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कश्मीर में अमन बहाली के लिए आतंकियों से भी बातचीत होः महबूबा मुफ्ती

Mehbooba Mufti. महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कश्मीर में अमन बहाली के लिए उचित समय पर आतंकियों से भी बातचीत होनी चाहिए।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 07:31 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 07:33 PM (IST)
कश्मीर में अमन बहाली के लिए आतंकियों से भी बातचीत होः महबूबा मुफ्ती
कश्मीर में अमन बहाली के लिए आतंकियों से भी बातचीत होः महबूबा मुफ्ती

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। रियासत की सियासत में अपना आधार बचाने को प्रयासरत पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्षा और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को कहा कि कश्मीर में अमन बहाली के लिए उचित समय पर आतंकियों से भी बातचीत होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने जेएनयू प्रकरण चार्जशीट को 2019 के लोकसभा चुनावों के साथ जोड़ते हुए कहा कि भाजपा अपने वोटों की खातिर कश्मीरियों का इस्तेमाल कर रही है। इसके नतीजे खतरनाक साबित होंगे। उन्होंने कहा कि धारा 35ए को कोई छेड़ न सके, इसकी व्यवस्था भी केंद्र को करनी होगी।

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दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में पीडीपी कार्यकर्ताओं समेत दक्षिण कश्मीर के विभिन्न हिस्सों से आए प्रतिनिधिमंडलों के साथ मुलाकात के बाद पत्रकारों से साथ बातचीत में महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यहां मारकाट माहौल बंद होना चाहिए। सुलह-समन्वय और बातचीत की नीति नई दिल्ली को अपनानी चाहिए। आतंकियों को मार कर यह मसला हल नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मैं आज कोई पहली बार नहीं कह रही हूं, 1996 में जब से मैं सियासत में आई हूं, कह रही हूं कि स्थानीय आतंकी सन ऑफ सायल है, वह यहां का बच्चा है, वह हमारा सरमाया है। उसे बचाया जाना चाहिए। लेकिन जब मुठभेड़ शुरू हो जाए तो फिर क्या किया जा सकता है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरा मानना है कि कश्मीर मेें अमन और इस मसले के हल के लिए पाकिस्तान व हुर्रियत के अलावा आतंकी नेतृत्व से भी बातचीत होनी चाहिए। पाकिस्तान और हुर्रियत से आप बातचीत करें और जब सही समय आए तो आप आतंकियों से भी बात करें, क्योंकि उनके हाथ में बंदूक है और वही बंदूक को शांत कर सकते हैं।

जेएनयू प्रकरण में दिल्ली पुलिस द्वारा गत रोज स्थानीय अदालत में दायर आरोप पत्र संबंधी सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के चुनाव से पहले इसी तरह कांग्रेस ने अफजल गुरु को 28वें नंबर से उठाकर फांसी दी थी। कांग्रेस सोचती थी कि उसे इस तरह कामयाबी मिलेगी। भाजपा भी वही दोहरा रही है। बीजेपी भी वही कार्ड खेल रही है। उन्होंने कन्हैया, उमर खालिद के अलावा जेएंडके के सात-आठ स्टूडेंट्स के खिलाफ चाजर्शीट दायर की है। यह चार्जशीट पूरी तरह गलत है। ऐसा महसूस हो रहा कि यह 2019 के इलेक्शन की तैयारी में जेएंडके लोगों को फिर से माेहरा बनाया जा रहा है। उनको इस्तेमाल किया जा रहा है। यह वोट की राजनीति हो रही है। इसके नतीजे बहुत खराब हो सकते हैं।

भाजपा के साथ गठबंधन पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमने भाजपा के साथ गठजोड़, उसे मिले जनादेश के आधार पर किया था। हम चाहते थे कि जिस तरह से वाजपेयी जी के समय में जम्मू कश्मीर में अमन का माहौल बना था,पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधरे थे,उसी तरह मोदी जी से भी उम्मीद थी। लेकिन मोदी जी जनादेश प्राप्त होने के बावजूद वाजपेयी जी के रास्ते पर नहीं चल सके।

महबूबा ने कहा कि कई लोग भाजपा के साथ हाथ मिलाने के हमारे फैसले को लेकर नाराज हैं। लेकिन हमें यकीन है जल्द ही लोग समझेंगे कि आखिर हमने यह कदम क्यों उठाया था। भाजपा को कश्मीर के प्रति अपना दुराग्रह छोड़ना होगा। इससे पूर्व कार्यकर्त्ताओं व अन्य प्रतिनिधिमंडलों से बातचीत में महबूबा ने कहा कि पीडीपी के गठन से रियासत में एक नई क्रांति का आगाज हुआ है। पीडीपी ने शुरू से ही राज्य के लोगों के मान-सम्मान, राजनैतिक-सामाजिक-आर्थिक हितों की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

महबूबा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का भारतीय गणतंत्र में एक विशेष स्थान है और उसकी इस स्थिति को किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। धारा 35-ए हमारी लिए जिंदगी और मौत का सवाल है। किसी को भी राज्य के लोगों की पहचान को दुनिया की किसी भी अदालत में चुनौती देने का अधिकार नहीं है। केंद्र सरकार को चाहिए कि वह धारा 35ए पर पैदा होने वाले विवाद या फिर इसी वैधता को चुनाैती देने वाली किसी भी संभावना को हमेशा के लिए खारिज करने के लिए इसे पूरी तरह मजबूत बनाए। उन्होंने कहा कि जो लोग रियासत की एकता और अखंडता व विशिष्टता को भंग करने के लिए हमेशा साजिशें करते हैं, एक बात याद रखें कि वह अब ज्यादा देर तक कश्मीर के लोगों को नहीं डरा सकेंगे। इन तत्वों को याद होना चाहिए कि हमने पहले भी ऐसी साजिशों को नाकाम बनाया है और आगे भी बनाएंगे।

पीडीपी अध्यक्षा ने कहा कि राष्ट्रीय नेतृत्व को पता होना चाहिए कि कश्मीरी एक सूखी घास की जमीन है,,जिसमें एक जलता हुआ एक कोयला है जो हवा के किसी भी झोंके से इस घास को आग लगा देगा। अगर ऐसा हुआ तो पूरे उपमहाद्वीप में हालात और ज्यादा बिगड़ जाएंगे। उन्होंने कहा कि कोई भी जंग मासूमों को बंदूक का निशाना बनकर नहीं जीती जा सकती। कश्मीर को जंग का मैदान बनाने के बजाय भारत सरकार को पाकिस्तान और हुर्रियत के साथ सुलह-समन्वय व बातचीत की पहल करनी चाहिए। भारत-पाक को सरहदों पर शांति का एलान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पीडीपी ने कभी अपने उसूलों से समझौता नहीं किया है और यही कारण है कि भाजपा ने हमारे साथ अपना नाता तोड़ा है। 


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