कश्मीर: बेग के रुख पर अटकी है नए सियासी संगठन की घोषणा, PDP के सामने संकट!
अभी पीडीपी छोड़ने का औपचारिक एलान नहीं किया है बेग ने- कमान कौन संभाले इस पर अड़ा पेंच
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में नए सियासी मोर्चे के उदय की घोषणा पूर्व उपमुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के संरक्षक मुजफ्फर हुसैन बेग के रुख के कारण कुछ दिन के लिए टल गई है। फिलहाल, उन्हें मनाने की कवायद जारी है। हालांकि इस मोर्चे के पैरोकार दावा कर रहे हैं कि जल्द ही सब साफ हो जाएगा। फिलहाल, संगठन का संविधान और नाम तय कर लिया गया है।
जम्मू कश्मीर में सात माह से सियासी गतिविधियां लगभग ठप हैं।भाजपा को छोड़कर अन्य सभी सियासी दल लगभग निष्क्रिय ही दिखाई दिए। कांग्रेस भी जम्मू तक ही सीमित दिखी। बदले समीकरणों में कश्मीरी दलों के एजेंडे बेमानी होते दिखे और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस से कई बड़े सियासी नेताओं व कार्यकर्ताओं ने किनारा कर लिया।
इस बीच पीडीपी से निष्कासित पूर्व वित्तमंत्री सईद अल्ताफ बुखारी ने राजनीतिक शून्य भरने के लिए अपने पुराने साथियों, नेकां और पीडीपी छोड़ने वाले कई नेताओं से संपर्क कर एक नया सियासी संगठन बनाने की कवायद गत अक्टूबर में आरंभ की थी।पीडीपी के लगभग आठ पूर्व विधायक और पूर्व एमएलसी नए सियासी संगठन का हिस्सा बन रहे हैं।
इनके अलावा नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व कृषि मंत्री गुलाम हसन मीर के अलावा कांग्रेस के दो पूर्व विधायक भी बुखारी के सियासी संगठन में शामिल होने का संकेत दे चुके हैं। नए संगठन की रुपरेखा बनाने से पूर्व गत माह भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राममाधव की गुलमर्ग में बुखारी से बैठक भी हुई थी। इससे पहले और बाद में बुखारी ने पीडीपी के संस्थापक सदस्य मुजफ्फर हुसैन बेग से भी मुलाकात की।
महबूबा से खटास जगजाहिर हैसियासी हलकों में साफ है कि बेग और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के संबंधों में खटास ही रही है। बेग जम्मू कश्मीर के मौजूदा हालात के लिए महबूबा मुफ्ती को जिम्मेदार ठहरा चुके हैं। उन्होंने कहा था कि अगर वह भड़काऊ बयान न देतीं तो न जम्मू कश्मीर का बंटवारा होता और न अनुच्छेद 370 को हटाया जाता। उन्होंने कहा कि अब अनुच्छेद 370 वपास नहीं आएगा, इसलिए अब हमें पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए प्रयास करना चाहिए। उनके तेवरों को देखकर ही बुखारी और अन्य नेता उन्हें नए सियासी संगठन में शामिल करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।
बुखारी बता रहे तकनीकी कारणसईद अल्ताफ बुखारी ने संगठन के एलान में देरी पर सफाई देते हुए कहा है कि कुछ औपचारिकताओं को पूरा किया जाना है। वहीं उनसे जुड़े कुछ लोगों का कहना है कि देरी का कारण बेग की तरफ से कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिलना है। बेग ने अभी तक पीडीपी से सार्वजनिक तौर पर किनारा नहीं किया है। इसके अलावा उनकी भूमिका भी तय करना बाकी है।
कमान कौन संभाले, इस पर अड़ा पेंच
सूत्रों की मानें तो नए सियासी संगठन में शामिल नेताओं का मानना है कि कमान पूरी तरह से सईद अल्ताफ बुखारी के हाथ में ही रहनी चाहिए। दूसरी तरफ कुछ लोगों का आग्रह है कि बेग का राजनीतिक कद काफी ऊंचा है। वह दिल्ली में भी अच्छी पैठ रखते हैं, इसलिए उनक चेहरे को आगे रखा जाना चाहिए। संगठन में इन दोनों नेताओं की भूमिका को पूरी तरह परिभाषित करने और नेतृत्व का मसला हल होने के बाद ही संगठन का एलान किया जाएगा। यह सब बेग के नए संगठन में शामिल होने पर स्पष्ट रुख के बाद ही होगा।