जम्मू-कश्मीर: मुहर्रम पर गड़बड़ी की साजिश रच रही आइएसआइ व आतंकी, प्रशासन सतर्क व सुरक्षा बढ़ाई गई
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ आतंकी और अलगाववादी कश्मीर में मुहर्रम-उल-हरम के दौरान गड़बड़ी की साजिश में जुटे हैं।
श्रीनगर,राज्य ब्यूरो। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ, आतंकी और अलगाववादी कश्मीर में मुहर्रम-उल-हरम के दौरान गड़बड़ी की साजिश में जुटे हैं। इस साजिश को नाकाम बनाने के लिए प्रशासन भी पूरी तरह सक्रिय हो चुका है। सभी प्रमुख इमामबाड़ों की सुरक्षा को बढ़ाया जा रहा है। शिया समुदाय के सभी प्रमुख मजहबी नेताओं के साथ बैठकों का दौर जारी है और एहतियातन हिरासत में लिए कुछ प्रमुख शिया नेताओं को रिहा किया गया है। मुहर्रम-उल-हरम पहली सितंबर से शुरू हो रहा है।
पांच अगस्त से कश्मीर में कानून व्यवस्था की स्थिति का संकट बना हुआ है। हालांकि स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है, लेकिन तनाव बना हुआ है। जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित राज्यों में विभाजित किए जाने के केंद्र सरकार के फैसले से हताश आतंकी, अलगाववादी और अन्य राष्ट्रविरोधी तत्व इस समय माहौल बिगाडऩे के लिए मौका तलाश रहे हैं। स्थिति को सामान्य बनाए रखने के लिए प्रशासन ने पूरी वादी में प्रशासनिक पाबंदियों को लागू कर रखा है। करीब डेढ़ हजार राजनीतिक नेताओं व कार्यकर्ताओं को एहतियातन हिरासत में लिया गया है। इनके अलावा करीब साढ़े तीन हजार और लोगों को तथाकथित तौर पर पकड़ा गया है।
यहां बहुसंख्यक है शिया समुदाय :
घाटी में शिया समुदाय की आबादी लगभग सात से आठ फीसद है। यह समुदाय श्रीनगर के जडीबल, भगवानपोरा, शालीमार और बेमिना में बहुसंख्यक है। इसके अलावा डाउन-टाउन के कमानघरपोरा, शमसवारी, फतेहकदल, चिंकराल मोहल्ल, हब्बाकदल, रैनावारी, खानयार, नौपुरा, खानकाह-ए-सोख्ता, छत्ताबल, आबीगुजर में भी शिया अच्छी खासी तादाद में हैं। जिला बडग़ाम के अलावा उत्तरी कश्मीर के मीरगुंड, पट्टन, कुपवाड़ा और दक्षिण कश्मीर के पांपोर, अनंतनाग और पुलवामा व शोपियां में भी शिया समुदाय रहता है। बडग़ाम शिया बहुल जिला है।
मजहबी नेताओं व उनके समर्थकों को हथियार बनाने की साजिश :
वादी में बदली परिस्थितियों के बीच पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी अलगाववादी खेमे में सक्रिय अपने एजेंटों और अन्य राष्ट्रविरोधी तत्वों के जरिए ही मुहर्रम के दौरान वादी में हिंसा भड़काने का मौका तलाश रही है। खुफिया एजेंसियों ने भी बीते एक सप्ताह के दौरान अपने तंत्र के जरिए इस साजिश का पता लगाया है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी अलगाववादी खेमे सक्रिय शिया समुदाय के विभिनन मजहबी नेताओं व उनके समर्थकों को हथियार बनाने का प्रयास कर रही है। इसके अलावा वह मुहर्रम के जुलूस और मजलिसों के दौरान वादी में शिया-सुन्नी दंगे भी भड़का सकती है। कश्मीर में कई बार मुहर्रम के दौरान कई इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं भी हो चुकी हैं।
मजहबी मजलिसों का इस्तेमाल :
मुहर्रम के दौरान कानून व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने की कवायद में जुटे एक अधिकारी ने बताया कि सामान्य परिस्थितियों में ही मुहर्रम-उल-हरम के दौरान कश्मीर में स्थिति अत्यंत तनावपूर्ण रहती है। हुर्रियत कांफ्रेंस भी मुहर्रम के दौरान अपने राष्ट्रविरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए जुलूस निकालती है। इसके अलावा शिया समुदाय के विभिन्न नेता जो अलगाववादी खेमे से ताल्लुक रखते हैं, मजहबी मजलिसों का इस्तेमाल देश के खिलाफ करते हैं। इनमें अंजुमन-ए-शरिया-ए-शिया के आगा हसन बडग़ामी और इत्तेहादुल मुसलमीन के मौलाना अब्बास अंसारी प्रमुख हैं। कश्मीर की बदली परिस्थितियों में मुहर्रम-उल-हरम के दौरान यहां गड़बड़ी करने के लिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी हर तरीके का इस्तेमाल कर रही है। इस साजिश से निपटने के लिए हमने शिया समुदाय की सिविल सोसायटी को विश्वास में लेकर ही विभिन्न सुरक्षा प्रबंध किए हैं।
मजहबी गतिविधियों पर कोई पाबंदी नहीं होगी :
अधिकारी ने बताया कि आठ मुहर्रम और आशूरा के दिन संवेदनशील इलाकों में प्रतिबंध के बावजूद शिया बहुल इलाकों में मजहबी गतिविधियों पर कोई पाबंदी नहीं होगी। पुलवामा, बडग़ाम, श्रीनगर और बारामुला में करीब दो दर्जन इमामबाड़ों की सुरक्षा बढ़ाई जा रही है। इसके अलावा इन इमामबाड़ों से संबंधित सभी प्रमुख मजहबी नेताओं के साथ लगातार बैठकें की जा रही हैं। एहतियातन हिरासत में लिए गए शिया समुदाय के कई प्रमुख मजहबी नेताओं को रिहा भी किया जा रहा है ताकि वह अपने समर्थकों को सांप्रदायिक सौहार्द व शांति बनाए रखने के लिए प्रेरित कर सकें। इसी उद्देश्य के साथ रिहा किए गए शिया मजहबी नेताओं में मौलाना बशीर का नाम उल्लेखनीय है। उन्हें तीन दिन पहले ही रहा किया गया है।
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