पीडीपी को खुश करते-करते अपना सियासी मैदान गंवा रही थी भाजपा
नवीन नवाज, श्रीनगर : राज्य में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और भारतीय जनता पार्टी की
नवीन नवाज, श्रीनगर :
राज्य में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन सरकार की हिचकोले खाती गाड़ी का पहिया मंगलवार को टूट गया। गठबंधन तोड़ने का एलान भारतीय जनता पार्टी ने किया, जिसके वरिष्ठ नेता अक्सर कहते थे कि जम्मू कश्मीर में गठबंधन सरकार ठीक से काम कर रहा है। दो ध्रुवों का मेल बताए जा रहे भाजपा-पीडीपी गठबंधन में पहले ही दिन से दरार नजर आने लगी थी। अनुच्छेद 35ए, अनुच्छेद 370 और जम्मू कश्मीर के ध्वज से लेकर रमजान संघर्षविराम तक शायद ही कोई ऐसा विषय रहा हो, जिस पर गठबंधन में मतभेद न रहे हों। सिर्फ सरकार चलाने की मजबूरी के चलते दोनों दलों के वरिष्ठ नेता विवादों को नकारते हुए हमेशा कहते रहे कि सबकुछ ठीक है।
हालांकि भाजपा ने पीडीपी की कश्मीर केंद्रित सियासत को ध्यान में रखते हुए अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए पर लगभग मौन रखा, लेकिन राज्य के ध्वज को लेकर जिस तरह से पीडीपी को भाजपा के दबाव में आकर अपना फैसला बदलना पड़ा था, उसे लेकर वह कश्मीर केंद्रित सियासत संबंधी मुद्दों पर पूरी तरह उग्र रही और भाजपा को हमेशा उसकी हां में हां मिलानी पड़ी। महबूबा ने अपने पिता के निधन के बाद जब गठबंधन सरकार की कमान संभाली तो उन्होंने राज्य के तीनों हिस्सों के बजाय सिर्फ कश्मीर पर ही अपना ध्यान रखा और अगर कभी जम्मू या लद्दाख की बात हुई तो उन्होंने वहां बसे मुस्लिम समुदाय के तुष्टिकरण की नीति अपनाई, जिससे भाजपा खफा रही है। प्रशासनिक खींचतान के बीच महबूबा मुफ्ती ने जब पत्थरबाजों की रिहाई का फैसला किया तो प्रदेश भाजपा जिसका वोट बैंक जम्मू संभाग में ही है, नाराज हुई, लेकिन भाजपा आलाकमान ने हालात सामान्य होने की उम्मीद में और गठबंधन की गाड़ी खींचने के लिए पत्थरबाजों की माफी की योजना पर मुहर लगाई। रही सही, कसर कठुआ कांड ने पूरी कर दी। इस मामले में भाजपा पूरी तरह पीडीपी के आगे नतमस्तक नजर आई। वह अपने ही पक्ष को सही साबित नहीं कर पाई और उसे अपने दो मंत्रियों के इस्तीफे दिलाने के बाद मुंह छिपाने के लिए मंत्रिमंडल में फेरबदल कराना पड़ा। कठुआ जिले में सभी चार सीटों पर भाजपा के ही विधायक हैं, इसके अलावा साथ सटे जिला सांबा की दोनों सीटों पर भी भाजपा ही है। सिर्फ इसी क्षेत्र में ही नहीं बल्कि पूरे जम्मू संभाग में कठुआ कांड पर सीबीआइ जांच की मांग उठी। इस मांग को राज्य सरकार ने नकार दिया। इससे भी भाजपा परेशान थी। इसके अलावा राज्य में लगातार बढ़ती आतंकी ¨हसा और सरहदी इलाकों में होने वाले रोज-रोज के संघर्षविराम के उल्लंघन ने भी पीडीपी-भाजपा के बीच तनाव को लगातार बढ़ाया। वहीं रमजान संघर्षविराम को लेकर भी दोनों दलों के बीच मतभेद रहे। यहां भी केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रक्षा मंत्रालय की सलाह को नकारते हुए सिर्फ और सिर्फ महबूबा को राहत देने के लिए संघर्षविराम का एलान किया। इसका परिणाम किसी से छिपा नहीं है और तमाम अटकलों के बीच रमजान का महीना बीतने के साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संघर्षविराम समाप्त कर दिया। केंद्र पीडीपी को खुश करते-करते तंग आ चुका था और वह इस गठबंधन से निकलने का मौका तलाश रहा था, क्योंकि अगले साल संसदीय चुनाव होने वाले हैं।
पीडीपी के साथ गठबंधन और उसे बनाए रखने की मजबूरी भाजपा के सियासी गणित को बिगाड़ रही थी, इसलिए हालात सामान्य बनाने व आतंकवाद पर काबू पाने के लिए भाजपा ने इस बेमेल गठबंधन को तोड़ दिया।