Move to Jagran APP

Kashmir Situation: आतंकमुक्त कश्मीर के मिशन पर सेना, हर दूसरे दिन एक आतंकी पकड़ा या मारा गया

आतंकमुक्त कश्मीर के मिशन पर सेना। नए वर्ष में अब तक हर दूसरे दिन एक आतंकवादी पकड़ा या फिर मारा गया आतंकियों को अब नहीं मिल रहा जनसमर्थन ।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 30 Jan 2020 09:52 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jan 2020 09:52 AM (IST)
Kashmir Situation: आतंकमुक्त कश्मीर के मिशन पर सेना, हर दूसरे दिन एक आतंकी पकड़ा या मारा गया
Kashmir Situation: आतंकमुक्त कश्मीर के मिशन पर सेना, हर दूसरे दिन एक आतंकी पकड़ा या मारा गया

जम्मू, नवीन नवाज। 28 दिन, 6 मुठभेड़, 16 आतंकी ढेर और 10 आतंकी जिंदा दबोचे। यानी हर दूसरे दिन एक आतंकी पकड़ा या मारा जा रहा है। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि कश्मीर में सेना और अन्य सुरक्षाबल इन दिनों नए मिशन पर हैं। यह मिशन है आतंकमुक्त जम्मू कश्मीर का। अनुच्छेद 370 हटने के बाद सुरक्षाबल प्यार और प्रहार की रणनीति के तहत नए जम्मू कश्मीर को आतंकवादमुक्त बना रहे हैं।

loksabha election banner

 जम्मू कश्मीर में हालात पहले से बेहतर

गृह विभाग और केंद्रीय रक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने बताया कि केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में हालात पहले से बेहतर हुए हैं। आतंकियों को पहले जिस तरह का जनसमर्थन मिलता था, वैसा अब नहीं है। आतंकियों को आम लोगों से पूरी तरह अलग-थलग कर दिया गया है। इसके साथ ही प्यार और प्रहार की रणनीति के तहत राज्य को आतंकवाद से मुक्त बनाने के लिए सुरक्षाबलों को अमल करने का सख्त निर्देश दिया गया है। इस साल जनवरी माह में आतंकियों के खिलाफ प्राप्त सफलता इसी रणनीति का नतीजा है।

गणतंत्र दिवस पर आतंकी नहीं कर पाए कोई बड़ी वारदात 

उन्होंने बताया कि जम्मू कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ, सेना, विभिन्न खुफिया एजेंसियों और नागरिक प्रशासन के बीच पूरे समन्वय के साथ इस रणनीति को अमल में लाया जा रहा है। एसएसपी रैंक के एक अधिकारी ने बताया कि प्यार-प्रहार की रणनीति को अमल में लाते हुए जिस तरह से ग्राउंड इंटेलीजेंस नेटवर्क को फिर से क्रियाशील किया गया है, उसके कारण ही इस बार गणतंत्र दिवस पर आतंकी कोई बड़ी वारदात नहीं कर पाए। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ द्वारा गणतंत्र दिवस के मौके पर श्रीनगर और जम्मू संभाग के विभिन्न इलाकों को विध्वंसकारी गतिविधियों की जरिए दहलाने के लिए आतंकियों पर सख्त दबाव बना रखा था। आतंकी और आइएसआइ अपने मंसूबों में नाकाम रहे हैं।

आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच पहली मुठभेड़

सात जनवरी को अवंतीपोरा में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच हुई पहली मुठभेड़ प्यार और प्रहार की रणनीति का पहला परिणाम थी। इसके बाद एक अन्य मुठभेड़ में हिजबुल कमांडर हमाद अपने तीन साथियों संग मारा गया। अवंतीपोरा और त्राल में दो अलग-अलग अभियानों में दो आतंकी जिंदा पकड़े गए। कुलगाम में दो, श्रीनगर में जैश के पांच आतंकी और बारामुला में लश्कर का एक आतंकी पकड़ा गया है। ऐसी है प्यार और प्रहार की रणनीतिप्यार और प्रहार की रणनीति के तहत सभी सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां अपने स्तर पर अपने-अपने कार्याधिकार क्षेत्र में आतंकियों की प्रोफाइ¨लग करते हुए उनकी गतिविधियों का डाटा तैयार करती हैं।

