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श्रीनगर : सऊदी अरब की कंपनी में 15 साल से सेवाएं दे रहा जूनियर इंजीनियर, प्रशासन ने किया सेवामुक्त

अदालत ने पहली जून 2011 को मामला खारिज कर दिया। इसके बाद उसे 19 दिसंबर 2011 और 12 अप्रैल 2012 को भी अलग अलग नोटिस जारी किए गए। अखबार व अन्य माध्यमों के जरिए भी उसे डयूटी पर लौटने के लिए सूचित किया गयालेकिन वह नहीं लौटा।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 09:34 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 09:34 AM (IST)
श्रीनगर : सऊदी अरब की कंपनी में 15 साल से सेवाएं दे रहा जूनियर इंजीनियर, प्रशासन ने किया सेवामुक्त
उसकी सेवाएं पहली अप्रैल 2008 से समाप्त मानी जाएंगी।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। लोक निर्माण विभाग का एक जूनियर इंजीनियर विधिसम्मत अपनी विभागीय जिम्मेदारी निभाने के बजाय सऊदी अरब में बीते 15 साल से एक कंपनी में बतौर वित्तीय सलाहकार अपनी सेवाएं दे रहा था। प्रशासन ने अब उसे सेवामुक्त कर दिया है। अपनी गैर हाजिरी को सही ठहराने के लिए उसने एक अदालत काभी सहारा लिया था,लेकिन अदालत ने उसकी याचिका भी निरस्त की,लेकिन वह काम पर नहीं लौटा। यह कहानी है डाउन-टाउनके वनियार, सफाकदल के रहने वाले शब्बीर अहमद बट की।

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शब्बीर अहमद बट का सात मार्च 2007 में मैकेनिकल विंग में बतौर जूनियर इंजीनियर चयन हुआ था। उसने 28 मार्च 2007 को चीफ इंजीनियर मैकेनिकल विंग इंजीनियरिंग विभाग के कार्यालय में अपनी डयूटी संभाली। कुछ ही दिन 11 जुलाई 2007 को उसे उपनिदेशक खरीद, भंडार के पांपोर स्थित कार्यालय में स्थानांतरित किया गया। उसने 18 जुलाई 2007 को अपीनी यह जिम्मेदारी संभाली। इसके बाद 31 मार्च 2008 को वह डयूटी से गैर हाजिर हो गया। उसके बाद से वह लगातार गैर हाजिर है।

उसकी अनुपस्थिति का संज्ञान लेते हुए उसे पहली दिसंबर 2008, 17 मई 2009 और 13 सितंबर 2009 को निर्धाारित प्रक्रिया के तहत नोटिस जारी कर डयूटी पर हाजिर होने के लिए कहा गया। इसके साथ ही उसे अपनी अनुपस्थिति का कारण भी स्पष्ट करने के लिए कहा गया। इसके बाद चार अक्टूबर 2010 को भी संबधित अधिकारियों ने उसे डयूटी पर लौटने के लिए नोटिस भेजा,लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया और न अपनी डयूटी पर हाजिर हुआ। इसके बाद तीन जनवरी 2011 को चीफ इंजीनियर स्टोर्स के कार्यालय काे शब्बीर अहमद बट की तरफ से एक पत्र प्राप्त हुआ।

इसमें उसने अपनी सेहत का हवाला देेते हुए डयूटी पर तत्काल लौटने में अपनी असमर्थता व्यक्त की। इस पर 26 फरवरर 2011 काे उसे दोबारा नोटिस भेजा गया और इसके बाद उसे जिला प्रमुख सत्र न्यायाधीश श्रीनगर की अदालत में मामला दर्ज कर कराया। अदालत ने पहली जून 2011 को मामला खारिज कर दिया। इसके बाद उसे 19 दिसंबर 2011 और 12 अप्रैल 2012 को भी अलग अलग नोटिस जारी किए गए। अखबार व अन्य माध्यमों के जरिए भी उसे डयूटी पर लौटने के लिए सूचित किया गया, लेकिन वह नहीं लौटा।

इस बीच, जम्मू कश्मीर पुलिस के सीआईडी विंग ने अपनी एक जांच के बाद सूचित किया कि शब्बीर अहमद बट कश्मीर में नहीं है। वह सऊदी अरब के दमाम में एक निजी कंपनी में काम करता है। वह वहां एआरएएमसीओ नामक कंपनी में बतौर वित्तीय सलहाकार काम कर रहा है। पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक, वह इस कंपनी के साथ वर्ष 2006 से ही जुड़ा हुआ था और अभी भी उसके साथ काम कर रहा है।

सभी तथ्यों का संज्ञान लेने के बाद और जम्मू कश्मीर सीविल सर्विस रूल्स के प्रविधानों के तहत प्रदेश सरकार ने उसकी सेवाएं समाप्त कर दी। उसकी सेवाएं पहली अप्रैल 2008 से समाप्त मानी जाएंगी।


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