फारूक अब्दुल्ला बोले, हम अनुच्छेद 35ए को बचाना चाहते हैं
farooq Abdullah in Baramulla. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि हम अनुच्छेद 35ए को बचाना चाहते हैं।
नई दिल्ली, एएनआइ। फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस इंडो-पाक फ्रेंडशिप की समर्थक है। मेरा विश्वास है कि दोनों देशों की दोस्ती ज्यादा जरूरी है। जिस दिन दोनों देशों में मित्रता हुई, कश्मीर का मुद्दा हल हो जाएगा।
बारामुला में रविवार को फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि हम सत्ता का लुत्फ उठाने के लिए सरकार नहीं बनाना चाहते थे बल्कि हम अनुच्छेद 35ए को बचाना चाहते हैं। उनके मुताबिक, हम सत्ता के लिए भूखे नहीं थे। पीडीपी, एनसी और कांग्रेस के पास अलग-अलग पथ हैं लेकिन हम साथ आए। आप देखते हैं कि जेएंडके बैंक आज किस स्थिति में है।
गौरतलब है कि सियासत के जानकारों का मानना है कि 35ए सिर्फ संवैधानिक प्रावधान या कानूनी नहीं ,राजनीतिक मसला बन चुका है। सत्ता के लिए मुस्लिम वोट बैंक और अलगाववाद का तुष्टिकरण जरूरी है। विधानसभा की 87 में से 37 सीटें जम्मू संभाग की हैं, जिनमें से 20 पर मुस्लिम वोटर अहमियत रखते हैं। 46 कश्मीर संभाग में और लद्दाख की चार में से दो सीटों पर मुस्लिम वोटर प्रत्याशी की जीत में अहम हैं। कश्मीर की 95 फीसद आबादी मुस्लिम है।
एनसी और पीडीपी की सियासत कश्मीर केंद्रित है। इनका राजनीतिक एजेंडा ऑटोनामी और सेल्फ रूल है। कांग्रेस ने इस मुद्दे को न्यायालय पर छोड़ दिया है।
भाजपा 35 ए को हटाने के पक्ष में है। सर्वोच्च न्यायालय में जिस संगठन वी द सिटीजन्स संस्था ने 35ए के मुद्दे पर जनहित याचिका दायर की है, वह आरएसएस से संबंधित बताई जाती है। गठबंधन सरकार में रहते हुए भाजपा ने कभी स्थानीय स्तर पर 370 और 35ए को समाप्त करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रविंद्र रैना कहते हैं कि 35ए फ्रॉड है। पश्चिमी पाक के शरणार्थियों को कोई नहीं निकाल सकता है।
कश्मीर मामलों के जानकार अहमद अली फैयाज के अनुसार 370 हो या 35ए, दोनों को न केंद्र सरकार भंग कर सकती है न कोर्ट , क्योंकि कश्मीर में अलगाववादियों की तूती बोलती है, वे कश्मीर में क्या बखेड़ा करेंगे, सभी को पता है।
1954 में लागू हुआ था अनुच्छेद
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 35ए तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश जारी कर 14 मई, 1954 को लागू किया गया था। इस अनुच्छेद के जरिए वहां की विधानसभा को राज्य के स्थायी निवासी की परिभाषा तय करने का अधिकार मिलता है।