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जम्मू-कश्मीर: पीडीपी से नहीं, नेशनल कांफ्रेंस से कांग्रेस का होगा गठबंधन

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भंग होने के बाद केंद्र पर निशाना साध रही कांग्रेस ने साफ संकेत दिए हैं कि पीडीपी से चुनाव पूर्व गठबंधन की गुंजाइश नहीं है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 22 Nov 2018 08:46 PM (IST)Updated: Thu, 22 Nov 2018 08:46 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर: पीडीपी से नहीं, नेशनल कांफ्रेंस से कांग्रेस का होगा गठबंधन
जम्मू-कश्मीर: पीडीपी से नहीं, नेशनल कांफ्रेंस से कांग्रेस का होगा गठबंधन

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भंग होने के बाद तेजी से बदले घटनाक्रम में केंद्र पर निशाना साध रही कांग्रेस ने साफ संकेत दिए हैं कि पीडीपी से चुनाव पूर्व गठबंधन की गुंजाइश नहीं है। लोकसभा के आम चुनाव के साथ जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की मांग कर रही कांग्रेस ने यह इशारा भी कर दिया है कि सूबे में नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) के साथ उसका गठबंधन होना लगभग तय है।

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भाजपा और सज्जाद लोन की सियासत को थामने के लिए कांग्रेस और एनसी के साथ पीडीपी के भी गठबंधन में शामिल होने की अटकलों को खारिज करते हुए कांग्रेस के उच्चपदस्थ सूत्रों ने कहा कि इस चर्चा में कोई दम नहीं है। उनका कहना था कि भाजपा की सज्जाद लोन को पिछले दरवाजे से आगे कर सरकार बनाने की साजिश को नाकाम करने के लिए महबूबा की पहल में कांग्रेस और उमर अब्दुल्ला के रणनीतिक समर्थन की वजह से इन चर्चाओं को उछाला जा रहा है। इसमें भी अहम बात यह रही कि महबूबा की राज्यपाल को सरकार बनाने के लिए भेजी गई चिठ्ठी में कांग्रेस के समर्थन की बात उन्होंने खुद से लिखी थी।

राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद के बयान का हवाला देते हुए सूत्र ने कहा कि पीडीपी के प्रस्ताव पर चर्चा का अर्थ यह नहीं था कि कांग्रेस समर्थन कर रही थी। समर्थन की चिठ्ठी देना तो दूर कांग्रेस ने अपने विधायकों की औपचारिक बैठक तक नहीं बुलाई थी। महबूबा को मौखिक रणनीतिक समर्थन का मकसद केंद्र के इशारे पर भाजपा और सज्जाद की ताजपोशी को रोकना था।

सूत्र ने कहा कि अब विधानसभा भंग हो चुकी है तो फिर महबूबा और उनकी पार्टी के खिलाफ जनता के गुस्से की सियासी टोपी पहनने की गलती न कांग्रेस करेगी और उमर अब्दुल्ला भी कतई ऐसा नहीं करेंगे। उन्होंने कहा करीब चार साल की सत्ता विरोधी लहर को लबादा ओढ़े पीडीपी के साथ लोकसभा और विधानसभा में गठबंधन की जरूरत भी नहीं है।

नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस दोनों चुनाव तालमेल कर लड़ेंगे और सूबे के मौजूदा हालत को देखते हुए पूरी उम्मीद है कि एनसी-कांग्रेस को जनादेश भी मिलेगा। वैसे आधिकारिक तौर पर कांग्रेस ने विधानसभा भंग करने के फैसले की कड़ी आलोचना कर केंद्र की एनडीए सरकार के फैसले को अनैतिक और गैरकानूनी ठहराते हुए इस कदम को लोकतंत्र की हत्या करार दिया।

कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि पीडीपी, एनसी और कांग्रेस की ओर से महबूबा ने सरकार बनाने का दावा पेश किया तो राज्यपाल सतपाल मलिक को मौका देकर सदन में बहुमत साबित करने के लिए कहना चाहिए था। मगर राज्यपाल ने आनन-फानन में विधानसभा भंग कर लोकतंत्र की हत्या कर दी। तिवारी ने कहा कि राज्यपाल के इस फैसले को चुनौती दी जानी चाहिए।


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