Kashmir Situation: आतंकी खौफ को ठेंगा दिखा रही कश्मीरियत और दोस्ती
आतंकी हमले में घायल पंजाब के फल व्यापारी की दिन रात सेवा कर रहा शोपियां का परवेज ट्रक लेकर सेब को लादने गए थे कश्मीर में साथी चरणजीत सिंह की मौके पर हो गई थी मौत
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। पाकिस्तान की शह पर इस्लाम की आड़ में कश्मीर में निर्दोषों को निशाना बना रहे जिहादियों की तमाम साजिशों के बावजूद घाटी का आम मुसलमान सांप्रदायिक सौहार्द और दोस्ती निभाने की सदियों पुरानी कश्मीर की परंपरा को निभा रहा है। उसे पता है कि इसके लिए आतंकी उसे कभी भी निशाना बना सकते हैं, लेकिन परंपरा और दोस्ती के आगे डर कहीं नजर नहीं आता।
एसएमएचएस अस्पताल के आइसीयू वार्ड के भीतर-बाहर चक्कर लगाते हुए, कभी डॉक्टरों को बुलाते हुए तो कभी दवा लेकर आता परवेज इसकी मिसाल है। दक्षिण कश्मीर में त्रेंज शोपियां का रहने वाला परवेज बीते एक सप्ताह से अस्पताल में ही है ताकि संजू (संजीव) किसी तरह से ठीक हो जाए। उसके परिजनो को नहीं लगे कि वह परदेस में हैं, जहां उनका कोई नहीं है।
संजीव पंजाब के उन दो व्यापारियों में एक है, जिन्हें गत बुधवार को स्वचालित हथियारों से लैस आतकियों ने स्थानीय किसानों से सेब खरीदने की सजा देते हुए गोलियों का निशाना बनाया। संजीव के साथी चरणजीत सिंह की मौके पर ही मौत हो गई थी। संजीव की हालत अत्यंत नाजुक है। परवेज ने कहा कि मैं संजीव को करीब दो साल से जानता हूं। वह चरणजीत सिंह का साथी था। चरणजीत के साथ हम आठ साल से सेब का कारोबार कर रहे हैं। संजीव को हमारे पूरे घर के लोग संजू ही पुकारते हैं। यह दिल का बहुत अच्छा और मिलनसार है। मेरी उससे खूब पटती है। हमारा रिश्ता भाई जैसा है। वह जब भी कश्मीर आता, हमारे ही घर में रुकता, वह हमारे घर का ही सदस्य है।
परवेज ने कहा कि कश्मीरियों के लिए मेहमान खुदा का फरिश्ता होते हैं, फिर यह तो मेरा भाई और दोस्त भी है। मैं कैसे इसे यहां अकेला छोड़ सकता हूं। उसे बचाने के लिए पैसा हो या खून, मैं सब दूंगा। संजू हमारे भरोसे यहां था। जब तक वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं होता, हम यहीं उसकी मदद के लिए रहेंगे। जिन्होंने गोली मारी वह सच्चे मुसलमान नहीं हो सकते
परवेज ने बताया कि संजू के पिता और रिश्तेदार भी आए हैं। वह परेशान हैं। हमने उन्हें यकीन दिलाया है कि खुदा पर भरोसा रखें। किसी चीज की चिंता न करें। हमें दोस्ती निभानी आती है। जिन्होंने उसे गोली मारी, वह कश्मीर के और सच्चे मुसलमान नहीं हो सकते, अगर होते तो इस तरह की हरकत कभी नहीं करते। वह कश्मीर के दुश्मन हैं।
पास खड़े संजीव के पिता जसपाल ने कहा कि अब तो ईश्वर का ही सहारा है। परवेज और उसके घरवालों ने जिस तरह से हमारी मदद की, उसके लिए मेरे पास शब्द नहीं है। परवेज जो कर रहा है वह कोई अपना सगा भी आसानी से नहीं सकता। उसके चाचा सुभाष ने कहा कि वह पहले ही दिन से उसके साथ है। परवेज ने ही हमें फोन पर घटना की जानकारी दी थी।
कार से निकाला और राइफल की बटों से पीटने लगे
परवेज ने बताया कि बुधवार शाम करीब सात-साढ़े सात बजे की बात है। सेब ट्रक में लादा जा रहा था। चरणजीत वहीं बाग में था। मैं और संजू दोनों कार से बाग की तरफ गए। हमने देखा कि बाग में सभी श्रमिक एक जगह जमा हैं। हमें कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अचानक दो आतंकी सामने आ गए। उन्होंने गाड़ी रुकवाते हुए हमें लाइट बंद करने को कहा। उन्होंने हमें कार से बाहर निकला और राइफल की बटों से पीटने लगे। उन्होंने संजू और चरणजीत को अलग किया। श्रमिकों को उन्हें कश्मीर छोड़ने की धमकी दी और फिर संजू, चरणजीत और मुझे उस जगह चलने को कहा जहां सेब ट्रक में लादने के लिए पड़े थे।
हम कुछ ही दूरी तक चले थे कि उन्होंने गोली चला दी। मैं किसी तरह बच गया और वहीं पर छिप गया। मैंने देखा चरणजीत और संजू जमीन पर गिरे हैं। कुछ दूरी पर ट्रक आग की लपटों में था। चरणजीत की मौके पर ही मौत हो गई थी, संजीव को हम यहां ले आए। यहां उसका आपरेशन हुआ है।
बड़ी आंत निकालनी पड़ी
संजीव का उपचार कर रहे डॉक्टरों ने कहा कि जब उसे यहां लाया गया तो उसका बहुत खून बह चुका था। उसके पेट और बाजुओं में गोलियां लगी थीं। उसका पांच घंटे ऑपरेशन चला। हमें पेट की बड़ी आंत निकालनी पड़ी। उसके लीवर को भी नुकसान पहुंचा है। उसकी हालत अभी भी चिंताजनक है।
दो साल पहले ही कारोबार शुरू किया था
मां बाप के अकेले पुत्र संजीव कुमार ने दो साल पहले ही सेब का कारोबार शुरू किया था। अस्पताल में मौजूद उसके रिश्तेदार ऋषि डोडा ने बताया कि वह करीब 20 दिन पहले ही कश्मीर में सेब खरीदने के लिए आया था। हमने उसे मना किया था कि इस बार हालात ठीक नहीं है। उसने हमारी बात नहीं मानी। वह कहता था यहां कोई खतरा नहीं है। उसने कहा था कि वह जिनके साथ यहां कारोबार कर रहा है, वह उसे अपने परिवार का ही सदस्य मानते हैं।