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Jammu And Kashmir Police: डीएसपी देविंदर सिंह को गृह मंत्रालय से नहीं मिला कोई वीरता पुरस्कार

Jammu And Kashmir Police. डीएसपी देविंदर सिंह के मामले में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा है कि उन्हें गृह मंत्रालय की तरफ से कोई वीरता पुरस्कार नहीं दिया गया था।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 02:52 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 03:42 PM (IST)
Jammu And Kashmir Police: डीएसपी देविंदर सिंह को गृह मंत्रालय से नहीं मिला कोई वीरता पुरस्कार
Jammu And Kashmir Police: डीएसपी देविंदर सिंह को गृह मंत्रालय से नहीं मिला कोई वीरता पुरस्कार

श्रीनगर, एएनआइ। आतंकियों के साथ पकड़े गए डीएसपी देविंदर सिंह के मामले में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा है कि उन्हें गृह मंत्रालय की तरफ से कोई वीरता पुरस्कार नहीं दिया गया था। देविंदर सिंह को सिर्फ जम्मू-कश्मीर सरकार ने वीरता पुरस्कार दिया था।

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गौरतलब है कि डिप्टी एसपी दविंदर सिंह को 25-26 अगस्त 2017 को जिला पुलिस लाइंस पुलवामा में आतंकी हमले का सामना करने में उनकी भागीदारी के लिए वीरता पदक दिया गया था, जब वह वहां तैनात थे।

डीएसपी देविंदर से वीरता पुरस्कार लिया जा सकता वापस

आतंकियों के साथ पकड़े गए डीएसपी देविंदर सिंह से 'वीरता पुरस्कार' वापस लिया जा सकता है। इस संदर्भ में प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है। इसी बीच, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) के दो वरिष्ठ अधिकारी भी डीएसपी और दो आतंकियों से गहन पूछताछ करने के लिए श्रीनगर पहुंच गए हैं। मामले की गंभीर को देखते हुए प्रशासन जांच का जिम्मा एनआइए को सौंप सकता है। संबंधित अधिकारियों ने बताया कि देविंदर और आतंकियों के रिश्ते के बारे में पुलिस ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और गृह सचिव को विस्तृत रिपोर्ट दी है। आतंकरोधी अभियानों में हिस्सा लेते हुए समय से पूर्व पदोन्नति के आधार पर सब इंस्पेक्टर से डीएसपी बने देविंदर को प्रदान किए पुलिस वीरता पुरस्कार को भी वापस लिए जाने पर विचार किया जा रहा है। संबंधित प्रशासन इस पर जुट गया है। यह पुरस्कार वर्ष 2017 में मिला था।

पहले हवाई जहाज से जाने की बनाई थी योजना

अधिकारियों के अनुसार, देविंदर लंबे समय से आतंकियों से जुड़ा था। वह उनके लिए सुरक्षित ठिकानों से लेकर उन्हें एक से दूसरी जगह पहुंचाने का भी बंदोबस्त करता था। कई बार पुलवामा के त्राल में पैतृक घर में और कई बार श्रीनगर में अपने मकान में आतंकियों को पनाह दी है। शनिवार को नवीद बाबू व अन्य तीन लोगों को सड़क के रास्ते चंडीगढ़ रवाना होने से पहले शुक्रवार रात उसने आतंकियों को श्रीनगर स्थित मकान में ठहराया था। पहले उसने सभी को हवाई जहाज के रास्ते कश्मीर से बाहर ले जाने की योजना बनाई थी, लेकिन एयरपोर्ट पर पकड़े जाने के डर से उसने इरादा बदला है। वह श्रीनगर एयरपोर्ट पर एंटीहाईजैक विंग में तैनात था। उसने आतंकियों को कश्मीर से बाहर ले जाने के लिए चार दिन के लिए अवकाश प्राप्त किया था।

पुलिस लाइन पर हुए हमले की अहम जानकारी मिली

सूत्रों कि मानें तो पूछताछ के दौरान देविंदर सिंह से पुलिस को पुलवामा पुलिस लाइन पर दो वर्ष हुए आतंकी हमले के बारे में कथित तौर पर कुछ अहम जानकारियां मिली हैं। दावा किया जाता है कि वह उन दिनों पुलवामा में तैनात थे। एनआइए के दो वरिष्ठ अधिकारी देविंदर सिंह व उनके साथ पकड़े आतंकियों से पूछताछ के लिए श्रीनगर पहुंच चुके हैं। उन्होंने एक घंटे तक डीएसपी से पूछताछ की है। उन्होंने पूछताछ से जुड़े दस्तावेजों का संबंधित अधिकारियों संग संज्ञान लिया है। सूत्रों की मानें तो प्रशासन पूरे मामले की जांच एनआइए को सौंप सकता है।

जानें, कैसे शिकंजे में आए

गत शनिवार को पुलिस ने श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित अल-स्टाप, मीरबाजार कुलगाम में एक कार में डीएसपी देविंदर सिंह, हिज्ब आतंकी नवीद बाबू, उसका एक साथी, लश्कर के एक ओवरग्राउंड वर्कर को पकड़ा था। कार से हथियारों का जखीरा बरामद किया था। इसके बाद डीएसपी की निशानदेही पर पुलिस ने उसके घर से तीन ग्रेनेड, दो पिस्तौल व एक एसाल्ट राइफल बरामद की थी। लाखों के करंसी नोट भी मिले हैं।

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