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नेकां और पीडीपी को आड़े हाथ लिया

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : चुनाव बहिष्कार की सियासत का बहिष्कार कर बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ने व

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 Oct 2018 01:11 AM (IST)Updated: Sun, 14 Oct 2018 01:11 AM (IST)
नेकां और पीडीपी को 
आड़े हाथ लिया
नेकां और पीडीपी को आड़े हाथ लिया

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : चुनाव बहिष्कार की सियासत का बहिष्कार कर बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले नेशनल कांफ्रेंस के पूर्व प्रवक्ता जुनैद अजीम मटटु ने शनिवार को नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी को आड़े हाथ लिया।

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जुनैद ने कहा कि यह कोई पहला मौका नहीं है, जब कश्मीर में मतदान का प्रतिशत कम रहा है। भाजपा को आज जो लोग कश्मीर का दुश्मन कह रहे हैं वह कल तक भाजपा को ही कश्मीर का मसीहा बताते हुए उसके साथ खड़े थे।

गौरतलब है कि नेकां व पीडीपी ने राज्य में जारी मौजूदा चुनाव प्रक्रिया का सुरक्षा परिदृश्य और धारा 35-ए के मुद्दे पर पैदा विवाद का हवाला देते हुए बहिष्कार कर रखा है। जुनैद ने चुनाव बहिष्कार के नेकां के फैसले पर एतराज जताते हुए गत माह नेकां से नाता तोड़ लिया था। वह नेकां के प्रमुख प्रवक्ता थे। नेकां से अलग होने के बाद उन्होंने श्रीनगर नगर निगम के लिए बतौर निर्दलीय उम्मीदवार अपना नामांकन जमा कराया। उन्हें कश्मीर का संभावित मेयर बताया जा रहा है।

सुबह मतदान करने के बाद उन्होंने कहा कि यहां कुछ लोग विशेषकर नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी वाले मतदान में लोगों की कम भागेदारी को लेकर चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब कश्मीर में मतदान का प्रतिशत कम रहा हो। नेकां के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने गत वर्ष जब श्रीनगर संसदीय सीट का उपचुनाव जीता तो वहां सात फीसद ही मतदान हुआ था। वर्ष 1996 हो या वर्ष 2002 वादी में कई जगह मतदान नाममात्र ही हुआ था। उन्होंने कहा कि कल तक नेकां और पीडीपी के नेता कम मतदान होने पर कहते थे कि बेशक वोट डालने लोग कम आए हैं, लेकिन कश्मीर में लोकतंत्र मजबूत हुआ है। मेरा भी यही मानना है कि कश्मीर में लोकतंत्र की मजबूती के लिए चुनावों में भाग लेना चाहिए और सभी लोगों को वोट डालने आना चाहिए।

जुनैद ने कहा कि आज नैतिकता की बात करने वाले, भाजपा को कश्मीर का दुश्मन बताने वाले, कल तक भाजपा के साथ ही सत्ता में भागीदार रहे हैं। नेकां और पीडीपी दोनों ने भाजपा के साथ कभी सत्ता के लिए गठजोड़ किया था। मुझे तो यह समझ में नहीं आता जब नेकां चुनावों का बहिष्कार कर रही है तो फिर डॉ. फारूक अब्दुल्ला क्यों श्रीनगर में कुछ मतदान केंद्रों को बदलने की बात कर रहे हैं। जुनैद ने कहा कि मौजूदा चुनाव एक विश्वसनीय नेतृत्व, जनसेवा में पारदर्शिता और जनहित के लिए हो रहे हैं। इसलिए मैं इनमें भाग ले रहा हूं।


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