Move to Jagran APP

कश्मीर में आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी

पिछले छह माह के दौरान सिर्फ एसएमएचएस अस्पताल में ही आत्महत्या का प्रयास करने वाले 58 लोगों ने दम तोड़ा है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 15 Aug 2018 05:57 PM (IST)Updated: Wed, 15 Aug 2018 05:57 PM (IST)
कश्मीर में आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी
कश्मीर में आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। मारिया (बदला हुआ नाम) ने अपने घर में किसी बात से तंग आकर जहरीला पदार्थ खा लिया। उसके परिजन उसकी जान बचाने के लिए यहां एसएमएचएस अस्पताल में लेकर आए। डॉक्टरों ने उसका जीवन बचाने का भरसक प्रयास किया, लेकिन नाकाम रहे। अस्पताल में भर्ती होने के लगभग पांच घंटे बाद उसने दम तोड़ दिया। मारिया कश्मीर की कोई पहली महिला नहीं है, जिसने आत्महत्या का प्रयास किया हो और उपचार के दौरान अस्पताल में दम तोड़ा हो। वादी में आत्महत्या करने वालों और आत्महत्या का प्रयास करने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

loksabha election banner

पिछले छह माह के दौरान सिर्फ एसएमएचएस अस्पताल में ही आत्महत्या का प्रयास करने वाले 58 लोगों ने दम तोड़ा है, जबकि आत्महत्या के प्रयास में नाकाम रहे 400 लोग विभिन्न अस्पतालों में उपचाराधीन हैं। एसएमएचएस अस्पताल में कार्यरत एक डॉक्टर ने बताया कि आत्महत्या का प्रयास करने से संबंधित मामले ज्यादा गांवों से ही आते हैं। ज्यादातर लोग अपने घर में उपलब्ध कीटनाशकों और जहरीले पदाथरें का इस्तेमाल करते हैं। यह पदार्थ किसी भी ग्रामीण के घर में आसानी से उपलब्ध हो जाता है। अस्पताल के रिकॉर्ड के मुताबिक बीते एक दशक के दौरान जहर खाकर अपनी जीवनलीला समाप्त करने से संबंधित 5370 मामले सिर्फ इसी अस्पताल में दर्ज हैं। राज्य पुलिस की अपराध शाखा के मुताबिक पूरी रियासत में 2017 के दौरान आत्महत्या के 291 मामले दर्ज किए गए। इनमें भी सबसे ज्यादा घटनाएं उत्तरी कश्मीर के हंदवाडा और बारामुला के अलावा दक्षिण कश्मीर में ही दर्ज हुई हैं। 2015 में आत्महत्या के 247 और 2016 में 267 मामले रिकॉर्ड किए गए हैं।

जम्मू संभाग की तुलना में कश्मीर संभाग में आत्महत्या करने वाले और आत्महत्या का प्रयास करने वालों की तादाद ज्यादा है। कश्मीर के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. अरशद ने बताया कि वादी में बीते दो दशकों के दौरान आत्महत्या करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आत्महत्या करने वाले समाज के हर वर्ग से संबंध रखते हैं। इनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा है। उनके मुताबिक शुरुआत में जब कोई आत्महत्या का प्रयास करने वाला मरीज जो बच जाता था, पूछताछ के दौरान यही बताता था कि उसका अपने परिजनों से मनमुटाव हो गया है। अगर कोई किशोर होता था तो कहता था कि परीक्षा में नंबर कम आए हैं, लेकिन जब इन सभी मामलों की गहन जांच की गई तो कई नए तथ्य सामने आए। आत्महत्या का प्रयास करने वाली अधिकांश गृहिणियां घरेलू हिंसा से पीडि़त थीं। इसके अलावा कई ने प्रेम संबंधों की नाकामी पर यह कदम उठाया था।

आत्महत्या करने वाले युवकों में से अधिकांश ने बेरोजगारी से तंग आकर अपनी जीवन लीला समाप्त की है। उन्होंने बताया कि सबसे अहम मामला एक कालीन बुनकर का है। उसने 11 बार आत्महत्या का प्रयास किया था। फिलहाल, उसका मनोरोग निदान अस्पताल में उपचार चल रहा है। वह बेकारी के चलते डिप्रेशन का शिकार हो गया था। आर्थिक तंगहाली ने उसे मानसिक रूप से बीमार और कमजोर बना दिया था। उसने आत्महत्या के लिए लगभग हर तरीका अपनाया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.