Kashmir Situation: सरहद से सटे गांवों में कई लोग गंवा चुके अपनी जान, जिंदगी के लिए बंकरों की आस
जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान लगातार गोलाबारी कर रहा है। सरहद से सटे गांवों में कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
जम्मू, विवेक सिंह। जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान लगातार गोलाबारी कर रहा है। सरहद से सटे गांवों में कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। केंद्र सरकार लोगों की सुरक्षा के लिए आइबी व एलओसी पर 15 हजार से अधिक बंकरों का निर्माण करवा रही है, लेकिन तीन साल में सिर्फ पांच हजार बंकर बन पाए हैं। सबसे अधिक गोलाबारी जम्मू संभाग के पुंछ व राजौरी जिले में होती है। यहां के लोग जिंदगी बचाने के लिए बंकरों के जल्द निर्माण की आस लगाए बैठे हैं।
4852 बंकर बनकर तैयार:
जम्मू संभाग के पांच सीमांत जिलों में 4852 बंकर बनकर तैयार हैं। इनमें 4478 निजी बंकर हैं और 374 सामुदायिक बंकर हैं।
राज्य प्रशासन से खफा :
केंद्र सरकार भी बंकर निर्माण में हो रही देरी से राज्य प्रशासन से खफा है। जम्मू के डिवीजनल कमिश्नर नियमित रूप से बैठकें कर सीमांत क्षेत्रों में बंकर निर्माण के कार्य को तेजी दे रहे हैं। जम्मू संभाग के सीमांत जिलों के डिप्टी कमिश्नरों (डीसी) और निर्माण में जुटी एजेंसियों के अधिकारियों को जवाबदेह बनाया गया है।
देरी के कारण :
बंकर निर्माण प्रोजेक्ट केंद्र का होने के कारण इसे राज्य सरकार की एजेंसी बनाएगी या केंद्र की, देरी का सबसे बड़ा कारण यह भी रहा। इसके बाद जगह चिन्हित करने में दिक्कतें आई। मौजूदा राज्य का लोक निर्माण विभाग बंकर बना रहा है।
बंकरों के जल्द निर्माण का मुद्दा उठ रहा :
जम्मू कश्मीर में वर्ष 2016-17 में पायलट प्रोजेक्ट के तहत तीन करोड़ की लागत से 60 बंकरों का निर्माण किया था। इसके बाद वर्ष 2017 में 415.73 करोड़ से 14, 460 बंकर बनाने का काम शुरू हो गया था। 2018 में तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने 400 अतिरिक्त बंकर बनाने को भी मंजूरी दी थी। अब तक इनमें 35 फीसद बंकर लोगों को गोलाबारी से बचाने के लिए उपलब्ध हैं। लगातार तेज हो रही गोलाबारी के बीच बंकरों के जल्द निर्माण का मुद्दा जोर शोर से उठ रहा है। तीन माह में पाक ने 2700 से अधिक बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया है।
जल्द बंकर बनने के प्रयास जारी :
सांसद जम्मू-पुंछ के भाजपा सांसद जुगल किशोर शर्मा का कहना है कि पूरी कोशिश है कि लोगों के लिए जल्द बंकर बन पाएं। बंकर बनाते समय यह सुनिश्चित किया है कि वे तय मानकों के आधार पर ही बनें। उनकी गुणवक्ता से किसी प्रकार का समझौता मंजूर नहीं है। सीमांत क्षेत्रों के लिए अतिरिक्त बंकर मंजूर किए जाने का मुद्दा लगगातार केंद्र सरकार से उठाया जा रहा है।
राजौरी-पुंछ में सबसे अधिक बंकर बनाए जा रहे :
डिवकॉम जम्मू के डिवीजनल कमिश्नर संजीव वर्मा के अनुसार बनकर तैयार हो गए 4852 बंकरों में से सांबा में 1093, जम्मू में 899, कठुआ में 1131, राजौरी में 1473 व पुंछ में 256 बंकर बनाए गए हैं। काफी बंकरों का निर्माण कार्य इस समय स्लैब स्तर तक पहुंच गया है। पुंछ और राजौरी जिले में एलओसी के करीब 7298 बंकर बनाए जा रहे हैं। जम्मू, कठुआ और सांबा जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास 7162 भूमिगत बंकर बनाए जा रहे हैं। इन बंकरों में 13029 निजी बंकर और 1431 सामुदायिक बंकर हैं।
कश्मीर के उड़ी और कुपवाड़ा में बंकर निर्माण जारी है, लेकिन भौगोलिक स्थिति के कारण निर्माण में देरी हो रही है। निजी और सामुदायिक बंकर निजी बंकर का आकार 160 वर्ग फीट है। इसमें आठ लोग शरण ले सकते हैं। 800 वर्ग फीट के सामुदायिक बंकर में 40 लोग आ सकते हैं। भूमिगत बंकर बनाने के लिए स्टील और कॉन्क्त्रीट का इस्तेमाल किया जाता है। इनकी दीवारें और छत सामान्य घर के मुकाबले तीन गुना मोटी होती हैं। निजी बंकर घर के पास बनाए जाते हैं या फिर जमीन देने पर घर में भी बंकर का निर्माण
पिछले तीन माह से लगातार जारी है गोलाबारी :
जम्मू कश्मीर से 370 हटने के बाद बौखलाया पाकिस्तान जम्मू के हीरानगर, अखनूर, सुंदरबनी, नौशेरा, राजौरी, मेंढर ,पुंछ के अलावा कश्मीर के उड़ी और कुपवाड़ा में पिछले तीन महीनों से हर रोज संघर्ष विराम का उल्लंघन हो रहा है। पुंछ से कुपवाड़ा टंगडार तक पाकिस्तानी सेना दिन में 10 से भी ज्यादा बार गोलाबारी करता है। वर्ष 2018 में संघर्ष विराम उल्लंघन के 2140 मामले थे और मौजूदा वर्ष में अब तक 2800 मामले संघर्ष विराम उल्लंघन के हुए हैं।