मूसा की मौत के बाद वादी में बचे हैं तीन से चार आतंकी
राज्य ब्यूरो श्रीनगर जाकिर मूसा के मारे जाने के साथ ही कश्मीर घाटी में सक्रिय लगभग 250 देशी-विदेशी आतंकियों में अब तीन से चार स्थानीय आतंकी ही ऐसे बचे हैं जो बीते पांच वर्ष या उससे लंबे समय से सक्रिय हैं।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : जाकिर मूसा के मारे जाने के साथ ही कश्मीर घाटी में सक्रिय लगभग 250 देशी-विदेशी आतंकियों में अब तीन से चार स्थानीय आतंकी ही ऐसे बचे हैं, जो बीते पांच वर्ष या उससे लंबे समय से सक्रिय हैं। इसके साथ ही रियाज नायकू,आदिल,शिराजी, हमाद और फारूक बिजरान, जुनैद सहराईव समीर उर्फ सलीम के अलावा कोई बड़ा स्थानीय आतंकी कमांडर जिंदा नही बचा है। अगर बचा है तो वह इस समय खुद को बचाने के लिए लो-प्रोफादल हो चुका है।
जुलाई 2016 में आतंकी बुरहान की मौत के बाद घाटी में जिस तरह से स्थानीय युवकों के आतंकी बनने का सिलसिला तेज हुआ, सुरक्षाबलों ने भी उसी तेजी के साथ उनकी सफाई का अभियान शुरू किया। करीब 500 से ज्यादा आतंकी जुलाई 2016 से मई 2019 के पहले पखवाड़े के समाप्त होने तक मारे जा चुके हैं।
सब्जार,आदिल,समीर टाईगर, शौकत, दुजाना,हमास, ललहारी, अल्ताफ काचरु, मेहराजुदीन बांगरु, यासीन यत्तु, शौकत टाक, दाऊद, मुगीस,आजाद दादा ,समीर टाईगर समेत सभी स्थानीय आतंकी कमांडर जो आतंकी संगठनों के लिए नए लड़कों की भर्ती का बंदोबस्त करने से लेकर कश्मीर में आतंकवाद को जिदा रखने के लिए पोस्टर ब्वाय बनने का दम रखते थे या जिन्हें बुरहान का उत्तराधिकारी बताकर आतंकी संगठनों ने प्रचारित करना शुरू किया, उन्हें सुरक्षाबलों ने गिराने में ज्यादा वक्त नहीं लिया। कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों में सक्रिय भूमिका निभा रहे राज्य पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस समय सिर्फ हिज्ब और लश्कर के ही पांच-छह ऐसे स्थानीय आतंकी बचे हैं जो वर्ष 2014 या उससे पहले से सक्रिय हैं। अन्य सभी नए हैं। इन पुराने आतंकियों में हिज्बुल मुजाहिदीन का डिवीजनल कमांडर रियाज नायकू, हमाद खान, शिराजी,रियाज और लश्कर का समीर व फारूक प्रमुख हैं। यह सभी डबल ए श्रेणी के आतंकी हैं और इनके जिदा अथवा मुर्दा पकड़े जाने पर 10 से 15 लाख रुपये का ईनाम है। उन्होंने बताया कि इनके अलावा लतीफ टाईगर ही एक ऐसा स्थानीय आतंकी था जो बुरहान की तरह पोस्टर ब्वाय बन सकता था। लेकिन वह इसी माह की शुरुआत में अपने दो साथियों संग मारा गया। वह भी वर्ष 2014 से सक्रिय था। उन्होंने बताया कि इस समय जैश-ए-मोहम्मद के पास कोई पुराना आतंकी नहीं है। उसके कैडर में शामिल सभी स्थानीय आतंकी दो से तीन साल पुराने हैं जबकि अल-बदर में जो स्थानीय आतंकी हैं,उनमें सबसे पुराना आतंकी दो साल पहले ही सक्रिय हुआ है। अंसार उल गजवात ए हिद व जम्मू कश्मीर इस्लामिक स्टेट में शायद ही कोई ऐसा आतंकी होगा जो दो साल पुराना होगा। इस समय कश्मीर में आन ग्राऊंड सक्रिय स्थानीय आतंकियों में सिर्फ रियाज नायकू ही सबसे पुराना है। वह वर्ष 2012 से सक्रिय है। आदिल , रियाज उर्फ शिराजी , हमाद और फारूक बिजरान , जुनैद सहराईव समीर उर्फ सलीम सरीखे आतंकी वर्ष 2014 या फिर 2015 की शुरुआत में सक्रिय हुए हैं। उन्होंने बताया कि बुरहान और उसके बाद सभी प्रमुख आतंकी कमांडरों के मारे जाने से सरहद पार बैठे आतंकी सरगनाओं को अपने कैडर का मनोबल बनाए रखने से लेकर नए कैडर की भर्ती तक मुश्किल आ रही है। नए कैडर के लिए ओवरग्राउंड वर्कर नेटवर्क संभालना भी मुश्किल साबित हो रहा ै। इसके अलावा उनके पास ट्रेनिग का भी अभाव है। वह विध्वंसकारी गतिविधियों को अन्य आतंकियों की तरह अंजाम देने में भी सफल नहीं हो पा रहे हैं।