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जम्मू-कश्मीरः 15 सितंबर के आसपास शुरू होगी नेताओं की रिहाई, महबूबा व उमर को करना होगा इंतजार

Mehbooba Mufti. जम्मू-कश्मीर में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की रिहाई में अभी समय लग सकता है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Fri, 30 Aug 2019 03:43 PM (IST)Updated: Fri, 30 Aug 2019 04:39 PM (IST)
जम्मू-कश्मीरः 15 सितंबर के आसपास शुरू होगी नेताओं की रिहाई, महबूबा व उमर को करना होगा इंतजार
जम्मू-कश्मीरः 15 सितंबर के आसपास शुरू होगी नेताओं की रिहाई, महबूबा व उमर को करना होगा इंतजार

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में माहौल सामान्‍य देख केंद्र सरकार ने फिर से राज्‍य में सियासी गतिविधियां सामान्‍य करने की तैयारी शुरू कर दी हैं। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए एहतियातन हिरासत में लिए मुख्‍य धारा के सियासी दलों के नेताओं व कार्यकर्ताओं की रिहाई भी जल्‍द शुरू हो जाएगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने चरणबद्ध रिहाई का कार्यक्रम तय कर दिया है और जल्‍द स्थिति साफ भी होगी। पहले चरण में 190 लोगों को रिहा करने की तैयारी है। अलबत्ता, दो पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की रिहाई में अभी समय लग सकता है।

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राज्य गृह विभाग के अधिकारी ने साफ किया कि फिलहाल केवल मुख्‍यधारा के सियासी दलों के नेताओं को रिहा किया जाना है। हिरासत में लिए गए अलगाववादी खेमे के किसी भी नेता को रिहा नहीं किया जा रहा है। सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि रिहाई बाद यह नेता किसी तरह से कानून व्यवस्था की स्थिति का संकट पैदा न करें। यह प्रक्रिया सितंबर के दूसरे पखवाड़े के आसपास शुरू होगी। इसकी भी एक कार्ययोजना बनाई गई है। इसके तहत इन नेताओं को किसी सियासी बैठक या बड़ी रैली से दूर रहना होगा और विवादास्पद और भड़काऊ बयानबाजी से बचना होगा। अन्यथा, इन्हें दोबारा हिरासत में लिया जाएगा।

गौरतलब है कि प्रशासन ने हालात पर काबू पाने के लिए नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस, पीडीपी, माकपा, पीडीएफ, अवामी इत्तेहाद पार्टी, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट, पीपुल्स कांफ्रेंस समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के करीब डेढ़ हजार नेताओं व कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है या फिर उन्हें नजरबंद बनाया गया है। दो पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती भी हिरासत में हैं, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ फारूक अब्दुल्ला अपने ही घर में नजरबंद हैं। सज्जाद गनी लोन और इमरान रजा अंसारी समेत 45 प्रमुख नेताओं को शेरे कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर परिसर में स्थित सेंटूर होटल में रखा गया है। इस होटल को सबजेल का दर्जा दिया गया है।

राज्य गृह विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वादी के हालात की लगातार समीक्षा करने और विभिन्‍न एजेंसियों की फीडबैक के आधार ही हिरासत में लिए गए या फिर नजरबंद बनाए गए राजनेताओं व कार्यकर्ताओं को रिहा करने का फैसला किया गया है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय गृहमंत्रालय का मानना है कि इन लोगों की रिहाई से जम्मू-कश्मीर में विशेषकर कश्मीर घाटी में एक तरह से हालात को सामान्य बनाने और राजनीतिक गतिविधियों को शुरू करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा अक्टूबर के अंत तक राज्य में पंचायत राज व्यवस्था के तहत ब्लॉक विकास परिषदों के चुनाव भी होने हैं।

केंद्रीय टीम ने किया था दौरा

उन्होंने बताया कि गत सप्ताह नई दिल्ली से केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों के अलावा केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के तीन वरिष्ठ अधिकारी भी कश्मीर दौरे पर आए थे। उनकी राज्य पुलिस व नागरिक प्रशासन के आलाधिकारियों के साथ बैठक हुई है। उन्होंने सीआरपीएफ के अधिकारियों से भी कानून-व्यवस्था पर विचार किया। इसके अलावा इन लोगों ने हरिनिवास में रखे गए पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और चश्माशाही स्थित सरकारी अतिथि गृह में बंद पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से भी मुलाकात की थी। राज्य के हालात का जायजा लेने के बाद यह लोग दिल्ली लौटे थे। यह प्रतिनिधिमंडल विशेष तौर पर राजनीतिक लोगों की रिहाई की प्रक्रिया के संदर्भ में ही कश्मीर आया था।

हालात का आकलन कर रहा केंद्र

केंद्रीय गृह मंत्रालय व राज्य प्रशासन इस समय पहले चरण में रिहा किए जाने वाले नेताओं व उनकी संख्या पर विचार कर रहा है। इसके अलावा इनकी सुरक्षा और इनकी रिहाई से जम्मू-कश्मीर के हालात पर होने वाले असर का भी आकलन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि रिहा किए जाने वाले नेताओं की गतिविधियों से जुड़े मसले पर भ‍ी विचार किया जा रहा है। सरकार नहीं चाहती कि किसी को भी हालात बिगाड़ने का अवसर मिले। उन्होंने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य प्रशासन रिहाई की प्रक्रिया को परिस्थितियों के अनुकूल रहने पर 15 सितंबर के आस-पास शुरू करेगा, लेकिन दो पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला व महबूबा मुफ्ती को पहले चरण में रिहा किए जाने वाले नेताओं की प्रस्तावित सूची से फिलहाल बाहर रखा गया है। इस सूची में पीडीएफ चेयरमैन हकीम यासीन के अलावा इमरान रजा अंसारी, शेख इमरान, सरताज मदनी के नाम बताए जा रहे हैं।  

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