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सियासी जमीन को फिर से हासिल करने की है चुनौती

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती 434 दिन की कैद के बाद मंगलवार को रिहा हो गई पर उनकी चुनौतियां अभी समाप्त नहीं हुई हैं। अलबत्ता एक साल के दौरान जम्मू कश्मीर की सियासत और संवैधानिक व्यवस्था पूरी तरह बदल चुकी है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 06:09 AM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 06:09 AM (IST)
सियासी जमीन को फिर से हासिल करने की है चुनौती
सियासी जमीन को फिर से हासिल करने की है चुनौती

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती 434 दिन की कैद के बाद मंगलवार को रिहा हो गई पर उनकी चुनौतियां अभी समाप्त नहीं हुई हैं। अलबत्ता, एक साल के दौरान जम्मू कश्मीर की सियासत और संवैधानिक व्यवस्था पूरी तरह बदल चुकी है। बदले माहौल में अपनी सियासी जमीन को फिर से हासिल कर खुद को जम्मू कश्मीर सियासत में प्रासंगिक साबित करना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। हालांकि उन्होंने पहले वक्तव्य से ही साफ कर दिया गया कि वह अपनी लाइन जारी रखेंगी और 370 के मसले पर जनभावनाएं भुनाने की कोशिश करेंगी।

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इसके अलावा पीडीपी के ज्यादातर पुराने सिपहसालार भी उनसे किनारा कर चुके हैं और जो अभी पीडीपी की किश्ती में सवार हैं, वह पूरी तरह से निष्क्रिय पड़े हैं। अपने सियासी कुनबे को संभालना और निरुत्साहित व निराश कैडर में नई जान फूंकना भी महबूबा के लिए आसान नहीं होगा। यह देखना भी अत्यंत दिलचस्प होगा कि वह किस तरह बागियों की नकेल कसते हुए पार्टी को संभालेंगी। किस तरह से नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स काफ्रेंस के साथ समन्वय बनाकर अपनी सियासी गाड़ी आगे बढ़ाएंगी। यहां बता दें कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को 14 माह (434 दिन) की हिरासत के बाद मंगलवार को रिहा कर दिया गया। महबूबा की रिहाई के लिए सर्वाेच्च न्यायालय में दायर याचिका पर 15 अक्टूबर को सुनवाई होनी थी। महबूबा की रिहाई को प्रदेश में राजनीतिक गतिविधियों की बहाली की दिशा में केंद्र सरकार के एक बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है। प्रदेश में जल्द ही पंचायत उपचुनाव होने वाले हैं।

महबूबा को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को लागू किए जाने के मद्देनजर प्रदेश प्रशासन ने एहतियातन पांच अगस्त 2019 की सुबह हिरासत में लिया था। इसके बाद इसी साल फरवरी में उन्हें जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत बंदी बनाया गया था। उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने रिहाई की पुष्टि करते हुए कहा कि महबूबा मुफ्ती की हिरासत मंगलवार को समाप्त हो गई है। इस मुश्किल वक्त में साथ देने वालों की मैं आभारी हूं।

15 दिन पहले ही सर्वोच्च न्यायालय ने महबूबा की रिहाई के लिए उनकी बेटी इल्तिजा की याचिका पर सुनवाई करते हुए जम्मू-कश्मीर प्रदेश प्रशासन से पूछा था कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री की कैद को जन सुरक्षा अधिनियम के तहत एक साल से आगे बढ़ाया जा सकता है। अगर बढ़ाया जा सकता है तो इसे कितने समय के लिए और बढ़ाए जाने पर विचार किया जा रहा है। अदालत ने प्रदेश प्रशासन को अपना पक्ष रखने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था। इस मामले की सुनवाई 15 अक्टूबर को होनी थी। मार्च में रिहा हो गए थे फारूक और उमर

मार्च माह की शुरुआत में पूर्व मुख्यमंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला को रिहा कर दिया गया था। मार्च माह के अंत में ही उमर अब्दुल्ला को रिहा किया गया। इसके बाद अली मोहम्मद सागर, वहीद उर रहमान पारा, नईम अख्तर अन्य सभी नेताओं को भी अगस्त माह के अंत तक पीएसए से मुक्त कर दिया गया। सिर्फ महबूबा ही पीएसए के तहत बंदी रह गई थी।

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आज पार्टी नेताओं से मिलेंगी

पीडीपी के प्रवक्ता सुहेल बुखारी ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष बुधवार और वीरवार को पार्टी के वरिष्ठजनों से मुलाकात करेंगी। उसके बाद शुक्रवार को मीडिया से भी मिलेंगी। इसी दौरान वह पीडीपी की अगली रणनीति का भी एलान कर सकती हैं।

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370 की लड़ाई जारी रखने का एलान

434 दिन बाद रिहा हुई महबूबा मुफ्ती ने पुनर्गठन अधिनियम के खिलाफ लोगों को लामबंद करने का संकेत दिया। उन्होंने एक ऑडियो संदेश में कहा कि हम सभी को इरादा करना होगा कि दिल्ली दरबार ने जिस असंवैधानिक तरीके से हमारा हक छीना है और उसे हर हाल में वापस लेना है।


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