Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Delhi Blast: पुलवामा में पनप रहे आतंकी? साइबर जिहाद बना रहा टेररिस्ट; ओवरग्राउंड वर्कर अभी भी एक्टिव

    Updated: Wed, 12 Nov 2025 09:42 AM (IST)

    दिल्ली में हुए विस्फोट के बाद सुरक्षा एजेंसियां पुलवामा में आतंकी गतिविधियों की जांच कर रही हैं। साइबर जिहाद के माध्यम से युवाओं को कट्टरपंथी बनाया जा रहा है और ओवरग्राउंड वर्कर्स आतंकियों को मदद कर रहे हैं। सोशल मीडिया का इस्तेमाल आतंकियों की भर्ती के लिए हो रहा है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है।

    Hero Image

    जम्मू-कश्मीर में उमर के रिश्तेदारों के लिए पुलिस ने चलाया सर्च ऑपरेशन

    नवीन नवाज, श्रीनगर। लाल किला बम धमाका दस लोगों की जान ले चुका है। विस्फोट करने वाले आत्मघाती डॉक्टर उमर नबी बट के तीन साथी डॉक्टरों समेत उसके लगभग एक दर्जन सहयोगी इस समय पुलिस हिरासत में हैं, जो बताता है कि कश्मीर में आतंक की नर्सरी के नाम से कुख्यात रहे पुलवामा में जिहादियों की एक नयी पौध तैयार हो चुकी है, जो वादी के अन्य क्षेत्रों में भी फैल रही है। यह पौध बाहर से जितनी ज्यादा शांत-सौम्य नजर आती है, अंदर से उतनी ही ज्यादा घातक और जहरीली है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अंध जिहादी मानसिकता से ग्रस्त यह सफेदपोश आतंकी (व्हाइट कालर) बंदूक लेकर जंगलों में नहीं घूमते, यह खुलेआम सामान्य लोगों की तरह रहते हुए अपने जिहादी एजेंडे को पूरा करने में जुटे रहते हैं।

    इस बार ये सफेद एप्रन में नजर आए। लाल किला बम धमाका करने वाले आतंकी मॉड्यूल को जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवतुल हिंद से संबधित बताया जा रहा है, लेकिन अभी तक किसी भी आतंकी संगठन ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है।

    इस मॉड्यूल में शामिल जो भी आतंकी अभी तक पकड़े गए हैं, उनमें से किसी का भी कोई पुराना आतंकी रिकॉर्ड नहीं है। ये सरकारी एजेंसियों के कश्मीर में इस वर्ष स्थानीय आतंकियों की भर्ती न होने के दावे को भी झुठलाते हैं।

    इंटरनेट मीडिया के इस दौर में आतंकी तंत्र भी पूरी तरह से बदल गया है। इसमें जिहादी तत्वों द्वारा इंटरनेट मीडिया का बड़े पैमाने पर और चालाकी से दायरा बढ़ाने, कैडर की ट्रेनिंग, रिक्रूटमेंट के पैटर्न, विचारधारा और विभिन्न गुटों के बीच संपर्क-संवाद-समन्वय बनाने में इस्तेमाल हो रहा है।

    साइबर जिहाद का भी परिणाम : कश्मीर मामलों के एक अन्य जानकार ने कहा कि यह साइबर जिहाद का परिणाम है।


    ये इंटरनेट मीडिया पर झूठी कहानियों के शिकार

    कश्मीर मामलों के जानकार फैयाज अहमद वानी ने कहा कि वर्ष 2010-2022 तक आतंकी बनने वाले कश्मीरियों में 90 प्रतिशत दक्षिण कश्मीर से ही निकले और इनमें से अधिकांश जिला पुलवामा से रहे हैं। बुरहान वानी, जाकिर मूसा, नाइकू, अल-कामा, समीर टाइगर, नूरा त्राली, आदिल, आदिल डार, बुरहान कोका समेत कई कुख्यात आतंकी पुलवामा के पांपोर के आसपास बसे गांवों से ही हैं।

    पुलवामा एक तरह से आतंकियों के लिए आजाद इलाका रहा है, यह श्रीनगर-बड़गाम और त्राल के रास्ते गांदरबल-बांडीपोरा तक आतंकियों की पहुंच आसान बनाता है। वर्ष 2022 तक इस क्षेत्र में जो भी आतंकी बना उसकी प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से आतंकी-अलगाववादी पृष्ठभूमि रही है। लेकिन इन नए जिहादियों के बारे में ऐसा कुछ नहीं कहा जा सकता।

    पहले भी पढ़े-लिखे युवक आतंकी बने हैं, लेकिन एक साथ एक ही क्षेत्र से डाक्टर का आतंकी चोला पहने, यह हैरान करता है। इनमें से अधिकांश इंटरनेट मीडिया पर ही जिहादी मानसिकता का शिकार हुए हैं। दुनियाभर में मुस्लिमों पर अत्याचारों की जो झूठी कहानियां इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित होती हैं, यह उसका भी असर है।

    पुलवामा में ओवरग्राउंड वर्कर नेटवर्क आज भी सक्रिय

    कश्मीर में आतंकरोधी अभियान में शामिल एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, पुलवामा और उसके साथ सटे इलाकों में जैश, लश्कर और हिजबुल मुजाहिदीन का ओवरग्राउंड वर्कर नेटवर्क आज भी है। यह नेटवर्क लगातार इंटरनेट मीडिया व अन्य माध्यमों से मस्जिदों के बाहर छोटी-छोटी बैठकों के जरिए स्थानीय युवाओं से विशेषकर ऐसे परिवारों के लड़कों के साथ संपर्क बनाता है, जो पढ़े-लिखे हैं और जिनका पहले कोई आतंकी-अलगाववादी रिकॉर्ड नहीं है।

    यह प्रयास करते हैं कि ऐसे युवाओं को चुना जाए जो इंजीनियर, डॉक्टर या किसी अन्य व्यावसायिक पाठयक्रम से जुड़े हों। ये बंदूक लेकर खड़े न हों, लेकिन अपनी शैक्षिक योग्यता से आतंकी एजेंडे को पूरा कर सकें।