दिल्ली ब्लास्ट मामले में एक्शन में जम्मू-कश्मीर पुलिस, अब तक 15 लोग गिरफ्तार, 200 से ज्यादा ठिकानों पर छापामारी
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जैश-ए-मोहम्मद के लिए काम करने वाले 'डॉक्टर टेरर मॉड्यूल' का पर्दाफाश किया है। इस मामले में 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मॉड्यूल युवाओं को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल करने और उन्हें हथियार प्रशिक्षण देने का काम कर रहा था।

पुलिस ने भारी मात्रा में हथियार बरामद किए हैं और जांच जारी है।
डिजिटल डेस्क, जागरण, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जैश-ए-मोहम्मद के लिए कथित तौर पर काम करने वाले एक "डॉक्टर टेरर मॉड्यूल" का भंडाफोड़ करते हुए अब तक कुल 15 लोगों को गिरफ्तार किया है जबकि तीन को हिरासत में लिया है।
10 नवंबर को शाम 6:52 बजे लाल किले में हुए विस्फोट के लिए इनके जिम्मेदार होने का संदेह है। ये गिरफ्तारियां जम्मू-कश्मीर पुलिस ने की हैं और अब तक कुल 56 डॉक्टरों से पूछताछ की जा चुकी है। यही नहीं मॉड्यूल से जुड़े लोगों का पता लगाने के लिए पुलिस ने चार दिन में 200 से अधिक जगहों पर छापेमारी की है।
अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दिल्ली बम धमाके के मृतकों के शरीर पर कोई विस्फोटक नहीं मिला है। ऐसे में जांचकर्ताओं को अब संदेह है कि विस्फोट में एक संशोधित विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया होगा।
श्रीनगर नौगाम से आरंभ हुई जांच
यह जांच श्रीनगर के नौगाम पुलिस स्टेशन क्षेत्र में सुरक्षा बलों को धमकी देने वाले एक आपत्तिजनक पोस्टर से जुड़ी है। 19 अक्टूबर को इस संबंध में मामला दर्ज किया गया था। जांच के शुरुआती चरण में 20 से 27 अक्टूबर के बीच शोपियां से मौलवी इरफ़ान अहमद वाघ और गांदरबल के वाकुरा से जमीर अहमद की गिरफ़्तारी हुई।
5 नवंबर को सहारनपुर से डॉक्टर आदिल की गिरफ़्तारी के साथ जांच का दायरा और बढ़ गया, जिसके बाद 7 नवंबर को अनंतनाग अस्पताल से एक एके-47 राइफल और अन्य गोला-बारूद और 8 नवंबर को फरीदाबाद के अल फलाह विश्वविद्यालय से और राइफलें, पिस्तौलें और गोला-बारूद बरामद हुए।
पूछताछ में मॉड्यूल के सदस्यों का पता चला
बाद की पूछताछ में मॉड्यूल के और सदस्यों का पता चला, जिसके परिणामस्वरूप डॉक्टर मुज़म्मिल की गिरफ़्तारी हुई और हथियारों और गोला-बारूद का एक बड़ा ज़खीरा ज़ब्त हुआ। 9 नवंबर को, फरीदाबाद के धोज निवासी मद्रासी नाम के एक व्यक्ति को गिरफ़्तार किया गया।
10 नवंबर को फरीदाबाद के ढेरा कॉलोनी स्थित अल फलाह मस्जिद के इमाम हाफ़िज़ मोहम्मद इश्तियाक के आवास से 2,563 किलोग्राम विस्फोटक बरामद होने से एक बड़ी सफलता मिली। अतिरिक्त छापों में 358 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री, डेटोनेटर और टाइमर बरामद किए गए, जिससे कुल मात्रा लगभग 3,000 किलोग्राम हो गई। पुलिस सूत्रों के अनुसार, "इन अभियानों के दौरान, अल फलाह विश्वविद्यालय का कर्मचारी और कथित मॉड्यूल सदस्य, डॉक्टर उमर मोहम्मद भूमिगत हो गया।"
डॉ. उमर की मां के डीएनए के नमूने एम्स भेजे
10 नवंबर की शाम को लाल किले में विस्फोट हुआ। दिल्ली पुलिस, एनएसजी, एनआईए और फोरेंसिक टीमों ने तुरंत कार्रवाई की। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया और घटनास्थल से डीएनए नमूने, विस्फोटक अवशेष और अन्य साक्ष्य एकत्र किए गए। एक महत्वपूर्ण खोज एक कटा हुआ हाथ था, जिसके बारे में संदेह है कि वह डॉ. उमर मोहम्मद का था, जिस पर आत्मघाती हमलावर होने का आरोप है। पुष्टि के लिए उसकी मां के डीएनए नमूने ले लिए गए हैं और उन्हें जांच के लिए एम्स दिल्ली में भेजा गया है।
डॉ. शाहीन संभाल रही थी जैश अभियानों की कमान
विस्फोट में इस्तेमाल की गई कार डॉ. शाहीन शाहिद के नाम पर पंजीकृत थी, जिसे बाद में लखनऊ से गिरफ्तार किया गया और उसकी पहचान भारत में जैश-ए-मोहम्मद के अभियानों की कमान संभालने वाली महिला के रूप में हुई। उसने कथित तौर पर लगभग दो साल तक विस्फोटक जमा करने और सहयोगी डॉक्टरों के साथ मिलकर एक बड़े आतंकवादी हमले की साजिश रचने की बात कबूल की।
हर पहलु की हो रही बारिकी से जांच
पुलिस सूत्रों ने कहा, "सीसीटीवी फुटेज से पता चलता है कि डॉ. उमर मोहम्मद वाहन चला रहा था और विस्फोट में इस्तेमाल किए गए विस्फोटक फरीदाबाद में जब्त किए गए विस्फोटकों से मेल खाते हैं।" अधिकारी अभी भी इस बात की जांच कर रहे हैं कि विस्फोट पूर्व नियोजित था या भागते समय उमर के घबराने से हुआ आकस्मिक विस्फोट था। हर पहलु की बारिकी से जांच की जा रही है।
पुलिस सूत्रों ने यह भी बताया कि जांच से यह भी पता चला कि वाहन 29 अक्टूबर से 10 नवंबर को दिल्ली लाए जाने तक लगभग 11 दिनों तक, फरीदाबाद के धौज स्थित अल-फलाह मेडिकल कॉलेज में खड़ा था। मॉड्यूल के वित्तपोषण, संचालन और व्यापक नेटवर्क की जांच के लिए मामला औपचारिक रूप से 11 नवंबर को एनआईए को सौंप दिया गया है।

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