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Jammu Kashmir Weather: जम्मू-श्रीनगर में कुछ दिन सामान्य से नीचे ही बना रहेगा तापमान, हाइवे पर वाहनों की आवाजाही रोकी

वहीं जिला पुंछ जिले के दूरदराज पहाड़ी गांव डींगला में गत शुक्रवार को बारिश आफत बनकर आई। बादल फटने से इलाके में बाढ़ आ गई। नाले तो उफना ही गए घरों में भी पानी भर गया।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 06 Jun 2020 09:48 AM (IST)Updated: Sat, 06 Jun 2020 05:03 PM (IST)
Jammu Kashmir Weather: जम्मू-श्रीनगर में कुछ दिन सामान्य से नीचे ही बना रहेगा तापमान, हाइवे पर वाहनों की आवाजाही रोकी
Jammu Kashmir Weather: जम्मू-श्रीनगर में कुछ दिन सामान्य से नीचे ही बना रहेगा तापमान, हाइवे पर वाहनों की आवाजाही रोकी

जम्मू, जेएनएन। जम्मू-श्रीनगर हाइवे पर स्थित बिरमा पुल के बारिश में क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद ऊधमपुर प्रशासन ने हाइवे पर वाहनों की आवाजाही रोक दी है। सीमा सड़क संगठन (BRO) की टीम पुल की मरम्मत में जुट गई है। डीसी ऊधमपुर ने कहा कि मरम्मत कार्य पूरा होते ही हाइवे पर वाहनों की आवाजाही बहाल कर दी गई। फिलहाल हाइवे पर न तो ऊधमपुर से श्रीनगर की और न ही श्रीनगर से जम्मू की ओर वाहनों को आने की अनुमति दी जा रही है।

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वहीं शुक्रवार देर रात से शुरू हुई बारिश के बाद लगातार रिमझिम बारिश ने जून में भी लोगों को ठंड का अहसास करवाया। बारिश की हल्की फुहारें गर्मी से राहत देकर ठंठक का अहसास करा रही रही हैं। दिन भर बादलों की आवाजाही के बीच कुछ स्थानों पर अच्छी बारिश की संभावना अभी भी बनी हुई है। जम्मू संभाग के कई स्थानों पर वीरवार शाम को ही बारिश शुरू हो गई थी। जम्मू में देर शाम से घने बादल छाने के बाद देर रात करीब दो बजे से बारिश शुरू हो गई और यह बारिश सुबह तक जारी रही। बारिश की हल्की फुहारें दिन में रुक-रूक कर जारी रही। इससे तापामान में भारी गिरावट दर्ज की गई। रात को शुरू हुई बारिश ने रात को ठंड का अहसास करवाया। लोगों को ऐसी, कूलर बंद करने पडे़। जून महीने में ऐसा मौसम हैरान करने वाला है। मौसम विज्ञान केंद्र, श्रीनगर से मिली जानकारी अनुसार अभी कुछ दिन तापमान सामान्य से नीचे ही बना रहेगा। 

कुछ मौसम विशेषज्ञ यह भी मान रहे हैं कि कोरोना संकट के चलते जारी लॉकडाउन के बाद प्रदूषण में आयी कमी का ही परिणाम है कि जून महीने में भी मौसम ठंडक का अहसास करवा रही है। इससे पहले मई महीने में भी इस वर्ष मौसम तापमान सामान्य से नीचे रहा है।

मई महीने यहां तापमान अक्सर 45 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता था। लू के चलते लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हुआ करता था। गर्मी से परेशान लोग स्कूलों में छुट्टियों की मांग करने लगते थे। गर्मी के चलते स्कूलों में सुबह की प्रार्थना सभाएं तक बंद कर दी जाती थी। लेकिन इस वर्ष पूरे मई महीने में मात्र 21 मई से 25 मई तक तापमान कुछ चढ़ा। 23 मई का दिन इस वर्ष का सबसे गर्म दिन रहा और अधकितम तापमान 42.7 पहुंच गया। इस वर्ष अभी तक एक दिन भी ऐसा नहीं रहा जब तापमान 45.0 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा हो। बीते दो दशक में पहली बार ऐसा हुआ है जब अप्रैल व मई माह मे लोगों को लू व भीषण गर्मी की जगह सामान्य मौसम व ठंड का अहसास हुआ है।

मई के बाद जून महीने में भी अभी तक तापमान सामान्य से नीचे ही चल रहा है। मौसम वैज्ञानिक महेंद्र सिंह अनुसार इस लॉकडाउन का पर्यावरण पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। लॉकडाउन के कारण ध्वनि, वायु प्रदूषण सहित नदी, जल, जंगल व पहाड़ भी काफी हदतक संरक्षित हुए हैं। लॉकडाउन के चलते प्रदूषण में काफी कमी आई है। कोरोना वायरस को लेकर लगाया गया लॉकडाउन पर्यावरण के लिए संजीवनी का काम कर रहा है। मार्च महीने से जम्मू में भीषण गर्मी परेशान करने लगती थी लेकिन इस वर्ष अच्छी बारिश के कारण मार्च, अप्रैल, मई में अधिकतर समय तापमान सामान्य से नीचे ही रहा है। वहीं इस वर्षा भी सामन्य से अधिक रिकार्ड की गयी है। मौसम विभाग के अनुसार इस अवधि बीते कुछ वर्ष की तुलना में तापमान में तीन से चार डिग्री तक गिरावट हुई है। वहीं अप्रैल में सामान्य से अधिक वर्षा रिकार्ड की गयी है। 

वहीं जिला पुंछ जिले के दूरदराज पहाड़ी गांव डींगला में गत शुक्रवार को बारिश आफत बनकर आई। बादल फटने से इलाके में बाढ़ आ गई। नाले तो उफना ही गए, घरों में भी पानी भर गया। पहाड़ी इलाके की पांच किलोमीटर सड़क पानी के तेज बहाव में बह गई। आधा दर्जन से अधिक वाहन बह गए। कई मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं।

मौसम अधिक खराब होने से लोग खेतों से घरों में लौट गए थे, जिससे जानी नुकसान होने से बच गया। स्थानीय लोगों ने बताया कि शाम को तेज बारिश हो रही थी। उसी बारिश के बीच अपर डींगला के थान पीर जंगल के नजदीक बादल फट गया। इससे डींगला से कंडयारा तक पांच किलोमीटर सड़क तेज बहाव में बह गई।

ग्रामीणों ने बताया कि गांव के ज्यादातर लोग खेतों में काम कर रहे थे। बारिश तेज होने की वजह से सभी घर लौट आए थे, जिससे वह बच गए। उन्होंने बादल फटने से इलाके के नाले में बाढ़ आ गई। इसमें कई वाहन बह गए। कुछ को निकाल लिया गया। एक ट्रैक्टर को भी नुकसान पहुंचा है। कई घर क्षतिग्रस्त हुए हैं। बादल फटने की आवाज दूर तक सुनी गई। गांव के चारों ओर पानी ही पानी नजर आ रहा था। फसल पानी में डूब गई। घरों में पानी घुस गया।


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