अमन बहाली के लिए कश्मीर मसला सुलझाने की ओर बढ़ा केद्र
राष्ट्रीय जांच एजेसी (एनआइए) के छापो के बाद से अलगाववादी बैकफुट पर है।
श्रीनगर, pनवीन नवाज] । कश्मीर मे अमन बहाली के लिए केद्र सरकार ने क्वाइट डिप्लोमेसी (शांत कूटनीति) की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए 'आयरन फिस्ट विद वेल्वेट ग्लब्ज' की नीति अपनाई जा रही है। अलगाववादी खेमे को वार्ता की मेज पर लाने की जमीन तैयार करने के लिए 24 से 27 अगस्त तक प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की तरफ से एक वरिष्ठ नौकरशाह ने कश्मीर का दौरा कर विभिन्न हुर्रियत नेताओ से गुपचुप मुलाकात की है। मिशन कश्मीर पर आया उक्त अधिकारी रविवार को दिल्ली लौट गया। उसकी रिपोर्ट के आधार पर केद्र सरकार अगला कदम उठाएगी।
केद्र सरकार हुर्रियत व अन्य अलगाववादियो के साथ बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने के लिए उसी क्वाइट डिप्लोमेसी को आगे बढ़ा रही है, जो वर्ष 2009 मे तत्कालीन केद्र सरकार ने अपनानी चाही थी, लेकिन हुर्रियत नेता फजल हक कुरैशी पर आतंकी हमले के साथ पूरा मामला ठप हो गया था।
सूत्रो के अनुसार, अलगाववादियो व अन्य संबंधित पक्षो के साथ बातचीत का संकेत प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले पर तिरंगा फहराते हुए अपने भाषण मे यह कहकर दिया था कि कश्मीर मे अमन कश्मीरियो को गाली देने या गोलियो से नही बल्कि कश्मीरियो को गले लगाने से आएगा।
वार्ता का एलान, एजेडा और समय तय करने के बाद :
सूत्रो ने बताया कि केद्र सरकार चाहती है कि अलगाववादियो के साथ बातचीत का एलान तभी करेगी, जब वार्ता का एजेडा और समय दोनो तय होने के साथ सैयद अली शाह गिलानी और मीरवाइज समेत सभी प्रमुख अलगाववादी बातचीत की मेज पर बैठने को तैयार हो जाएं। उन्होने बताया कि गिलानी का पिछले सप्ताह कश्मीर मसले को जम्हूरियत, इंसानियत के दायरे मे हल करने संबंधी बयान देना भी इसी कड़ी का हिस्सा है। इस बयान के बाद गिलानी ने अपने साथियो के साथ बैठक मे भी केद्र के साथ बातचीत की संभावना पर चर्चा की है।
अलगाववादियो के समक्ष केवल वार्ता का विकल्प छोड़ा :
आयरन फिस्ट विद वेल्वेट ग्लब्ज की नीति के तहत पूरे कश्मीर मे आतंकियो के खिलाफ अभियान तेज करने और अलगाववादियो के विलाीय स्रोत बंद करने के साथ उनके खिलाफ जारी मामलो की जांच मे तेजी लाई जा रही है। अलगाववादियो को हर तरफ से घेरने के साथ अब उनके समक्ष केवल वार्ता का विकल्प ही छोड़ा गया है।
अलगाववादी बैकफुट पर, पाक भी मदद करने की स्थिति मे नही :
राष्ट्रीय जांच एजेसी (एनआइए) के छापो के बाद से अलगाववादी बैकफुट पर है। मौजूदा परिस्थितियो मे पाकिस्तान भी कश्मीर मामले पर ज्यादा हस्तक्षेप करने की स्थिति मे नही है। ऐसे मे केद्र सरकार कश्मीर मुद्दे को हमेशा के लिए हल करने की रणनीति पर चल रही है और चाहती है कि सभी प्रमुख नेता जो कल तक सार्वजनिक तौर पर वार्ता से इन्कार करते आए है, उन्हे बातचीत की प्रक्रिया मे शामिल किया जाए।