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हमारे योद्धा : आओ कुदरत से हाथ मिलाएं, खाली समय में घरों में आैषधीय पौधे लगाएं

कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे से कश्मीर में ठप सामान्य जनजीवन के बीच शनिवार को मोहम्मद अफजल पर्रे अपने घर के सामने पार्क में पहुंचे। उन्होंने एक कुदाल उठाई और जमीन को कुछ खोदा।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 22 Mar 2020 04:02 PM (IST)Updated: Sun, 22 Mar 2020 04:02 PM (IST)
हमारे योद्धा : आओ कुदरत से हाथ मिलाएं, खाली समय में घरों में आैषधीय पौधे लगाएं
हमारे योद्धा : आओ कुदरत से हाथ मिलाएं, खाली समय में घरों में आैषधीय पौधे लगाएं

श्रीनगर, नवीन नवाज  । कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे से कश्मीर में ठप सामान्य जनजीवन के बीच शनिवार को मोहम्मद अफजल पर्रे अपने घर के सामने पार्क में पहुंचे। उन्होंने एक कुदाल उठाई और जमीन को कुछ खोदा। फिर उसमें एक पौधा लगाया। इतनी देर में उनके दो पड़ोसी भी पहुंच गए। उन्होंने हाथ मिलाना चाहा तो अफजल पर्रे ने बड़ी शालीनता से उन्हें मना करते हुए कहा कि बेहतर रहेगा कि हम कुदरत से हाथ मिलाएं। आप भी आएं और पौधे लगाएं, लेकिन दूर-दूर रहकर। यह सुनते ही सभी के चेहरों पर मुस्कुराहट के भाव आ गए और तीनों पौधे लगाने में जुट गए।

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बडगाम के ओमपोरा में रहने वाले कश्मीर चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के पूर्व प्रधान मोहम्मद अफजल पर्रे के लिए पौधे लगाना, पार्कों, बाग-बगीचों और नदी नालों की जमीन को अतिक्रमण से बचाना एक मिशन है। उन्हें यह मिशन अपने पिता से विरासत में मिला है। अफजल पर्रे ने कहा कि मेरे पिता मोहम्मद सिद्दीक पर्रे का देहांत 106 साल की उम्र में हुआ था। वह पर्यावरण संरक्षण को लेकर बहुत जागरूक थे। वह जहां भी जाते वहां एक पौधा जरूर लगाते। हमारे परिवार के कुछ लोग अमेरिका और यूरोपीय मुल्कों में रहते हैं, मेरे पिता जब उनके पास जाते थे तो वहां भी पार्कों में पौधा लगाते थे। मोहम्मद अफजल पर्रे ने कहा कि आज 21 मार्च है। आज जम्मू कश्मीर में आरबर डे है और इस दिन पौधे लगाए जाते हैं। मेरे लिए यह दिन बहुत अहम है, क्योंकि मेरे पिता का देहांत भी आज ही के दिन हुआ था। इसलिए मैं आज के दिन हर हाल में पौधा लगाता हूं। आसपास लगे पेड़ों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह जमीन पार्क के लिए चिन्हित थी, लेकिन सरकार पार्क नहीं बना रही थी। मैंने खुद 35 हजार रुपये से इसकी चहारदिवारी करवाई। फिर आसपास के लोग भी शामिल हो गए और सभी ने मिलकर अपने संसाधनों से इस पार्क को तैयार किया। उन्होंने कहा कि आज हमने श्रीनगर और बडग़ाम में दो जगहों पर पौधारोपण के लिए जाना था, लेकिन कोरोना वायरस के संकट के चलते हमने इस कार्यक्रम को टाल दिया, लेकिन मुझे अपनी जिम्मेदारी निभानी थी और मैंने यहां पार्क में ही पेड़ लगाने का फैसला किया।

खाली समय में घरों में औषधीय पौधे लगाएं  

पार्क में मदद करने आए पड़ोसी ने कहा कि कोरोना वायरस के संकट को रोकने के लिए सबसे जरूरी उपाय एक-दूसरे से दूरी और पर्यावरण से नजदीकी है। उन्होंने कहा कि इस समय कोरोना वायरस के चलते कारोबार, स्कूल-कॉलेज बंद हैं, लोग अपने घरों के भीतर हैं। ऐसे समय का भी हमें सदुपयोग करना चाहिए। मोहम्मद अफजल पर्रे ने कहा कि लोग चाहें तो वह हमारी तरह एक दूसरे से पर्याप्त दूरी बनाकर अपने घर के आसपास के वातारण को साफ बनाएं और पौधे लगाएं। जरूरी नहीं कि घर से बाहर निकलें, आप अपने घर में खाली जमीन, लॉन में भी छोटे औषधीय पौधे तैयार कर सकते हैं। इस तरह से आपको बंद का अहसास भी नहीं होगा। आप खुद को प्रकृति के करीब महसूस करेंगे तो कोरोना को हराने का आपका इरादा और मजबूत होगा।


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