वादी में सरकारी मकान खाली करने के लिए पूर्व मंत्रियों व पूर्व विधायकों को नोटिस
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने श्रीनगर में आवासीय सुविधा का लाभ ले रहे 31 पूर्व विधायकों और मंत्रियों को एक सप्ताह में सरकारी मकान खाली करने को कहा है। मकान खाली नहीं करने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। मकान जबरन खाली करवाने के साथ ही पूर्व विधायकों से मकान का किराया और बिजली-पानी का शुल्क भी वसूला जाएगा। इस संबंध में जम्मू कश्मीर इस्टेट विभाग ने नोटिस जारी कर दिया है।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : जम्मू कश्मीर प्रशासन ने श्रीनगर में आवासीय सुविधा का लाभ ले रहे 31 पूर्व विधायकों और मंत्रियों को एक सप्ताह में सरकारी मकान खाली करने को कहा है। मकान खाली नहीं करने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। मकान जबरन खाली करवाने के साथ ही पूर्व विधायकों से मकान का किराया और बिजली-पानी का शुल्क भी वसूला जाएगा। इस संबंध में जम्मू कश्मीर इस्टेट विभाग ने नोटिस जारी कर दिया है।
संबंधित अधिकारियों ने बताया कि जिन पूर्व मंत्रियों और पूर्व विधायकों को नोटिस जारी किया गया है, उनमें पूर्व वित्त मंत्री अब्दुल रहीम राथर, पूर्व स्पीकर नजीर अहमद खान, मोहम्मद हाकिम यासीन, गुलाम नबी लोन हंजूरा लोन, जफर मन्हास, मोहम्मद खलील बंड, जहूर अहमद मीर, सईद फारूक अंद्राबी, एजाज अहमद मीर के नाम प्रमुख हैं। इनमें से ज्यादातर संबंध नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी से है।
इस्टेट विभाग के अनुसार, विधानसभा भंग होने या सदस्यता समाप्त होने के बाद पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक सरकारी मकान में नहीं रह सकते। इन लोगों को पहले भी नोटिस जारी किए गए हैं, लेकिन इन्होंने मकान खाली नहीं किए हैं। अगर किसी पूर्व मंत्री या पूर्व विधायक को सुरक्षा कारणों से यह सुविधा चाहिए तो उसे संबंधित नियमों और संस्था के जरिए ही यह सुविधा प्राप्त करनी होगी। जम्मू कश्मीर में लागू कानूनों के मुताबिक कोई भी पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व विधायक या पूर्व मंत्री अब सरकारी आवासीय सुविधा का सामान्य परिस्थितियों में लाभ नहीं प्राप्त कर सकता। इस्टेट विभाग के अनुसार, ज्यादातर पूर्व विधायक और मंत्री श्रीनगर शहर के तुलसी बाग, राजबाग, चर्चलेन और गुपकार मार्ग पर रह रहे हैं। इसके अलावा कुछ पूर्व विधायकों और पूर्व मंत्रियों को निजी बंगले व कोठियां मुहैया कराई गई हैं। इनका किराया सरकारी खजाने से अदा किया जाता है।
बता दें कि कश्मीर के बाद जम्मू में भी इसी प्रकार के नोटिस जारी करने का प्लान है। क्योंकि जम्मू में भी पूर्व मंत्रियों ने सरकारी आवासों पर कब्जा जमा रखा है। इससे सरकार को हर माह लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। क्योंकि इन सरकारी आवासों का खर्च लाखों रुपये प्रतिमाह आ रहा है। इसमें बिजली के बिल से लेकर अन्य खर्च शामिल हैं।
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने कश्मीर मे प्राप्त सरकारी आवासीय सुविधा बीते साल ही छोड़ दी थी। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अक्टूबर माह के दौरान सरकारी मकान खाली करने का यकीन दिलाया है जबकि डॉ. फारूक अब्दुल्ला अपने ही मकान में रह रहे हैं। पूर्व शिक्षा मंत्री नईम अख्तर ने गत जून में अपना मकान खाली किया है।