डीजीपी दिलबाग सिंह बोले-दुर्भाग्यवश आतंकी संगठनों में स्थानीय युवकों की भर्ती आज भी जारी
पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा कि दुर्भाग्यवश आतंकी संगठनों में स्थानीय युवकों की भर्ती आज भी जारी है लेकिन इसमें पहले से काफी कमी आई है। बीते वर्ष पहले सात माह के दौरान 85 युवा आतंकी बने थे जबकि इस साल आतंकी बनने वाले युवकों की तादाद 69 है।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर: पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा कि दुर्भाग्यवश आतंकी संगठनों में स्थानीय युवकों की भर्ती आज भी जारी है, लेकिन इसमें पहले से काफी कमी आई है। बीते वर्ष पहले सात माह के दौरान 85 युवा आतंकी बने थे, जबकि इस साल आतंकी बनने वाले युवकों की तादाद 69 है। आतंकी संगठनों में युवकों की भर्ती पूरी तरह बंद करने के लिए समाज व सभी सुरक्षा एजेंसियों को अपने प्रयासों में और तेजी लानी होगी, कुछ नए ठोस कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के समग्र सुरक्षा परिदृश्य में व्यापक सुधर आया है। आतंकवाद पर बड़ी हद तक काबू पाया गया है। आतंकियों के ओवरग्राउंड नेटवर्क के खिलाफ लगातार कार्रवाई जारी है। करीब 471 ओवरग्राउंड वर्कर पकडे़ गए हैं। इसका असर आतंकी हिंसा व भर्ती में कमी के तौर पर देखा जा सकता है।
पुलिस महानिदेशक ने कहा कि हम अपने आतंकरोधी अभियानो में और तेजी ला रहे हैं ताकि लोगों के दिल में अगर कहीं भी थोड़ा बहुत आतंकियों का डर अगर बचा है तो वह पूरी तरह समाप्त हो जाए। हम यहा शाति, सुरक्षा और विश्वास का वातावरण तैयार कर रहे हैं। इसलिए कोविड-19 महामारी के बीच भी हमने कई अभियान चलाए हैं। मौजूदा साल में अब तक 34 मुठभेड़ हुई हैं, जिनमें 83 आतंकी मारे गए। इसके अलावा हमने आतंकियों के इकोसिस्टम पर भी करारी चोट की है। आतंकी हिसा में 30 फीसद की कमी
दिलबाग सिंह ने वीरवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में सक्रिय आतंकियों की संख्या 300 से घटकर 200 के करीब रह गई है। इनमें भी 60-70 विदेशी हैं। पिछले साल एक जनवरी से 20 जुलाई तक आतंकी हिंसा की 120 घटनाएं हुई, जबकि इस साल 84 घटनाएं ही हुई। आतंकी हिंसा में 30 फीसद कमी आई है। कानून व्यवस्था की अगर बात की जाए तो बीते साल इसी अवधि में कानून व्यवस्था से संबंधित 100 घटनाओं के मुकाबले इस साल अब तक 48 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें 52 फीसद कमी है। जनता का पुलिस पर भरोसा बढ़ा:
1987 बैच के आइपीएस अधिकारी दिलबाग सिंह ने कहा कि हमने कई नौजवानों को आतंकवाद के रास्ते से वापस लाया है। इनकी संख्या लगभग 30 है। आज यह लोग अपने स्वजन के बीच रह रहे हैं। जनता का पुलिस में विश्वास लगातार बढ़ा है। मुठभेड़ के दौरान एक दर्जन से ज्यादा आतंकियों ने हथियार डाले हैं। इन युवकों का कहना है कि वह कभी आतंकी नहीं बनना चाहते थे, लेकिन उन्हें आतंकी संगठनों ने मजबूर किया। मारे जाएंगे आतंकी:
श्रीनगर में आतंकी हमलों मे आई तेजी पर पुलिस महानिदेशक ने कहा कि हमने आतंकियों के मंसूबों को पूरी तरह नाकाम बनया है। श्रीनगर में जो भी अपना नेटवर्क बनाने आएगा, हिंसा फैलाने आएगा, आज नहीं तो कल मारा जाएगा। हम किसी को भी श्रीनगर को आतंकी अड्डा नहीं बनाने देंगे। पिछले साल श्रीनगर शहर में 17 मुठभेड़ हुई और इस साल अब तीन से चार बार ही।