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कश्मीर मसले का हल नहीं, हालात बिगाड़ना है एजेंडा

शुक्रवार को पूरे कश्मीर में अलगाववादियों के आह्वान पर नमाज ए जुमा के बाद प्रदर्शन हुए।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 09 Dec 2017 11:15 AM (IST)Updated: Sat, 09 Dec 2017 11:15 AM (IST)
कश्मीर मसले का हल नहीं, हालात बिगाड़ना है एजेंडा
कश्मीर मसले का हल नहीं, हालात बिगाड़ना है एजेंडा

श्रीनगर, [नवीन नवाज]। आजादी की वकालत करने और कश्मीर बनेगा पाकिस्तान का नारा देने वाली हुर्रियत कांफ्रेंस व अन्य अलगाववादी संगठन बेशक दावा करें कि वह घाटी में अमन चाहते हैं, लेकिन उनका असल मकसद सिर्फ कश्मीर में हिंसा और हड़ताल का चक्र बनाए रखना है।

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शुक्रवार को वादी में हुए विरोध प्रदर्शन व पथराव की घटनाएं उनकी इसी असलियत को जाहिर करती हैं।शुक्रवार को पूरे कश्मीर में अलगाववादियों के आह्वान पर नमाज ए जुमा के बाद प्रदर्शन हुए। कई इलाकों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच पथराव भी हुआ। हालांकि अलगाववादियों को हड़ताल या प्रदर्शन के आह्वान की जरूरत ही नहीं थी, क्योंकि जिस मुद्दे पर उन्होंने यह किया, उस पर केंद्र सरकार पहले ही अपना रुख साफ कर चुकी है।

वह कह चुकी है कि यरुशलम को इजरायल की राजधानी बनाए जाने का भारत समर्थक नहीं है और फिलस्तीन के प्रति भारत अपनी पुरानी नीति पर कायम है।अलगाववादी खेमे की कमान संभाल रही तिकड़ी कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी, उदारवादी हुर्रियत प्रमुख मीरवाइज मौलवी उमर फारूक और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चेयरमैन मोहम्मद यासीन मलिक ने यरुशलम को इजरायल की राजधानी बनाए जाने के अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले को मुस्लिमों पर हमला करार देते हुए पूरी वादी में विरोध प्रदर्शनों का आह्वान किया था। इन प्रदर्शनों में अमेरिका और इजरायल के झंडे भी जले, ट्रंप की तस्वीरों को भी आग लगी और भारत के खिलाफ नारेबाजी के बीच सुरक्षाबलों पर भीषण पथराव भी हुआ।दक्षिण कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में हुए पथराव पर राज्य पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि ऐसा लग रहा था कि प्रदर्शनकारी अमेरिका के खिलाफ नहीं, वह राज्य पुलिस के खिलाफ जंग पर हैं।

पथराव सुनियोजित था और फिर से वादी में हालात बिगाड़ने के लिए पथराव व हड़ताल का दुष्चक्र शुरू करने का कुचक्र रचा गया है।कश्मीर मामलों के जानकार डॉ. अजय चुरंगु ने कहा कि किसने कहा कि हुर्रियत कांफ्रेंस या अन्य कश्मीरी अलगाववादियों को कश्मीर में शांति या उन्हें कश्मीर मसले का हल चाहिए। उनका सरोकार कश्मीर में सिर्फ इस्लामिक कट्टरपंथी भावनाओं को बढ़ाना व जिहादी तत्वों को पैदा करना है। उन्हें मुस्लिमों की तकलीफ से भी कोई मतलब नहीं है। अगर होता तो उन्होंने आज तक कश्मीर घाटी में गुलाम कश्मीर पर पाकिस्तान के कब्जे के खिलाफ, गुलाम कश्मीर में रहने वालों पर पाकिस्तानी सेना के जुल्म के खिलाफ विरोध प्रदर्शन या बंद का एलान किया होता।कश्मीर में अमन बहाली के प्रयासों में जुटे साउथ एशियन फ्रेंडस नामक

एनजीओ के अध्यक्ष सलीम रेशी ने कहा कि यरुशलम को इजरायल की राजधानी बनाया जाए, इसके खिलाफ पूरी दुनिया के मुस्लिम हैं, मैं भी हूं, लेकिन मैं पथराव के हक में नहीं। अगर हुर्रियत कांफ्रेंस को मुस्लिमों का दर्द होता तो उसने आज तक बलूचिस्तान के नागरिकों की प्रताड़ना के खिलाफ कश्मीर में कभी हड़ताल का एलान किया होता, उसकी निंदा की होती। यमन में क्या हुआ, क्या उस पर हुर्रियत ने हड़ताल की, सीरिया में मुस्लिमों पर ही जुल्म हो रहा है, आइएसआइएस जिसे कई लोग मुस्लिम दुश्मन ताकतों का एजेंट कहते हैं, के खिलाफ वह खुलकर बोली, नहीं। वह नहीं बोल सकती, क्योंकि उसे कश्मीर की आजादी, कश्मीरियों या मुस्लिमों के दर्द से कहीं ज्यादा किसी और चीज का दर्द है।

इसलिए वह उस दर्द को ध्यान में रखते हुए कश्मीर में हमेशा बंद, हड़ताल के जरिए पथराव अथवा हिंसा भड़काने का मौका तलाशती है। अब यह मौका ट्रंप के बहाने मिला है।रमीज मसूद नामक एक युवा सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि उस कश्मीर की आजादी की बात की जाती है जो लखनपुर से लेकर गिलगित बाल्टिस्तान तक फैला है, लेकिन क्या हुर्रियत ने गिलगित बाल्टिस्तान को पाकिस्तान का राज्य बनाए जाने के मुद्दे पर या मुजफ्फराबाद में चीन की कालोनियों की स्थापना के खिलाफ यहां हड़ताल की है। ऐसे में आप बलोच लोगों के लिए उससे हमदर्दी की उम्मीद छोड़ दीजिए। हुर्रियत को यहां अपने आका को खुश करने के लिए कश्मीर में किसी भी तरह से हिंसा का वातावरण बनाए रखना है, यहां कट्टरपंथी जिहादी तत्वों को पैदा करना है और उसके लिए वह अमेरिका या इजरायल किसी का भी बहाना लेगी।


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