Move to Jagran APP

समुद्र से आसमान तक दुश्मन पर कहर बरपाएगी जेकलाई

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : पाकिस्तानी कबाइलियों को मार भगाने के लिए कश्मीरियों द्वारा स्वेच्छा से

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 02:41 AM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 02:41 AM (IST)
समुद्र से आसमान तक दुश्मन पर कहर बरपाएगी जेकलाई
समुद्र से आसमान तक दुश्मन पर कहर बरपाएगी जेकलाई

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : पाकिस्तानी कबाइलियों को मार भगाने के लिए कश्मीरियों द्वारा स्वेच्छा से गठित मलेशिया फौज जो जम्मू कश्मीर लाइट इनफेंट्री (जेकलाई) बन चुकी है, अब कश्मीर के पहाड़ों से पार समुद्र की लहरों और आसमान में दुश्मन पर कहर बरपाती नजर आएगी। वह नौसेना और वायुसेना के साथ मिलकर युद्धक कार्रवाई करने से लेकर राहत अभियान भी संचालित करेगी। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सोमवार को जेकलाई के रेजिमेंटल सेंटर, भारतीय नौसेना के युद्धपोत कोच्ची और वायुसेना की 51 स्क्वाड्रन के बीच एक संबद्धता समारोह में सहमति पत्र तय हुआ है।

loksabha election banner

आइएनएस कोच्ची पूरी तरह स्वदेशी युद्धपोत है और जेकलाई भी अग्रेजों के समय की रेजिमेंट नहीं बल्कि आजाद भारत में बनी फौजी यूनिट है। दोनों के बीच संबद्धता का मूल मंत्र कश्मीर से कन्याकुमारी तक 'हम साथ चलेंगे, साथ मिलकर राष्ट्र की रक्षा करेंगे' है।

संबद्धता समारोह में नौसेना के वाइस एडमिरल फ्लैग आफिसर कमां¨डग इन चीफ वेस्टर्न नेवल कमांड गिरीश लुथरा, सीआइएससी व जेकलाई रेजिमेंट के कर्नल लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ, सेना की 15 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एके बट, रियर एडमिरल एमए हैमपिहोली, एयर वाइस मार्शल संजय निमेश और सेना वायुसेना व नौसेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

नौसेना के वाइस एडमिरल ने जेकलाई के साथ संबद्धता का जिक्र करते हुए कहा कि आज एक एतिहासिक दिन है। आज नौसेना और वायुसेना के साथ जेकलाई के बीच संबद्धता हुई है। जेकलाई को नौसेना के युद्धक पोत आइएनएस कोच्ची के साथ जोड़ा गया है। यह पहला अवसर है जब हमने नौसेना के किसी प्रतिष्ठान या पोत से बाहर नौसेना की किसी यूनिट को थलसेना की किसी रेजिमेंट के साथ संबद्ध किया है।

उन्होंने बताया कि जेकलाई के जवान अब हमारे युद्धपोत पर आकर हमारी ऑपरेशनल गतिविधियों में हिस्सा ले सकेंगे। हमारी कार्यप्रणाली को समझेंगे। इसी तरह हमारे नौसेनिक भी जेकलाई के साथ ट्रे¨नग के लिए यहां आएंगे या जहां जेकलाई को उनकी जरूरत होगी, उसी आधार पर वह अपनी सेवाएं देंगे। इससे दोनों के बीच ऑपरेशनल समन्वय बढ़ेगा, जो न सिर्फ दुश्मन के खिलाफ युद्धक गतिविधियों में बल्कि प्राकृतिक आपदाओं में मिलकर राहत अभियान चलाने में भी सहायक होगा।

नौसेना का युद्धक पोत कोच्ची कोलकाता में डिजाइन किया गया है और इस पर लगे गाईडिड मिसाइल डिस्ट्रायर मुबंई स्थित मंजगांव डॉक में तैयार हुए हैं। अत्याधुनिक हथियारों और संवेदकों से लैस इस युद्धपोत का नाम कोच्ची शहर के नाम पर रखा गया है।

जेकलाई के कर्नल लेफ्टिनेंट जनरल एसके दुआ ने कहा कि थल सेना, वायुसेना और नौसेना तीनों ही इस महान राष्ट्र की हिफाजत के लिए हैं। इन तीनों को मिलाकर ही भारतीय सेना बनती है। उन्होंने कहा कि वायुसेना के साथ भी हमारी संबद्धता है। अब नौसेना के साथ हुई है। इससे पहले आइएनएस गंगा के साथ जेकलाई की संबद्धता थी। आइएनएस गंगा को उसका सेवाकाल पूरा होने के बाद इसी साल रिटायर करते हुए बंदरगाह पर लगा गया था। उन्होंने कहा कि आइएनएस कोच्ची के साथ संबद्धता के साथ जेकलाई की युद्धक क्षमता में और बेहतरी आएगी।

वर्ष 2014 में आई विनाशकारी बाढ़ के दौरान जेकलाई रेजिमेंटल सेंटर और वायुसेना की 51 स्क्वाड्रन ने मिलकर पीड़ितों के बचाव और राहत के लिए ऑपरेशन मेघ राहत चलाया था। ऑपरेशन मेघ राहत की कामयाबी के लिए दोनों सेनाओं के आपस में समन्वय, संयुक्त रणनीति जिम्मेदार रही। इसी सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए जेकलाई रेजिमेंटल सेंटर के साथ 51 स्क्वाड्रन को भी संबद्ध किया गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.