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डॉ. फारूक अब्दुल्ला नेकां के निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री रहे डॉ. फारूक

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Oct 2017 03:01 AM (IST)Updated: Mon, 30 Oct 2017 03:01 AM (IST)
डॉ. फारूक अब्दुल्ला नेकां के निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए
डॉ. फारूक अब्दुल्ला नेकां के निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री रहे डॉ. फारूक अब्दुल्ला रविवार को एक बार फिर नेशनल कांफ्रेंस के निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए। हालांकि पहले यही कयास लगाए जा रहे थे कि फारूक इस बार उमर अब्दुल्ला को पार्टी की कमान सौंप देंगे।

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नेशनल कांफ्रेंस की ओर से यहां बुलाए गए पार्टी सम्मेलन में जो तीन वर्षो में श्रीनगर में किसी भी राजनीतिक दल का सबसे बड़ा समागम माना जा रहा है, में डॉ. फारूक अब्दुल्ला के निर्विरोध अध्यक्ष चुने जाने का एलान पार्टी महासचिव अली मुहम्मद सागर ने किया।

इस मौके पर उमर अब्दुल्ला ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि यहां बहुत सी बातें हो रही थीं। आज इस फैसले से कई लोग हैरान हुए होंगे। वह सोच रहे होंगे यह कैसे हो गया, लेकिन यह अंदर की बात है।

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला चाहते थे कि उनसे अब यह जिम्मेदारी ले ली जाए और उन्होंने महासचिव अली मुहम्मद सागर को डेलीगेट सम्मेलन बुलाने के लिए मजबूर किया लेकिन हम वर्ष 2002 की गलती को नहीं दोहराएंगे। मैंने डॉ. साहब से कहा कि इसी तरह का एक सम्मेलन 2002 में हुआ था, जिसमें पार्टी अध्यक्ष मुझे चुना गया,लेकिन मेरा अनुभव कहता है कि वह फैसला जल्दबाजी में लिया गया था। मुझे लगता है कि आपको ही अध्यक्ष बने रहने देना चाहिए।

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि आज नेशनल कांफ्रेंस को डॉ. फारूक अब्दुल्ला की पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है। आज नेकां पर चारों तरफ से हमले हो रहे हैं। नेकां को मिटाने की साजिशें हो रही हैं। जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को मिटाने में ताकतें जुटी हुई हैं। इसलिए हमने उन्हें कहा कि आप अभी यह जिम्मेदारी संभालें। बेशक आप भागदौड़ नहीं कर सकते, लेकिन हम लोग यहां आपके सिपाहियों की तरह हमेशा खड़े रहेंगे, जहां आप कहेंगे वहीं काम करेंगे।

अध्यक्ष चुने जाने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं का आभार जताते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मैं अब अध्यक्ष पद पर नहीं बने रहना चाहता था। मैं अब बुढ़ा हो गया हूं। मैं चाहता था कि उमर अब्दुल्ला यह जिम्मेदारी संभाले, लेकिन वह नहीं माना। देर सवेर उसे यह जिम्मेदारी संभालनी ही होगी।


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