शहीद पुलिसकर्मी के जनाजे में शरीक हुए सैकड़ों लोग
शहीद को रविवार दोपहर पूरे राष्ट्रीय सम्मान के साथ उसके पैतृक गांव करेवा मानू के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया।
श्रीनगर, [राज्य ब्यूरो]। आतंकियों का गढ़ बन चुके शोपियां के करेवा मानू में रविवार को सैकड़ों लोग शहीद पुलिसकर्मी अब्दुल सलाम के जनाजे में शरीक हुए। सभी के चेहरे पर गुस्सा साफ नजर आ रहा था। वे पूछ रहे थे कि इस्लाम पर चलने वाले, कभी किसी का हक न खाने वाले और हक व वतनपरस्ती को इस्लाम का हिस्सा बताने वाले अब्दुल सलाम की हत्या इस्लाम के नाम पर कैसे जायज हो सकती है।
दक्षिण कश्मीर में कुछ वर्षो के दौरान आतंकी हमले में शहीद किसी पुलिसकर्मी के जनाजे पर यूं बेखौफ भीड़ देखी गई है। अन्यथा लोग आतंकियों के डर से जनाजे में शामिल होने से बचते हैं।गौरतलब है कि शनिवार शाम राजपोरा पुलवामा में आतंकी हमले में दो पुलिसकर्मी अब्दुल सलाम और मुनीर अहमद गंभीर रूप से घायल हो गए थे। दोनों को सैन्य अस्पताल ले जाया गया, जहां कुछ देर बाद अब्दुल सलाम की मौत हो गई। शोपियां जहां कई इलाकों में आतंकी खुलेआम घूमते हैं, के करेवा मानू के रहने वाले सिलेक्शन ग्रेड कांस्टेबल अब्दुल सलाम की शहादत की जानकारी मिलते ही पूरे इलाके में रोष और शोक की लहर दौड़ गई। जिसने भी सुना, वही सन्न रह गया। किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि कश्मीर में जो लोग इस्लाम के नाम पर आतंकवाद और जिहाद का नारा बुलंद करते हैं, वह अब्दुल सलाम को निशाना बना सकते हैं।
कारण, वह हमेशा इस्लाम के आदर्शाे का पालन करते हुए सादा जीवन जीता था। शहीद के पड़ोसी आफताब ने बताया कि अब्दुल सलाम ने तो अपने मकान का एक हिस्सा स्थानीय मदरसे के लिए दे रखा है, जहां सुबह-शाम बच्चे कुरान और इस्लाम की तालीम लेने आते हैं। शहीद के परिवार में उसकी बूढ़ी मां और पत्नी के अलावा उसके चार बच्चे मुहम्मद साबिर (16), मुहम्मद वकास (14), आफरीन (12) व मुहम्मद शाकिर (8) ही रह गए हैं।अब्दुल सलाम के जनाजे को कंधा देने आए उसके एक अन्य पड़ोसी मुश्ताक अहमद बट ने कहा कि अगर अब्दुल सलाम गलत होता, इस्लाम के दुश्मन ताकतों के साथ होता तो कोई भी यहां नहीं आता। इस्लाम का दुश्मन तो वे लोग हैं, जिन्होंने इस्लाम का नारा लगाते हुए उस पर गोलियां बरसाई हैं। इससे पूर्व शनिवार देर रात गए जिला पुलिस लाइन पुलवामा में शहीद अब्दुल सलाम को राष्ट्रीय सम्मान के साथ श्रद्घांजलि अर्पित की गई।
डीआइजी दक्षिण कश्मीर रेंज एसपी पाणि, एसएसपी पुलवामा और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित किए। उसके बाद पूरे सम्मान के साथ शहीद का पार्थिव शरीर उसके परिजनों के हवाले किया गया। शहीद को रविवार दोपहर पूरे राष्ट्रीय सम्मान के साथ उसके पैतृक गांव करेवा मानू के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया।