35ए ने जम्मू कश्मीर को बचाए रखा : उमर
राज्य ब्यूरो श्रीनगर नेशनल काफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 35ए को राज्य के अस्ि
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : नेशनल काफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 35ए को राज्य के अस्तित्व का सवाल करार देते हुए कहा कि इसी संवैधानिक प्रावधान ने आतंकवाद के बावजूद हमें बचाकर रखा है। वित्तमंत्री अरुण जेटली के राज्य के विशेष दर्जे पर दिए बयान पर उमर ने पलटवार करते हुए पत्रकारों से कहा कि हमारी रियासत का अगर किसी ने नुकसान किया है तो वह आतंकी हिंसा और बंदूक ही है। विशेष दर्जे ने जम्मू कश्मीर और इसके नागरिकों का हमेशा संरक्षण एवं विकास ही किया है। जेटली ने गत रोज बयान में कहा था कि 35ए के कारण ही जम्मू कश्मीर में गरीबी है। उमर ने कहा कि भाजपा ने राज्य में विधानसभा चुनाव की राह में रोड़ा अटकाया है, क्या यह लोकतंत्र को नुकसान नहीं है। राज्य को अगर नुकसान हुआ है तो आतंकवाद के कारण, न की राज्य के विशेष दर्जे और धारा 35ए के कारण। वर्ष 1987 के विधानसभा चुनाव के कथित धाधलियों और राज्य में आतंकवाद के लिए नेशनल कांफ्रेंस को विभिन्न हल्कों में जिम्मेदार ठहराने के संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि इसके लिए बहुत से कारक जिम्मेदार हैं। इस पर बहस तो हो सकती है, लेकिन इस समय आतंकवाद पर बहस से ज्यादा जरूरी, इसे समाप्त करना है। राज्य में बीते 30 वर्षो से जारी आतंकवाद में पाकिस्तान की बड़ी भूमिका है। राज्य में आतंकवाद को अपने पाव पसारने का मौका देने के लिए किसी हद तक केंद्र की कश्मीर के प्रति अपनाई नीतिया जिम्मेदार रही हैं। नेका की भूमिका संबंधी सवाल पर उन्होंने कोई जवाब देने के बजाय कहा कि आतंकवाद ने हमारी रियासत को नुकसान पहुंचाया है। 35ए ने हमें बचाया है। यह संवैधानिक प्रावधान कोई हाल-फिलहाल में नहीं बना है। यह महाराज के वक्त का कानून है। आतंकवाद से पहले यहा बहुत से कारखाने थे। आतंकवाद के बावजूद आज देश के अश्रन्य भागों की तुलना में जम्मू कश्मीर में लोगों का जीवनस्तर बहुत ऊंचा है। यहा गरीबी में जीनों वालों की तादाद कम है। नेका उपाध्यक्ष ने कहा कि देश में बहुत से राज्यों को जम्मू कश्मीर की तरह की विशेष दर्जा प्राप्त है, लेकिन जम्मू कश्मीर को ही क्यों निशाना बनाया जाता है। हम चाहे सत्ता में रहें या बाहर, हम इनके खिलाफ किसी भी साजिश को कामयाब नहीं होने देंगे। 370 और 35ए के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं को नाकाम बनाने के लिए नेका की तरफ से की जा रही कोशिशों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हम इस संदर्भ दस्तावेज तैयार कर रहे हैं। इस विषय में हमने संविधान विशेषज्ञों और वरिष्ठ कानूनविदों की सेवाएं ली हैं। हम अदालत में कमजोर तरीके से अपना पक्ष नहीं रखना चाहते। हम राज्य के विशेष दर्जे और संवैधानिक प्रावधानों की हिफाजत में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हालाकि शुरू से कई दलों के निशाने पर रहा है। वर्ष 2015 में जब पीडीपी-भाजपा गठबधन सरकार राज्य में सत्ता में आई तो इसके खिलाफ साजिश तेज हो गई। भाजपा व उस जैसे अन्य दलों को शायद नहीं मालूम कि जम्मू कश्मीर का भारत में सशर्त विलय हुआ था। अगर इस विषय पर बहस हुई तो जम्मू कश्मीर के विलय पर भी सवाल उठेंगे। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव और इनके बाद होने वाले विधानसभा चुनाव राज्य के विशेष दर्जे की हिफाजत के लिए अहम हैं। लोगों को इन चुनावों में भाजपा व उसके एजेंटों के खिलाफ जो अलग अलग रंगों में यहा सक्रिय हैं। वोट देकर उनके मंसूबों को नाकाम बनाना है। राज्य में आतंकवाद के लिए नेशनल कांफ्रेंस की जिम्मेदारी से बचने का प्रयास करते हुए इसे बहस का मुद्दा बनाने से पहले आतंकवाद को समाप्त करना जरूरी है।