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जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग, सरकार बनने की संभावना खत्म

जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार बनाने को लेकर दो दिन से जारी सियासी घम

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Nov 2018 08:46 AM (IST)Updated: Thu, 22 Nov 2018 08:46 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग, सरकार बनने की संभावना खत्म
जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग, सरकार बनने की संभावना खत्म

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार बनाने को लेकर दो दिन से जारी सियासी घमासान के बीच बुधवार देर शाम राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा को भंग कर दिया। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने की संभावना भी खत्म हो गई। इससे पहले जहा पुरानी दुश्मनी भूलकर तीन दल पीडीपी, काग्रेस व नेशनल काफ्रेंस एकजुट हो गए थे, वहीं भाजपा के सहारे पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद लोन अकेले पटखनी देने की तैयारी में दिखे। दोनों तरफ से बुधवार को सरकार बनाने के दावे भी पेश हुए। लेकिन राजभवन ने सभी को पटखनी देते हुए विधानसभा को भंग कर सभी को अचंभित कर दिया। इसके साथ ही राज्य में 19 दिसंबर से राष्ट्रपति शासन लागू होने का रास्ता साफ हो गया है। इस बीच पीडीपी, नेका व काग्रेस ने विधानसभा को भंग किए जाने के फैसले के खिलाफ राज्यव्यापी प्रदर्शन करने का एलान किया है।

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राज्यपाल की ओर से विधानसभा को भंग किए जाने के फैसले से चंद मिनट पहले ही पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सोशल मीडिया पर एक पत्र अपलोड कर 56 विधायकों के समर्थन का दावा किया था। उन्होंने बताया था कि काग्रेस व नेका के साथ मिलकर सरकार बनाने के लिए राजभवन को पत्र भेज दिया गया है। लेकिन राजभवन के फैक्स पर उसे प्राप्त नहीं किया गया। इसके बाद जब राज्यपाल से फोन पर भी संपर्क नहीं हो पाया, तब ईमेल किया गया है।

महबूबा के इस पत्र के सार्वजनिक होते ही पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन ने भी राज्यपाल को भाजपा के सहयोग से सरकार बनाने का अपने दावे का पत्र भेज दिया। उन्होंने पत्र में बताया कि उनके पास भाजपा के 25 विधायकों के अलावा अन्य दलों के 18 विधायकों का समर्थन है। ऐसे में जब भी राज्यपाल कहेंगे, वह उन्हें पेश कर सकते हैं। सज्जाद लंदन दौरा बीच में ही छोड़ दिल्ली पहुंचे थे। उनके साथ पीडीपी से नाराज चल रहे पार्टी नेता इमरान रजा अंसारी भी लौट आए।

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राज्यपाल ने चारों सलाहकारों की राय के बाद लिया फैसला :

सरकार बनाने के परस्पर विरोधी दावों के बीच राज्यपाल ने अपने चारों सलाहकारों के साथ मौजूदा राजनीतिक व सुरक्षा परिदृश्य पर चर्चा की। इसमें किसी भी दल को सरकार बनाने का मौका देने के बजाय विधानसभा को भंग करने का फैसला किया गया। बैठक के बाद राज्य के प्रमुख सचिव उमंग नरुला ने एक पत्र जारी कर बताया कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर संविधान के अनुच्छेद 53 की धारा दो की उपधारा के तहत प्राप्त अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए विधानसभा को भंग कर दिया है। तेजी से बदलता चला गया सियासी घटनाक्रम :

मंगलवार को पीडीपी में मुज्जफर हुसैन बेग की बगावत की खबरों के बीच सियासी घटनाक्रम तेजी से बदला और तीनों दलों नेकां, पीडीपी व कांग्रेस के एकसाथ आने की अटकलें शुरू हो गई। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने अपने करीबियों के जरिये नेशनल कांफ्रेंस नेतृत्व और काग्रेस आलाकमान से संपर्क किया। इसके बाद बुधवार सुबह पीडीपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सईद अल्ताफ बुखारी ने नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला से मुलाकात की। इसी दौरान काग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और सचिन पायलट से उमर अब्दुल्ला का कथित तौर पर संवाद हुआ। इस बीच, पीडीपी नेता सईद अल्ताफ बुखारी को मुख्यमंत्री मद का दावेदार बनाने की अटकलें भी जारी रहीं। छह माह से ज्यादा लागू नहीं रखा जा सकता राज्यपाल शासन :

16 जून को भाजपा की समर्थन वापसी पर तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के गिरके बाद से ही राज्य में राज्यपाल शासन लागू है। तब विधानसभा को भंग नहीं किया गया और उसे निलंबित रखा गया था। राज्य संविधान के मुताबिक जम्मू- कश्मीर में छह माह से ज्यादा समय तक राज्यपाल शासन लागू नहीं रखा जा सकता। इसलिए अब 19 दिसंबर से राष्ट्रपति शासन लागू होगा। किसके कितने थे विधायक :

87 सदस्यीय राज्य विधानसभा में भाजपा के पास 25 और सज्जाद गनी लोन के नेतृत्व वाली पीपुल्स काफ्रेंस के दो विधायक थे। पीडीपी के 28, नेशनल काफ्रेंस के 15 और काग्रेस के 12 विधायकों के अलावा पाच अन्य विधायक थे।

पाकिस्तान के इशारे पर जमा हो रहे थे तीनों दल : भाजपा

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंद्र गुप्ता ने कहा कि नेकां, कांग्रेस व पीडीपी किसी भी तरह से राज्य व राष्ट्र के लिए नहीं बल्कि जम्मू-कश्मीर में हालात बिगाड़ने के लिए पाकिस्तान के इशारे पर जमा हो रहे थे।


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