लेथपोरा हमले में आतंकियों के चार मददगारों पर आरोप तय
स्पेशल एनआइए जज जम्मू सुनित गुप्ता ने पुलवामा के लेथपोरा में सीआरपीएफ कैंप पर दिसंबर 2017 को हुए आतंकवादी हमले में चार आतंकियों फैयाज अहमद निसार अहमद सैयद हिलाल व इरशाद अहमद पर आरोप तय किए है।
जेएनएफ, जम्मू: स्पेशल एनआइए जज जम्मू सुनित गुप्ता ने पुलवामा के लेथपोरा में सीआरपीएफ कैंप पर दिसंबर 2017 को हुए आतंकवादी हमले में चार आतंकियों फैयाज अहमद, निसार अहमद, सैयद हिलाल व इरशाद अहमद पर आरोप तय किए है। यह चारों पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मददगार थे। इन्हीं की मदद से आतंकवादी घुसपैठ करके सीआरपीएफ कैंप पर हमला करने में कामयाब रहे।
एनआइए केस के मुताबिक पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने सीआरपीएफ कैंप पर हमला करने की साजिश रची थी और उक्त आरोपितों ने इस साजिश को अंजाम तक पहुंचाने में सहयोग किया। इन्हीं की मदद से तीन आतंकवादी, फरदीन, मंजूर बाबा व शकूर 30-31 दिसंबर की रात को भारी हथियार लेकर सीआरपीएफ कैंप में दाखिल हुए और सोये हुए जवानों पर हमला किया। सुबह तक चली इस मुठभेड़ में सीआरपीएफ के पांच जवान शहीद हो गए थे और तीन जवान जख्मी हुए। मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने तीनों आतंकवादियों को मार गिराया। मारे गए आतंकवादियों के कब्जे से भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद हुआ। बाद में इस केस की जांच एनआइए को सौंप दी गई। जांच के दौरान एनआइए ने उक्त चारों को आतंकवादियों की मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया। केस से जुड़े तमाम सबूतों व गवाहों के बयानों पर गौर करने के बाद कोर्ट ने तीनों के खिलाफ आरोप तय कर दिए। किश्तवाड़ में फिर आतंक की दहशत
वहीं, कश्मीर से लगते किश्तवाड़ जिले में आतंक की दहशत फिर महसूस की जाने लगी है। जिला मुख्यालय से महज 18 किलोमीटर दूर डेडपैठ गांव में पुलिस के वाहन पर आतंकियों का ग्रेनेड हमला इसी ओर इशारा कर रहा है। हमले में एक पुलिसकर्मी जख्मी हुआ है। पिछले वर्ष अप्रैल में भी दो आतंकियों ने पुलिस चौकी पर किया था। हालांकि, तब आतंकियों को सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया था।
गत वर्ष नौ अप्रैल को किश्तवाड़ में आतंकियों ने आरएसएस कार्यकर्ता चंद्रकांत शर्मा की हत्या जिला अस्पताल के अंदर ही कर दी थी। इसके बाद पुलिस ने कई ओवरग्राउंड वर्करों (ओजीडब्ल्यू) को गिरफ्तार किया था। इनमें भाजपा नेता अनिल परिहार व उनके बड़े भाई अजीत परिहार की हत्या की साजिश रचने वाले भी पकड़े गए। पूछताछ में सामने आया था कि परिहार बंधुओं व चंद्रकांत शर्मा की हत्या किश्तवाड़ में सक्रिय ओसामा बिन जावेद ने की थी। इसके बाद पुलिस व सेना ने ओसामा को पकड़ने का अभियान शुरू कर दिया, लेकिन फरार गया था। हालांकि बाद में उसे बटोत में उसके दो साथियों को ढेर कर दिया गया। कुछ समय बाद डोडा का रहने वाला हारून वानी भी मारा गया। इन चारों के मारे जाने के बाद भी पुलिस ने किश्तवाड़ में आतंकरोधी अभियान जारी रखा। इस दौरान आतंकियों के कई मददगार दबोचे गए। इसके बाद कहा जाने लगा कि किश्तवाड़ में आतंकियों का लगभग सफाया होने वाला है, लेकिन इलाके में 1990 से सक्रिय हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर अमीन बट उर्फ जहांगीर सरूरी का कोई पता ठिकाना नहीं मिल पाया। यह कहा जाता है कि जहांगीर के साथ उसके साथी रेयाज और मुदहर हैं, लेकिन सुरक्षाबलों को जहांगीर का पता नहीं चला है। पिछले दिनों पुलिस और सुरक्षाबल यह समझ कर शांत हो गए कि किश्तवाड़ से आतंकवाद का सफाया हो गया है, लेकिन शुक्रवार की घटना ने सबको झकझोर दिया।