Delhi Blast: ISI का नया पैंतरा, बांग्लादेश में कश्मीरी छात्रों को बना रहा निशाना; जिहादी आतंकी संगठन सक्रिय
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई बांग्लादेश में पढ़ रहे जम्मू-कश्मीर के युवाओं को आतंकी गतिविधियों में शामिल करने की कोशिश कर रही है। आईएसआई एजेंट उन्हें इस्लाम के नाम पर आतंकी संगठनों की मदद करने के लिए उकसा रहे हैं। हरकत-उल-जिहादी इस्लामी और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठन भी बांग्लादेश में सक्रिय हैं और युवाओं को भर्ती करने में लगे हैं।
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बांग्लादेश में कश्मीरी छात्रों को निशाना बना रहा आईएसआईएस। फाइल फोटो
नवीन नवाज, श्रीनगर। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ने कश्मीर में आतंकी हिंसा के दुष्चक्र को जारी रखने के लिए बांग्लादेश में पढ़ाई कर रहे जम्मू-कश्मीर के युवाओं को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। आइएसआइ के एजेंट और बांग्लादेश में सक्रिय विभिन्न आतंकी संगठनों के माटिवेटर उनके साथ संपर्क बना उन्हें कश्मीर में इस्लाम के नाम पर आतंकी संगठनों की मदद के लिए उकसा रहे हैं।
जम्मू कश्मीर पुलिस से जुड़े सूत्रों के अनुसार, आइएसआइ के इस नए पैंतरे का खुलासा बांग्लादेश में पढ़ाई कर रहे कुछ छात्रों ने स्वयं किया है। उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश में मौजूदा समय में जम्मू कश्मीर के लगभग पांच हजार छात्र मेडिकल, इंजीनियरिंग व अन्य व्यावसायिक पाठयक्रमों में पढ़ाई कर रहे हैं।
जम्मू कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों से जुढ़े सूत्रों ने बताया कि बांग्लादेश में एक बार फिर से हरकत उल जेहादी इस्लामी व कुछ अन्य जिहादी संगठन कश्मीर जिहाद के नाम पर सक्रिय हो गए हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ इन जिहादी संगठनों के नेटवर्क का इस्तेमाल अपने कश्मीर एजेंडे के लिए कर रही है। उन्होंने बताया हाल ही में लश्कर ए तैयबा ने भी बांग्लादेश में अपनी गतिविधियां शुरु की हैं।
हाफिज सईद ने अपने कुछ करीबियों को बांग्लादेश में आतंकी भर्ती के लिए भेजा है। इसके अलावा पाकिस्तान में बैठे कुछ कश्मीरी आतंकियों के भी गत दिनों बांग्लादेश का दौरा करने की सूचना है। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश के एक वरिष्ठ नेता अब्दुस सलाम पिंटु भी पुन: सक्रिय हो चुका है। वह स्वयं हरकतुल जिहादी इस्लामी बांग्लादेश नामक आतंक संगठन से जुढ़ृा रहा है।
वह गुलाम जम्मू कश्मीर और कश्मीर के कई युवकों को वर्ष 2002 तक बांग्लादेश स्थित हरकत के ट,ेनिंग कैंपों के लिए भर्ती कर चुका है। जैश और अल-कायदा के कई कमांडरों के साथ उसका संपर्क किसी से छिपा नहीं है। उन्होंने बताया कि करीब पांच माह पहले बांग्लादेश के प्रधानमंत्री यूनुस की सरकार हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम के नेता मुफ़्ती हारुन इज़हार के प्रति काफी उदार रवैया अपनाए हुए हैं। मुफ्ती हारुन की लश्कर ए तैयबा के साथ गहरी नजदीकियां हैं। वह बांग्लादेश में शरिया के समर्थक है और कश्मीर में आतंकी हिंसा को जायज ठहराते हैं।
संबधित सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ और जिहादी संगठनों के अधिकारी व एजेंट बांग्लादेश में पढ़ाई कर रहे कश्मीरी छात्रों के अलावा कुछ कारोबारियों से संपर्क कर रहे हैं। वह उन्हें न सिर्फ इस्लाम के नाम पर बरगला रहे हैं बल्कि उन्हें पैसे और विदेश में बसने का लालच देकर, कश्मीर में आतंकी संगठनों के नेटवर्क को खड़ा करने, कश्मीर आतंकी हिंसा के दुष्चक्र को जारी रखने के लिए प्रत्यक्ष परोक्ष रूप से मदद करने के लिए कह रहे हैं।
उन्होंने बताया कि कुछ छात्रों ने इस संदर्भ में कश्मीर में अपने अभिभावकों के माध्यम से पुलिस को सूचित किया है। उन्होंने कहा कि इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि जिन छात्रों से आइएसआइ ने संपर्क किया है, उनमें से अधिकांश मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं।
इस बीच,जम्मू कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बांग्लादेश में सक्रिय जिहादी संगठनों और बांग्लादेश में आइएसआइ के नेटवर्क की कश्मीरी आतंियों के साथ सांठ-गांठ और बांग्लादेश के रास्ते हिंदुस्तान में आतंक का निर्यात कोईनया नहीं है हमारी केंद्रीय खुफिया एजेंसियों की आइएसआइ और आतंकी संगठनों की गतिविधियों पर लगातार नजर है।बांग्लादेश में पहले भी कई कश्मीरी आतंकी ट्रेनिंग कर चुके हैं और कई बार कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ बांग्लादेश के रास्ते ही हुई है।

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