नेकां का पंचायत व स्थानीय निकाय चुनावों के बहिष्कार का एलान
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राज्य में अक्टूबर और नवंबर में होने जा रहे स्थानीय निकाय व पंचायत चुनाव
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राज्य में अक्टूबर और नवंबर में होने जा रहे स्थानीय निकाय व पंचायत चुनावों की प्रक्रिया को झटका देते हुए प्रमुख राजनीतिक दल नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) ने चुनाव बहिष्कार का एलान कर दिया है। नेकां ने कहा कि जब तक केंद्र व राज्य सरकार अनुच्छेद 35ए के संरक्षण को यकीनी बनाए जाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाती, हम इन चुनावों में भाग नहीं लेंगे और वैसे ही कश्मीर में हालात मतदान लायक नहीं हैं।
राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव वर्ष 2010 और पंचायत चुनाव वर्ष 2016 से लंबित पड़े हुए हैं। राज्य प्रशासन ने इसी साल एक अक्तूबर से पांच अक्टूबर तक चार चरणों में स्थानीय निकाय और आठ नवंबर से चार दिसंबर तक आठ चरणों में पंचायत चुनाव कराने का एलान किया है।
नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने पार्टी महासचिव अली मोहम्मद सागर व अपने अन्य वरिष्ठ सहयोगियों संग नवाए सुब परिसर स्थित पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि हमने पंचायत व स्थानीय चुनावों में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है। डॉ. अब्दुल्ला ने कहा कि हमने आज पार्टी कोर ग्रुप की एक बैठक बुलाई थी। इसमें राज्य के मौजूदा राजनीतिक, सुरक्षा और सामाजिक परिदृश्य पर विचार-विमर्श किया। पंचायत व स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर भी चर्चा हुई। बैठक में सभी इस बात पर सहमत थे कि यहां हालात चुनाव लायक नहीं हैं। इसके अलावा इन चुनावों से कहीं ज्यादा अनुच्छेद 35ए जम्मू कश्मीर के लिए जरूरी है और उसे भंग करने की साजिश हो रही है। इसलिए सभी ने मिलकर चुनावों से दूर रहने का फैसला किया है।
डॉ. अब्दुल्ला ने कहा कि जब तक केंद्र व राज्य सरकार 35ए के संरक्षण को यकीनी बनाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाती, हम इन चुनावों में हिस्सा नही लेंगे। केंद्र व राज्य सरकार को 35ए के संरक्षण के लिए अदालत के भीतर और बाहर दोनों ही जगह उपाय करने होंगे। उन्होंने कहा कि राज्य में विशेषकर कश्मीर घाटी में इस समय हालात ठीक नहीं हैं। यहां रोज पथराव और हड़ताल हो रही है। मुठभेड़ हो रही हैं। ऐसा लगता है कि राज्य प्रशासन ने स्थानीय हालात का जायजा लिए बगैर ही पंचायत व स्थानीय निकाय चुनाव कराने का फैसला जल्दबाजी में लिया है।
डॉ. अब्दुल्ला ने कहा कि पार्टी का मानना है कि 35ए के साथ किसी भी तरह की छेड़खानी न सिर्फ हमारी रियासत के लिए बल्कि पूरे मुल्क के लिए खतरनाक साबित होगी। यहां लोग इसके संरक्षण के लिए एकजुट नजर आ रहे हैं और राज्य सरकार व केंद्र सरकार सर्वाेच्च न्यायालय में रियासत के लोगों की भावनाओं के खिलाफ नजर आती है।
नेकां अध्यक्ष ने कहा कि राज्य व केंद्र सरकार इस तथ्य को नजर अंदाज कर रही है कि अनुच्छेद 35ए को भारतीय संविधान में तत्कालीन राज्य सरकार व केंद्र सरकार के बीच विस्तृत विचार विमर्श के बाद ही शामिल किया गया है। यह प्रावधान 1952 के दिल्ली समझौते का एक हिस्सा बनाया गया है। संविधान के अनुच्छेद 370 के अंतर्गत राज्य संविधान सभा ने भी इसे अनुमोदित किया है। उन्होंने कहा कि हमारे कोर ग्रुप ने तय किया है कि जम्मू कश्मीर विशिष्ट पहचान और राज्य के संविधान के साथ किसी तरह की छेड़खानी की किसी भी साजिश को नाकाम बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। अगर 370 और 35ए के साथ छेड़खानी की साजिशों को अगर अनुमति दी गई तो राज्य और भारतीय संघ के बीच संबंधों की नींव ही हिलेगी।