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JK: शांति के लिए बुना आतंकियों के खात्मे का ख्वाब, गांव त्राड हमेशा रहा पाकिस्तानी गोलों के निशाने पर

गांव में शांति के लिए बुना आतंकियों के खात्मे का ख्वाब हंदवाड़ा मुठभेड़ में शहीद सगीर अहमद 1999 में बने थे पुलिस का हिस्सा शहीद का गांव त्राड हमेशा रहा पाक के निशाने पर रहता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 04 May 2020 08:53 AM (IST)Updated: Mon, 04 May 2020 08:53 AM (IST)
JK: शांति के लिए बुना आतंकियों के खात्मे का ख्वाब, गांव त्राड हमेशा रहा पाकिस्तानी गोलों के निशाने पर
JK: शांति के लिए बुना आतंकियों के खात्मे का ख्वाब, गांव त्राड हमेशा रहा पाकिस्तानी गोलों के निशाने पर

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो।  उत्तरी कश्मीर में एलओसी के अग्रिम हिस्से में स्थित करनाह का त्राड गांव। कुपवाड़ा जिले का यह गांव हमेशा पाकिस्तानी सैनिकों के निशाने पर रहता है। जंगबंदी का उल्लंघन हो तो पाकिस्तानी सेना इसी गांव पर गोले बरसाती है। घुसपैठ के लिए आतंकी इसी गांव के आसपास के नदी-नालों व जंगलों का इस्तेमाल करते हैं। यहां तक कि कई बार स्थानीय लोगो को भी अपनी जहालियत का निशाना बनाते रहे हैं।

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इसी गांव के सगीर अहमद पठान यह सोचते थे कि उसे कब इन ज्यादतियों का बदला लेने का मौका मिलेगा, कब उसे अपने इलाके में शांति और सुकून का माहौल देखने को मिलेगा? यही सोचते-सोचते वह जवान हुआ और फिर अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए वर्ष 1999 में जम्मू कश्मीर पुलिस का हिस्सा बन गया।वर्ष 1978 में त्राड करनाह के एक पठान परिवार में पैदा होने वाले सगीर अहमद पठान कुछ ही सालों में आतंकियों के लिए मौत का दूसरा नाम बन गए थे। वह जिस अभियान का हिस्सा होते, उसमें आतंकियों का बच निकलना मुश्किल होता था।

छंजमुला हंदवाड़ा में भी सगीर शनिवार को हुई खूरेंज मुठभेड़ में आतंकियों को मार गिराने में कर्नल आशुतोष शर्मा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़े और शहीद हो गए। बतौर कांस्टेबल पुलिस में भर्ती होने वाले सगीर पठान को उनकी बहादुरी, राष्ट्रभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा के कारण न सिर्फ तीन बार समयपूर्व पदोन्नति मिली, बल्कि वीरता के कई पुरस्कार भी मिले।

2011 में पुलिस वीरता और 2009 में शेरे कश्मीर पदक

शहीद सब इंस्पेक्टर को वर्ष 2011 में पुलिस वीरता पदक और उससे पहले वर्ष 2009 में शेरे कश्मीर पुलिस वीरता पदक भी मिल चुका है। वह डीजीपी प्रशस्ति पत्र और जीओसी इन सी उत्तरी कमान प्रशस्ति पत्र से भी सम्मानित हुए। शहीद पठान के परिवार में उनकी तीन बेटियां, एक पुत्र और बुजुर्ग मां-बाप रह गए हैं। उनका पार्थिव शरीर रविवार दोपहर को श्रद्धांजलि समारोह के बाद पूरे सम्मान के साथ उसके परिजनों को सौंपा गया।

दिलबाग सिंह, पुलिस महानिदेशक

सगीर अहमद पठान ने आतंकरोधी अभियानों में अहम भूमिका निभाई। वह हंदवाड़ा, कुपवाड़ा में कई नामी आतंकियों को मार गिराने के अभियानो में शामिल रहे। उनकी बहादुरी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह पुलिस कांस्टेबल से सब इंस्पेक्टर बने। जम्मू कश्मीर पुलिस सगीर की बहादुरी को सलाम करती है।

विजय कुमार, आइजीपी कश्मीर-

सगीर अहमद पठान आतंकरोधी अभियानों के लिए गठित जम्मू कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान दल में वर्ष 2006 में शामिल हुए थे। वह खतरनाक से खतरनाक मिशन पर आगे रहे। वह एलओसी के साथ सटे इलाकों से लेकर जिले के भीतरी हिस्सों की भौगोलिक परिस्थितियां अच्छी तरह जानते थे। उनका लोकल इंटेलीजेंस नेटवर्क भी काफी मजबूत था। 


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