 ग्राउंड इंटेलीजेंस नेटवर्क मजबूत

इसके बाद उन्हें जिंदा पकड़ने और या फिर सरेंडर के लिए तैयार करने की रणनीति पर काम किया जाता है। इसमें उनके अभिभावकों और मित्रों की मदद भी ली जा रही है। इसके साथ ही ग्राउंड इंटेलीजेंस नेटवर्क को मजबूत करते हुए उसे पूरी तरह क्रियाशील बनाया गया है। आतंकियों के ठिकानों पर सुनियोजित तरीके से छापेमारी की जा रही है ताकि उन्हें किसी तरह से घेराबंदी तोड़कर भागने का मौका न मिले और वह यथासंभव ¨जदा पकड़े जा सकें। सिर्फ अपरिहार्य परिस्थितियों में ही उनके खिलाफ गोली चलाई जा रही है और वह भी तब जब आतंकी खुद इसकी शुरुआत करते हुए सरेंडर से इन्कार कर दें।

स्थानीय लोगों के साथ पूरा संवाद और समन्वय बनाए रखा जा रहा है।आतंकियों को न तो घुसने और न ही सिर उठाने दे रहेअपनी नई रणनीति के तहत सेना और अन्य सुरक्षा बल अंतरराष्ट्रीय सीमा से लेकर नियंत्रण रेखा तक घुसपैठ के तमाम रास्ते सील कर आतंकियों को घुसपैठ नहीं करने दे रहे हैं। इसके अलावा कश्मीर के अंदर आतंकियों के खिलाफ अभियान रणनीति के तहत चलाए जा रहे हैं। आतंकियों को मारा और पकड़ा जा रहा है। आतंकियों की मदद करने वाले ओवरग्राउंड वर्कर तक बाहर नहीं निकल रहे हैं। यही कारण है कि कश्मीर में आतंकी संगठनों को नए कैडर या कमांडर खोजने पर भी नहीं मिल रहे हैं।

अलगाववादी और पत्थरबाज भी दम तोड़ चुके

नए कश्मीर में बड़ी बात यह है कि माहौल खराब करने को हवा देने वाले अलगाववादी पहले ही पस्त हो चुके हैं। उनके द्वारा पोषित किए जाने वाले पत्थरबाज भी दम तोड़ चुके हैं। इसी का नतीजा है कि पांच अगस्त के बाद कश्मीर में न तो पत्थरबाजी और न ही विरोध प्रदर्शनों की ऐसी घटनाएं सामने आई, जिससे माहौल खराब हो।

वर्ष 2020 में हम जम्मू कश्मीर से आतंकवाद को पूरी तरह समाप्त करने पर काम कर रहे हैं। इसके लिए हम विभिन्न स्तरों पर काम कर रहे हैं। आतंकियों के खिलाफ सुनियोजित तरीके से अभियान चलाए जा रहे हैं। उन्हें मुख्यधारा में शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है। इसका असर भी हो रहा है। इस साल वादी में हमारे आतंकरोधी अभियान पूरी तरह सफल रहे हैं। नवीद बाबू जैसा खूंखार आतंकी समेत 10 आतंकी पकड़े जा चुके हैं। कारी यासिर, सैफुल्ला और हमाद समेत 16 आतंकी मारे जा चुके हैं।

दिलबाग सिंह, पुलिस महानिदेशक, जम्मू कश्मीर--

आतंकियों और उनके समर्थकों के खिलाफ हमारे अभियान लगातार जारी रहेंगे। आतंकवाद को पूरी तरह समाप्त करना ही हमारा लक्ष्य है। हम आम अवाम के साथ मिलकर जिहादी तत्वों को रोकने के लिए हर संभव कदम उठाते हैं।

लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों, चिनार कोर कमांडर--

स्थानीय युवकों को आतंकवाद के रास्ते से वापस लाने में जुटे हैं। इसका असर भी हो रहा है। बहुत से लड़के मुख्यधारा में लौटे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.