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कुलियों के परिजनों को सैन्यकर्मियों के समान मिले मुआवजा

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राज्य मानवाधिकार आयोग (एसएचआरसी) ने मंगलवार को सेना के साथ काम करते हुए अपनी

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Feb 2018 03:01 AM (IST)Updated: Wed, 21 Feb 2018 03:01 AM (IST)
कुलियों के परिजनों को सैन्यकर्मियों के समान मिले मुआवजा
कुलियों के परिजनों को सैन्यकर्मियों के समान मिले मुआवजा

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राज्य मानवाधिकार आयोग (एसएचआरसी) ने मंगलवार को सेना के साथ काम करते हुए अपनी जान गंवाने वाले कुलियों के परिजनों को शहीद सैन्यकर्मियों के परिजनों के समान मुआवजा देने के लिए योजना बनाने की राज्य सरकार से सिफारिश की है। आयोग ने इस संदर्भ में राज्य गृह विभाग को एक पत्र भी लिखा है।

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आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि एसएचआरसी के चेयरमैन जस्टिस (रिटायर्ड) बिलाल नाजकी ने यह सिफारिश उत्तरी कश्मीर में एलओसी से सटे जिला कुपवाड़ा के अंतर्गत खन्नबल पंजगाम में रहने वाले नसीरुदीन पुत्र जलालुद्दीन चीची के मामले में की है। नसीरुद्दीन सेना के साथ बतौर कुली काम करता था और वर्ष 1997 में उसकी सेना के साथ काम करते हुए मौत हो गई थी, लेकिन उसके परिजनों को मुआवजा नहीं मिला। उसके पिता ने इस पर एसएचआरसी में याचिका दायर की थी।

डाक बंगला, जिला कुपवाड़ा के लोगों द्वारा दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए जस्टिस (रिटायर्ड) बिलाल नाजकी ने यह सिफारिश की। उन्होंने जलालुद्दीन द्वारा दायर याचिका को निपटाते हुए कहा कि आयोग महसूस करता है कि ऐसे लोगों (पोर्टरों) को सैनिकों के समान माना जाना चाहिए और मामले का जिक्र करते हुए कहा कि सेना के लिए पोर्टर के रूप में काम करने के दौरान 25 साल के व्यक्ति की मौत हो गई थी।

प्रवक्ता ने कहा कि आयोग के अध्यक्ष ने गृह विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश दिए कि ऐसे लोगों के लिए योजना बनाई जाए, जो मौजूदा योजनाओं के दायरे में नहीं आते।

उन्होंने कहा कि कुपवाड़ा के उपायुक्तको सेना की संबंधित इकाई के समक्ष मामला उठाने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि पीड़ित के पिता को उचित मुआवजा मिले। प्रवक्ता ने कहा कि कुपवाड़ा के उपायुक्त और गृह विभाग के प्रधान सचिव को तीन हफ्तों के अंदर कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।


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