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Lok Sabha Election 2019: सोशल साइट पर कश्मीर की सियासत, ट्वीटर-फेसबुक पर एजेंडे परोस रहे दल

महबूबा जमात पर प्रतिबंद अलगाववादियों की गिरफ्तारियों व एनआइए के छापों के खिलाफ खुलकर बोल रही है। केंद्र सरकार और भाजपा के खिलाफ उनका बोलना स्वाभाविक भी है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 15 Mar 2019 01:48 PM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2019 01:48 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: सोशल साइट पर कश्मीर की सियासत, ट्वीटर-फेसबुक पर एजेंडे परोस रहे दल
Lok Sabha Election 2019: सोशल साइट पर कश्मीर की सियासत, ट्वीटर-फेसबुक पर एजेंडे परोस रहे दल

जम्मू, विवेक सिंह। जम्मू कश्मीर में संसदीय चुनाव की तैयारियों के बीच राजनीतिक दल सोशल साइट पर अपने एजेंडे परोस रहे हैं। मसला वोट का है। ऐसे में अलगाववादियों की विचारधारा को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान आतंकवाद व अलगाववाद पर एक के बाद कईं प्रहार हुए। नोटबंदी से आतंकवाद को आघात देने से लेकर जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंद व एनआइए के छापों के बाद देशविरोधी तत्व व उनके समर्थक छटपटा रहे हैं। चुनाव सिर पर हैं, ऐसे में कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों के पास अलगाववादी व जमात के एजेंडे का समर्थन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। अलगाववादियों को नाराज कर कश्मीर में इन हालात में ट्वीटर पर कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों का शीर्ष नेतृत्व महबूबा मुफ्ती व उमर अब्दुल्ला केंद्र सरकार के खिलाफ सक्रिय है। कश्मीर से पश्चिम बंगाल में भी कुछ होता है ये नेता मिनटों पर केंद्र सरकार के रवैये को लेकर टिप्पणी कर देते हैं। उन्होंने देशभर में अपनी बात पहुंचाने के लिए ट्वीटर कारगर हथियार बना लिया है।

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नेशनल कांफ्रेंस के प्रधान उमर अब्दुल्ला के मुकाबले पीडीपी प्रधान महबूबा मुफ्ती ट्वीटर पर कड़े तेवर अपना रही हैं। महबूबा जमात पर प्रतिबंद, अलगाववादियों की गिरफ्तारियों व एनआइए के छापों के खिलाफ खुलकर बोल रही है। केंद्र सरकार और भाजपा के खिलाफ उनका बोलना स्वाभाविक भी है। भाजपा ने उन्हें संभलने का मौका दिए बिना राज्य में उनकी सरकार गिरा दी थी। ऐसे हालात में महबूबा ने केंद्र पर कश्मीरियों का विश्वास उठ जाने का मुद्दा बुलंद किया है। उन्होंने केंद्र सरकार से कश्मीरियों की नाराजगी के जो कारण बताएं हैं वे न सिर्फ उनकी पार्टी अपितु नेशनल कांफ्रेंस के भी चुनावी मुद्दे होंगे। ये कारण जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव टाला जाना, अनुच्छेद 35 ए पर केंद्र की चुप्पी, जमात इस्लामी पर प्रतिबंद लगाना, कश्मीर के कुछ समाचार पत्रों के विज्ञापन पर रोक, एनआईए के छापे, हुर्रियत नेताओं की गिरफ्तारी व देश के बाहर कश्मीरियों पर हुए हमले मुख्य हैं। देशविरोधी तत्व केंद्र सरकार के सख्त रवैये से नाराज हैं व उनकी नाराजगी के इजहार का माध्यम कश्मीर की राजनीतिक पार्टियां बन रही हैं।

पुलवामा हमले के बाद उपजे हालात को लेकर पीडीपी व नेशनल कांफ्रेंस ने देश में कश्मीरियों की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार पर खूब दवाब बनाया था। इस मुद्दे पर एक दूसरे की ये विरोधी पार्टियां एक मंच पर भी आ गई थी। इस पर न सिर्फ केंद्र सरकार ने कार्रवाई की अपितु राज्यपाल शासन ने जम्मू में प्रशासन को सख्ती करने के निर्देश दिए थे। इस मुद्दे को लेकर कश्मीर में वोटों के धुव्रीकरण की भी कोशिश हुई। अब चुनाव में कश्मीर की दोनों मुख्य पार्टियां इन मुद्दों को भुनाने की भाषा बोल रही हैं।

कश्मीरी दलों द्वारा सोशल मीडिया पर उठाए गए मुख्य मुद्दे

  • पश्चिम बंगाल में सीबीआइ कार्रवाई को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का समर्थन किया। सीबीआइ का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए करने का आरोप।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के श्रीनगर की डल झील में सैर के दौरान लोगों को देख हाथ हिलाने पर उठाए सवाल।
  • आतंकवाद को शह दे रहे पाकिस्तान से बातचीत शुरू करने की लगातार पैरवी।
  • पुलवामा में हमले से हालात में कश्मीरियों की सुरक्षा का मुद्दा उठाने के लिए जमकर किया ट््वीटर का इस्तेमाल।
  • केरिपुब जवानों पर आतंकी हमले के बाद जंग कर पाकिस्तान को सजा देने की मांग करने वालों को अनपढ़ बताया।
  • जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध का विरोध कर उसके स्कूलों व सील मस्जिदें खोलने का मुद्दा उठाया।
  • विधानसभा चुनाव बाद में करवाने पर बयानबाजी। केंद्र सरकार पर चुनाव विरोधी ताकतों के आगे सरेंडर करने का आरोप।
  • आतंकवाद को शह दे रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को धर्मनिरपेक्ष बताया। बलोकी फारेस्ट रिजर्व का नाम गुरू नानकदेव को सर्मपित करने की सराहना की, राम मंदिर पर सरकार को घेरा।
  • जम्मू में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाले कश्मीरियों की पैरवी की है। कश्मीरियों पर पथराव कर उन्हें पाक जाने के लिए कहने को शर्मनाक बताया
  • राज्य में अलगाववादियों व मुख्यधारा से बाहर के गुटों से गैर अधिकारिक बातचीत की पैरवी
  • कश्मीर में आतंकवाद से लड़ रहे सेना, सुरक्षाबलों पर ज्यादतियां करने के आरोप लगाए।
  • मेघालय के राज्यपाल तत्थागत राय ने कश्मीर व कश्मीरी सामान के बहिष्कार की पैरवी करने के मुद्दे को तूल दिया।
  • इस संसदीय चुनाव में हिन्दू वर्चस्व का घिनौना विचार हावी रहने के मुद्दे को तूल दी

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