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जम्मू-कश्मीर मुश्किल दौर से गुजर रहा : मुफ्ती

मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद ने बुधवार को राज्य को राजनीतिक असमंजस और अस्थिरता के दौर से निकालने पर जोर देते हुए कहा कि बीते 50 सालों से जम्मू-कश्मीर एक मुश्किल दौर से गुजर रहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 16 Apr 2015 01:14 AM (IST)Updated: Thu, 16 Apr 2015 01:18 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर मुश्किल दौर से गुजर रहा : मुफ्ती

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद ने बुधवार को राज्य को राजनीतिक असमंजस और अस्थिरता के दौर से निकालने पर जोर देते हुए कहा कि बीते 50 सालों से जम्मू-कश्मीर एक मुश्किल दौर से गुजर रहा है। उसे इस मुश्किल से निकालने के लिए हमें सभी रास्तों को तलाशना है। भारत-पाकिस्तान के बीच सामान्य संबंधों की बहाली पर जोर देते हुए मुफ्ती ने कहा कि सभी पड़ोसी मुल्कों के साथ अमन और बातचीत की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए सार्क एक अहम भूमिका निभा सकता है।

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मुफ्ती शेरे कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में बाढ़ प्रभावितों में राहत वितरण के लिए आयोजित समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री बनना ही मेरा लक्ष्य होता तो मैं दो माह पहले ही इस कुर्सी पर बैठकर राज्य की हुकूमत संभाल लेता, लेकिन मेरा मकसद राज्य में अमन बहाली है।

उन्होंने कहा कि मेरा मकसद जम्मू-कश्मीर को शांति और सद्भाव का प्रतीक बनाना है। हम सभी को साथ लेकर चलेंगे। मैंने अपनी पार्टी से कहा कि विधानसभा में डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को ही दिया जाए। हम सभी को साथ लेकर चलना चाहते हैं। विधान परिषद में हम डिप्टी चेयरमैन का पद कांग्रेस को देने के समर्थक हैं।

मुख्यमंत्री ने वर्ष 2002 से 2005 तक के अपने पहले शासनकाल का जिक्र करते हुए कहा कि हमने उस समय कश्मीर मसले के हल के लिए पाकिस्तान व हुर्रियत समेत सभी पक्षों के बीच एक सतत बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने में मदद की और इसे शुरू भी कराया। उन्होंने कहा वर्ष 2002 में मैं जब मुख्यमंत्री था तो हमने कठुआ से करगिल तक सीमावर्ती इलाकों में अमन को यकीनी बनाने के लिए कई कदम उठाए। लोगों ने उनका नतीजा भी देखा और एलओसी पर जंगबंदी का एलान भी हो गया।

मीडिया को समाज का एक अहम स्तंभ करार देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मीडिया अपनी कलम और तेज निगाहों से हमेशा सरकार की निगरानी करते हुए उसे गलतियों से बचने को प्रेरित करता है। हम एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में रहते हैं, जहां समाज के चौथे स्तंभ मीडिया को बराबरी का अधिकार है।


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