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Kashmir Situation: कश्मीर में सिर्फ 50 फीसद औद्योगिक इकाइया कर रहीं काम

जुबैर अहमद नामक स्थानीय उद्योगपति ने कहा कि यहां जो इकाइयां चल रही हैं वे भी बंद होने के कगार पर हैं। हम लोग बीते कई वर्षो से मुसीबतों का सामना कर रहे हैं।

By Edited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 08:54 AM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 11:55 AM (IST)
Kashmir Situation: कश्मीर में सिर्फ 50 फीसद औद्योगिक इकाइया कर रहीं काम
Kashmir Situation: कश्मीर में सिर्फ 50 फीसद औद्योगिक इकाइया कर रहीं काम

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : जम्मू कश्मीर के आर्थिक विकास के लिए लिए वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन की तैयारियों के बीच घाटी में स्थानीय औद्योगिक इकाइयां या तो पिछड़ रही हैं या फिर बंद हो चुकी हैं। प्रशासनिक उदासीनता, कच्चे माल का अभाव और हालात सभी इनके विकास में बाधिक हैं। लगभग 50 फीसद कारखाने व अन्य इकाइयां क्रियाशील हैं, अन्य बंद हैं या फिर शुरू नहीं हो पाई हैं। कश्मीर में 26 औद्योगिक क्षेत्र हैं। इनमें 2547 औद्योगिक प्लॉट विभिन्न उद्यमियों को आबंटित किए हैं, लेकिन 1444 में ही चल रहे हैं। 323 बंद हैं। 479 इकाइयां स्थापना के विभिन्न चरणों में लटके हैं। 191 इकाइयां शुरू ही नहीं हुई हैं। श्रीनगर से सटे खुनमोह औद्योगिक क्षेत्र में 500 इकाइयों में से सिर्फ 100 में ही काम चल रहा है।

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जुबैर अहमद नामक स्थानीय उद्योगपति ने कहा कि यहां जो इकाइयां चल रही हैं वे भी बंद होने के कगार पर हैं। हम लोग बीते कई वर्षो से मुसीबतों का सामना कर रहे हैं। आतंकी हिंसा, हड़ताल, बाढ़, इंटरनेट पर पाबंदी और रही सही कसर बीते साल अगस्त में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के दौरान बने हालात ने पूरी कर दी। अधिकांश श्रमिक और कुशल कारीगर यहां से चले गए। श्रमिकों का टोटा है। हमारी इकाइयों में बनने वाला ज्यादातर सामान स्थानीय सरकारी विभागों और संस्थानों में जाता है। इंटरनेट बंद होने के कारण हम लोग ई-टेंडर, जेम पोर्टल की औपचारिकताओं को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। उत्तरी कश्मीर में स्थित छह औद्यागिक क्षेत्रों के साझा संगठन का नेतृत्व करने वाले जावेद अहमद बट ने कहा कि 200 में से 110 ही काम कर रही हैं। लस्सीपोरा दक्षिण कश्मीर में कोल्ड स्टोर यूनिट के संचालक आशिक हुसैन ने कहा कि यहां बिजली नहीं मिलती, सिर्फ बिल मिलते हैं। हम तो जेनरेटर के सहारे अपना कोल्ड स्टोर चला रहे हैं। रंगरेथ में पीवीसी पाइप और इलेक्ट्रिक कंबल निर्माण की इकाइयां चला रहे वाहिद और साजिद ने कहा कि यहां न समय पर बिजली मिलती है। किसी हादसे में समय दमकल विभाग की गाड़ी गायब रहती है। जैनकूट में हमारे एक साथी फैक्टरी जलकर तबाह हो गई। उसके बाद ही दमकल कर्मी मौके पर पहुंचे।

सरकारी नीतियां और माहौल बहुत अहम : चैंबर कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इडस्ट्रीज के चेयरमैन शेख आशिक ने कहा कि किसी जगह आर्थिक-व्यापारिक-वाणिज्य गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए सरकारी नीतियां और माहौल अहम है। आप बाहर से निवेशक जुटाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन जो स्थानीय निवेशक हैं, उनके बारे में कोई ठोस नीति नहीं हैं। कश्मीर में आर्थिक गतिविधियों ने वर्ष 2000 के दौरान जोर पकड़ना शुरू किया था, लेकिन 2008 में इन्हें पहला बड़ा धक्का लगा। फिर 2009, 2010 के हिंसक प्रदर्शनों ने नुकसान पहुंचाया। वर्ष 2014 की बाढ़ से भी हम तबाह हुए। रही सही कसर 2016 के बाद से लगातार यहां बने राजनीतिक अस्थिरता और असुरक्षा के वातावरण ने पूरी की। पिछले साल से यहां इंटरनेट बंद है। सभी औद्योगिक इकाइयां लंबे समय तक बंद रही हैं। यहां व्यापारियों को जीएसटी और जुर्माना भरने के लिए मजबूर किया जा रहा है। बैंक वाले तंग कर रहे हैं। स्थानीय उद्योगपति अभी तक खुद को वर्ष 2016 में घोषित उद्योग नीति के साथ तालमेल नहीं बैठा पाए। अब नई नीति बनाई जा रही है।

मदद की जरूरत : रौऊफ पंजाबी कश्मीर के प्रतिष्ठित व्यापारियों में शामिल रौऊफ पंजाबी ने कहा कि यहां स्थानीय उद्योगों को मदद की जरूरत है, जो नहीं मिल रही है। सरकार से सिर्फ लुभावने वादे और एलान ही होते हैं। यहां स्थानीय उद्योग बंद होने के कगार पर हैं। सरकार नए निवेशकों को तलाश रही है। उद्योगपतियों की दिक्कतों से अवगत : निदेशक उद्योग विभाग कश्मीर के निदेशक महमूद शाह ने कहा कि हम स्थानीय उद्योगपतियों की दिक्कतों से अवगत हैं। हमने बैंक अधिकारियों के साथ बैठक में आरबीआइ से आग्रह किया है कि वह जम्मू कश्मीर में स्थानीय उद्योगपतियों द्वारा लिए कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग करे ताकि उन्हें उसे चुकाने में आसानी रहे। हमने आग्रह किया कि पांच अगस्त 2019 के बाद जो हालात रहे हैं उसके आधार पर स्थानीय उद्योगपतियों से किसी तरह का जुर्माना नहीं लिया जाना चाहिए। हम यहां उद्योगों के विकास के लिए साजगार माहौल बनाना चाहते हैं जो स्थानीय लोगों बिना नहीं बन सकता। हम जम्मू कश्मीर में निवेश के लिए जहां भी अपने कार्यक्रम और रोड शो करते हैं,उनमें जम्मू कश्मीर के कई व्यापारियों को शामिल करते हैं ताकि वह भी देखें कि बाहर के निवेशक क्या चाहते हैं किस तरह से काम करना चाहते हैं। वह अपने लिए इन निवेशकों के साथ संभावनाओं को तलाशें और उन पर काम करें।


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