आयोग को लेकर अपना अगला कदम उठाएंगे। अलबत्ता, शाम को नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख प्रवक्ता आगा सईद रुहैल्ला ने परिसीमन आयोग से दूर रहने के पार्टी के फैसले का एलान कर दिया।

आगा ने कहा कि यह परिसीमन आयोग जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 का परिणाम है। नेशनल कांफ्रेंस पुनर्गठन अधिनियम के खिलाफ है और हम इसका सर्वोच्च न्यायालय समेत हर जगह विरोध कर रहे हैं। परिसीमन आयोग या इससे जुड़ी किसी भी गतिविधि में शामिल होना एक तरह से पुनर्गठन अधिनियम को स्वीकारना है। यह हमारे लिए संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के संविधान के मुताबिक, जम्मू कश्मीर में विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन 2026 में ही देश के अन्य भागों में परिसीमन के समय होगा। जम्मू कश्मीर विधानसभा मे जब परिसीमन पर 2026 तक रोक लगाने का प्रस्ताव लाया गया था तो उस समय कांग्रेस और भाजपा ने भी इसका समर्थन किया था। इसलिए वर्तमान परिसीमन आयोग का गठन अनावश्यक और अन्यायोचित है। आयोग में शामिल करने से पहल राय लेनी चाहिए थी: मसूदी

नेकां सांसद जस्टिस (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी ने दैनिक जागरण के साथ फोन पर बातचीत में कहा कि हम कैसे उस प्रक्रिया का हिस्सा बन सकते हैं, जिसका हम विरोध कर रहे हैं। हमारा स्टैंड पहले ही दिन से स्पष्ट है। लोकसभा स्पीकर ने एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत ही हमें परिसीमन आयोग में नामजद किया है, क्योंकि जिस प्रदेश या राज्य में परिसीमन होना होता है, वहां के सांसदों को उसमें शामिल किया जाता है। लोकसभा स्पीकर ने हमें नामजद करने से पहले हमसे जरूर संपर्क करना चाहिए था। अगर वह हमसे हमारी राय जानने का प्रयास करते या हमारी सहमति पूछते तो हम उन्हें इन्कार कर चुके होते। पार्टी संगठन में मतभेद उभरने लगे थे

नेकां से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पार्टी में एक बड़ा वर्ग बीते कुछ महीनों से बदले हालात के साथ आगे बढ़ने का संकेत दे रहा है। वह चाहता था कि परिसीमन आयोग का हिस्सा बना जाए ताकि परिसीमन की प्रक्रिया में पार्टी के राजनीतिक हितों को सुनिश्चित किया जा सके। इस मुद्दे पर संगठन के विरोध भी मुखर होने लगे थे और गत दिनों आगा सईद रुहैल्ला और उमर अब्दुल्ला के राजनीतिक सलाहकार व सचिव तनवीर सादिक के बीच मतभेद पूरी तरह सार्वजनिक हो गए थे। स्थिति को संभालने के लिए खुद उमर को हस्ताक्षेप करना पड़ा था। सूत्रों ने बताया कि संगठनन में उभर रहे मतभेदों को दूर करने के लिए नेकां ने परिसीमन से दूर रहने का फैसला किया है।

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