जिहाद के नाम पर 'खेल', कश्मीर में 65 से ज्यादा युवक बन चुके हैं आतंकी
kashmiri youth. इस साल कश्मीर में 65 से ज्यादा युवक आतंकी संगठनों में शामिल हो चुके हैं। इनमें 10 विभिन्न मुठभेड़ों में मारे गए हैं।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। स्थानीय युवकों को जिहादियों से बचाने के लिए राज्य प्रशासन और एजेंसियों के अभियान खास रंग नहीं ला रहे हैं। इस साल कश्मीर में 65 से ज्यादा युवक आतंकी संगठनों में शामिल हो चुके हैं। इनमें 10 विभिन्न मुठभेड़ों में मारे गए हैं। पूरी वादी में 265 आतंकी सक्रिय हैं। इनमें 169 स्थानीय ही हैं। आतंकी बनने वाले इन युवकों में आतंकियों से मुक्त करार दिए जिला बारामुला का रहने वाला अदनान अहमद चन्ना भी है। बारामुला के आजादगंज का चन्ना दो माह पहले लापता हुआ था। एक सप्ताह पहले उसके आतंकी बनने की पुष्टि हुई है। वह भी सोशल मीडिया पर 15 जून को वायरल हुई उसकी एक तस्वीर के आधार पर। वह लश्कर ए तैयबा का हिस्सा बना है। उसका कोड नाम सैफुल्ला भाई है।
अदनान के आतंकी बनने से चंद दिन पहले ही बारामुला जिले हामरे पटटन के जुनैद फारूक ने नौ जून को हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकी बनने का एलान किया था। वह अंग्रेजी में एमए है। जिस दिन सोशल मीडिया पर जुनैद की तस्वीर वायरल हुई उसी दिन शोपियां का मुनीब भी घर से गायब हो गया। बीएससी तृतीय वर्ष का मुनीब लापता होने के बाद से कहीं नहीं मिला है। सूत्रों की मानें तो मुनीब एजीएच या फिर जैश का हिस्सा बन चुका है। बीते मंगलवार को पुलवामा के हकरीपोरा का नाजिम डार कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ लश्कर का रेहान भाई बन गया है। वह 17 जून को आतंकी संगठन में सक्रिय हुआ है। तिरछल पुलवामा इरशाद अहमद डार अरबी भाषा में पढ़ाई छोड़ जिहादी बन गया है। वह एक मदरसे का छात्र रहा है। केसर के लिए विख्यात पांपोर के संबूरा का इरशाद उर्फ अबु उसामा और रफीक अहमद डार इसी माह की शुरुआत में पहली जून को आतंकी बने हैं।
जिला कुपवाड़ा में गुलगाम का इम्तियाज अहमद मीर भी अपनी पढ़ाई छोड़ 12 जून को आतंकी बना। दो दिन पहले बरो बंडिना अवंतीपोरा के 21 वर्षीय आकिब वानी घर से गायब हो गया। वह इस्लामिक यूनिर्विसटी में पीजी का रहा था। उसके भी आतंकी संगठन में शामिल होने का दावा किया जा रहा है। उसका एक भाई आतकी था, जो 2008 में लोलाब में मुठभेड़ में मारा गया था। युवाओं के आतंकी बनने पर चिंता राज्य पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह और श्रीनगर स्थित सेना की 15वी कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लन ने भी आतंकी संगठनों में युवाओं के शामिल होने पर चिंता जताते हुए बीते दिनों स्वीकार किया कि 40 से ज्यादा स्थानीय लड़के आतंकी बने हैं।
मजहब के नाम पर बरगलाते हैं
राज्य पुलिस में एसएसपी रैंक के एक अधिकारी ने नाम न छापे जाने की शर्त पर कहा कि हम उन्हीं लड़कों को आतंकी संगठन में शामिल मानते हैं जिनकी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होती है या जो किसी वारदात में लिप्त पाए जाते हैं। कई मामलों में हमने देखा है कि जब किसी लड़के के आतंकी बनने पर उसकी तस्वीर वायरल होती है तो उसके बाद उसके परिजन शिकायत दर्ज कराते हैं। इसलिए यह कहा जाता है कि लापता लड़कों और आतंकी बनने वाले लड़कों की संख्या ज्यादा है। हमारे पास जो आंकड़े जमा हैं। उनके मुताबिक यह संख्या 65 से 70 के बीच है। इनमें से 10 लड़के विभिन्न मुठभेड़ों में मारे जा चुके हैं। 11 लड़कों वापस लाया गया है,लेकिन वह आतंकी बने 65 लड़कों के अलावा हैं। स्थानीय युवकों के आतंकी बनने संबधी कारणों का जिक्र करते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आतंकी संगठनों से जुड़ने वाले अधिकांश युवकों का किसी न किसी तरीके से आतंकवाद के साथ संबध रहा है। कई ओवरग्राउंड वर्कर रहे हैं या फिर कई आतंकियों के रिश्तेदार हैं।
आतंकियों और उनके सरगनाओं द्वार चलाया जा रहा दुष्प्रचार उन्हें जिहाद की तरफ ले जा रहा है। आतंकियों के ओवरग्राउंड वर्कर विभिन्न इलाकों में नौजवानों की निशानदेही करते हुए उन्हें मजहब नामक पर बरगलाते हैं क्योंकि मजहब के नाम पर किसी को गुमराह करना आसान रहता है। आतंकियों का जिस तरह से कई मजहबी व अलगाववादी नेता महिमामंडन करते हैं, आतंकियों के जनाजे में भीड़ जमा होती है, उससे भी कई लड़के जिहादी बनने की राह पर चल निकलते हैं।
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