Move to Jagran APP

पीडीपी ने खेला मुस्लिम और क्षेत्रवाद का कार्ड

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राज्य में सत्ता को फिर से हासिल करने के लिए मुस्लिम और क्षेत्रवाद का क

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Dec 2018 08:25 AM (IST)Updated: Sat, 08 Dec 2018 08:25 AM (IST)
पीडीपी ने खेला मुस्लिम और क्षेत्रवाद का कार्ड
पीडीपी ने खेला मुस्लिम और क्षेत्रवाद का कार्ड

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राज्य में सत्ता को फिर से हासिल करने के लिए मुस्लिम और क्षेत्रवाद का कार्ड खेलते हुए पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने जम्मू संभाग में चिनाब और पीरपंजाल क्षेत्र को भी डिवीजन बनाने की मांग शुरू कर दी है। उन्होंने यह मांग लद्दाख को अलग डिवीजन बनाए जाने की राज्यपाल प्रशासन की प्रस्तावित योजना का विरोध करते हुए की है।

loksabha election banner

लद्दाख इस समय कश्मीर डिवीजन का एक हिस्सा और लंबे समय से स्थानीय संगठन इसे एक अलग संभाग का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। राज्यपाल प्रशासन द्वारा लद्दाख प्रांत को अलग डिवीजन बनाए जाने के प्रस्ताव पर मुहर लगाए जाने की चर्चा जारी है। अगर ऐसा होता है तो कश्मीर घाटी का लद्दाख पर राजनीतिक और प्रशासनिक वर्चस्व समाप्त होगा। ऐसे में पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती जो इस समय राज्य में अपने सियासी कुनबे और जमीन को बचाने व दोबारा सत्ता में लौटने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं, ने चिनाब और पीरपंचाल क्षेत्र को डिवीजन बनाने का मुद्दा छेड़ दिया है। पीडीपी राज्य में सत्याग्रह करने को तैयार :

महबूबा ने श्रीनगर में पत्रकार वार्ता में डिवीजन के मुद्दे को सियासी रंग देने और इसे पूरी तरह एक वर्ग विशेष के साथ जोड़ने का प्रयास करते हुए कहा कि अगर चिनाब रिजन और पीरपंचाल रिजन को डिवीजन का दर्जा नहीं मिला तो पीडीपी अन्य दलों के साथ मिलकर राज्य में सत्याग्रह करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि लद्दाख को डिवीजन बनाने की फिलहाल कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि वहां पहले ही क्षेत्रीय परिषदें हैं। राज्यपाल सत्यपाल मलिक एक दल विशेष के एजेंडे के तहत काम करते हुए यह कदम उठाने जा रहे हैं। हम लद्दाख को डिवीजन बनाए जाने के खिलाफ नहीं हैं, अगर लद्दाख को डिवीजन बनाना है तो जम्मू संभाग में जिला डोडा, रामबन व किश्तवाड़ को चिनाब डिवीजन और जिला राजौरी-पुंछ को पीरपंचाल डिवीजन का दर्जा दिया जाए। यह क्षेत्र अत्यंत पिछड़े हुए हैं। नेकां-पीडीपी ने दिया है चिनाब रीजन और पीरपंचाल रीजन का नाम :

राज्य में चिनाब रीजन और पीरपंचाल रीजन कोई परिभाषित और सरकारी नाम नहीं हैं। कश्मीर केंद्रित और मुस्लिम वोटों के आधार पर सियासत करने वाली नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी ही इन शब्दों को बीते एक दशक से इस्तेमाल कर रही हैं। अलबत्ता, डोडा क्षेत्र जो अब तीन जिलों में बंटा हुआ है, को सबसे पहले चिनाब रीजन अथवा चिनाब वैली के तौर पर पूर्व सांसद शेख अब्दुर रहमान ने संबोधित किया था। यह पूरा क्षेत्र मुस्लिम बहुल है और इन्हीं इलाकों में पीडीपी, नेकां का एक बड़ा वोट बैंक है, जिसे पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा ने तोड़ा है। लोकतांत्रिक व्यवस्था से जुड़े मामलों में हस्ताक्षेप कर रहे राज्यपाल :

पीडीपी अध्यक्ष ने वनीय भूमि पर अतिक्रमण को सही ठहराने वाले रोशनी अधिनियम को रद करने के राज्यपाल के फैसले पर भी अप्रसन्नता जताई। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के इस फैसले से गुज्जर-बक्करवाल समुदाय ही सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। उन्होंने स्टेट सब्जेक्ट जारी करने की प्रक्रिया में बदलाव लाने का भी प्रयास किया, जम्मू कश्मीर बैंक को पीएसयू बनाने की कोशिश की। महबूबा ने कहा कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक कां यहां नीतिगत और बड़े प्रशासनिक मुद्दों पर फैसले नहीं लेने चाहिए। वह यहां लगातार कुछ ऐसे फैसले ले रहें हैं जो रियासत के लिए बहुत अहम है। वह यहां की लोकतांत्रिक व्यवस्था से जुड़े मामलों में हस्ताक्षेप कर रहे हैं। इससे लगता है कि कोई ताकत है जो उनसे ऐसा करवा रही है। उन्हें जो इस विषय में सलाह दे रहे हैं, वह सही नहीं हैं तभी तो राज्यपाल को अपने कुछ फैसले बाद में बदलने पड़े या वापस लेने पड़े हैं। उन्हें यह काम राज्य में एक निर्वाचित सरकार के लिए छोड़ देने चाहिए। राज्यपाल के फैसलों से राज्य में असुरक्षा का माहौल बना है, लोगों में संशय की स्थिति पैदा हुई है। चुनावों के समय लोग आते-जाते रहते हैं :

पीडीपी में जारी उथल-पुथल व मुजफ्फर हुसैन बेग और डॉ. हसीब द्राबु के बारे में पूछे गए सवालों से बचते हुए महबूबा ने कहा कि चुनावों के समय लोग आते-जाते रहते हैं। हमें द्राबू साहब के जाने पर अफसोस है, क्योंकि उन्हें मुफ्ती साहब ने बहुत यकीन और मुहब्बत के साथ लाया था। मेरी तरफ से उन्हें शुभकामनाएं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.